इस साल देश गर्मी का प्रकोप झेल रहा है। उत्तर भारत के कई राज्यों में पारा 45 डिग्री से अधिक बना हुआ है। तेज गर्मी के कारण हीट स्ट्रोक के मामले बढ़ रहे हैं। अस्पतालों में भी मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। तापमान के बढ़ने से हीट स्ट्रोक आ रहा है। बीते कुछ दिनों में राजस्थान से लेकर दिल्ली में हीट स्ट्रोक से मौतें हुई हैं। राजस्थान में कई लोगों ने भीषण गर्मी से दम तोड़ा है। राजधानी दिल्ली में भी एक मरीज की गर्मी की वजह से मौत हो गई है। 40 साल के इस व्यक्ति की मंगलवार रात अचानक तबीयत बिगड़ गई थी। गंभीर हालत में उसे आरएमएल हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था जहां बुधवार को उसने दम तोड़ दिया।
डॉक्टरों के मुताबिक, मरीज की मौत का कारण अधिक गर्मी थी। उसके शरीर का तापमान काफी बढ़ गया था। इससे हीट स्ट्रोक आया जो मौत का कारण बन गया। ऐसे में यह जानना आपके लिए जरूरी है कि गर्मी में शरीर का तापमान क्यों बढ़ने लगता है। ये कितना खतरनाक है और मौत का कारण कैसे बन सकता है? इन सवालों का जवाब जानने के लिए हमने एक्सपर्ट्स से बातचीत की है।
एक्सपर्ट्स कहते हैं कि जब शरीर का टेंपरेचर बढ़ता है तो शरीर गर्म होता है और बुखार आता है। लेकिन बुखार और गर्मी के कारण होने वाले बुखार के अंतर को समझना जरूरी है। अगर शरीर का तापमान 98. 6 डिग्री फारेनहाइट है तो ये नॉर्मल है, लेकिन अगर ये 100 या 102 तक जाता है तो इसको फीवर कहते हैं। आमतौर पर सर्दी हो या गर्मी इतना तापमान होने पर वह बुखार कहलाता है, लेकिन अगर गर्मियों के मौसम में शरीर का तापमान 103 डिग्री से अधिक होने लगता है तो ये खतरनाक हो सकता है।
फेल हो जाता है कूलिंग सिस्टम
नोएडा के फोर्टिस हॉस्पिटल में डायरेक्टर डॉ. अजय अग्रवाल बताते हैं कि शरीर को ठंडा रखने के लिए कूलिंग सिस्टम काम करता है। जब बाहर गर्मी बढ़ने लगती है तो शरीर का तापमान भी बढ़ने लगता है। इस दौरान ब्रेन टेंपरेचर को कंट्रोल करने की कोशिश करता है। इस दौरान शरीर में मौजूद ग्लैंड पसीना निकालना शुरू कर देते हैं। इस पसीने से स्किन बाहर के वातावरण में चल रही हवा से खुद को ठंडा करती है। इससे शरीर के अंदर के अंग भी खुद को ठंडा करना शुरू कर देते हैं।
लेकिन जब गर्मी बहुत ज्यादा होती है। यानी अगर बाहर का तापमान बहुत बढ़ जाता है तो पसीना भी जरूरत से ज्यादा निकलने लगता है। इससे बॉडी में सोडियम की कमी हो जाती है। इसका अंग कई अंगों पर पड़ता है. इसका असर सबसे पहले स्किन पर होता है और स्किन पर लाल रंग के दाने निकलने लगते हैं। कुछ मामलों में तापमान बढ़ने का असर सीधा दिमाग पर भी हो सकता है, जो जानलेवा होता है।