ह्यूमन मेटान्यूमोन वअरस यानि एचएमपीवी कि बढ़ोतरी मौसम के स्वरूप के मुताबिक हो रही है। इसमें कुछ भी असमान्य नहीं है और परेशानी कि कोई बात नहीं है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने उत्तरी गोलार्ध में तीव्र शवसहन संक्रमण सहित एचएमपीवी के प्रसार के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि कई देशों में श्वसन संकरनाम के मामले बढ़ रहे हैं।
केंद्र सरकार ने एक बयान में कहा-
देश सांस से जुड़ी बीमारियों के मामलों में किसी भी बढ़त से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है। चीन में फ्लू के बढ़ते मामलों की वजह RSV और HMPV इस मौसम में इन्फ्लुएंजा के सामान्य वायरस हैं। सरकार स्थिति पर कड़ी नजर रख रही है। साथ ही WHO से चीन की स्थिति के बारे में समय-समय पर अपडेट देने को कहा है।
बैठक डायरेक्ट्रेट जनरल ऑफ हेल्थ सर्विस (DGHS) की अध्यक्षता में आयोजित की गई थी। इसमें विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), सेंटर फॉर डिजास्टर कंट्रोल, इंटीग्रेटेड डिजीज सर्विलांस प्रोग्राम (IDSP), नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR), इमरजेंसी मेडिकल रिलीफ डिवीजन और AIIMS-दिल्ली सहित कई एक्टपर्ट्स ने भाग लिया।
सरकार बोली- एहतियात के तौर पर टेस्टिंग लैब बढाएंगे सरकार ने कहा कि भारत में ICMR और IDSP के जरिए इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी (ILI) और इन्फ्लूएंजा के लिए गंभीर तीव्र श्वसन बीमारी (SARI) के लिए मजबूत निगरानी सिस्टम मौजूद है।
दोनों एजेंसियों के आंकड़ों से पता चलता है कि ILI और SARI मामलों में कोई असामान्य बढ़त नहीं हुई है।
एहतियात के तौर पर ICMR, HMPV की टेस्टिंग करने वाली लैब की संख्या बढ़ाएगा तथा पूरे साल HMPV के मामलों पर नजर रखेगा।
2 साल से कम उम्र के बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित HMPV एक RNA वायरस है। वायरस से संक्रमित होने पर मरीजों में सर्दी और कोविड-19 जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। इसका सबसे ज्यादा असर छोटे बच्चों पर देखा जा रहा है। इनमें 2 साल से कम उम्र के बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित हैं।
चीन के रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र (CDC) के मुताबिक इसके लक्षणों में खांसी, बुखार, नाक बंद होना और गले में घरघराहट शामिल हैं। HMPV के अलावा इन्फ्लुएंजा ए, माइकोप्लाज्मा निमोनिया और कोविड-19 के केस भी सामने आ रहे हैं। इसके मरीजों की संख्या लगातार बढ़ी है।