विभिन्न वजहों से दिव्यांगता के बढ़ते मामलों के इलाज पर अत्यधिक खर्च के कारण बड़ी संख्या में लोगों को वित्तीय कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। वित्तीय सुरक्षा में इस महत्वपूर्ण अंतर को पहचानते हुए बीमा कंपनियां अब दिव्यांग लोगों के लिए नए उत्पाद पेश करने पर जोर दे रही हैं। बीमा कंपनियां स्वास्थ्य बीमा के तहत ऐसे लोगों को सुरक्षा प्रदान कर रही हैं। शारीरिक या मानसिक बीमारियों, दुर्घटनाओं और अप्रत्याशित घटनाओं से उत्पन्न होने वाली अस्थायी और स्थायी दोनों तरह की दिव्यांगता को अब बीमा में कवर किया जा रहा है। इन योजनाओं का प्रीमियम किस्तों या क्रेडिट कार्ड से भी दिया जा सकता है।
हर साल बढ़ रहे 5-7 लाख दिव्यांग
विशेषज्ञों के अनुसार, देश में हर साल लगभग 5 से 7 लाख लोग दुर्घटनाओं और गंभीर बीमारियों के कारण अस्थायी या स्थायी रूप से दिव्यांग हो जाते हैं। ये काम करने और आजीविका कमाने में सक्षम नहीं होते हैं। फ्यूचर जेनराली इंडिया इंश्योरेंस के मुख्य वितरण अधिकारी रमित गोयल ने कहा, दिव्यांगता के इलाज पर काफी खर्च होता है। इससे सामाजिक और वित्तीय मोर्चे पर बीमा की जरूरत महत्वपूर्ण हो जाती है।
इलाज पर चला जाता है मासिक घर खर्च का 20%
राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान (एनआईएच) की वेबसाइट पर उपलब्ध अध्ययन से पता चलता है कि घर के मासिक खर्च का लगभग पांचवां हिस्सा दिव्यांगता के इलाज पर खर्च हो रहा है। आधे से अधिक (57.1 फीसदी) परिवारों को एक सदस्य के विकलांग होने के कारण स्वास्थ्य पर भारी खर्च करना होता है। 19.1 फीसदी लोग ऐसे हैं जिनके परिवार में एक सदस्य के विकलांग होने के इलाज से वे गरीबी रेखा के नीचे चले गए हैं।