
दिल की बीमारियों से जूझ रहे मरीजों के लिए एक नई उम्मीद जगी है। वैज्ञानिकों ने ऐसा ‘पैच’ विकसित किया है, जो हार्ट फेलियर से प्रभावित हृदय को ठीक करने में सक्षम हो सकता है। इस शोध को प्रतिष्ठित जर्नल Nature में प्रकाशित किया गया है।
कैसे काम करता है यह दिल का ‘पैच’?
यह पैच स्टेम सेल से तैयार किया गया है, जिसे लैब में विकसित किया जाता है। फिर इसे मरीज के हृदय की सतह पर प्रत्यारोपित किया जाता है। शोधकर्ता प्रो. वोल्फ्राम-ह्यूबर्टस ज़िम्मरमैन के अनुसार, यह पैच दिल की धड़कन के साथ समायोजित होकर उसे ताकत देता है और नए रक्त वाहिकाओं का निर्माण करता है।
पहले परीक्षण में क्या हुआ?
इस तकनीक का पहला परीक्षण 2021 में हुआ था, जिसमें 46 वर्षीय महिला मरीज पर यह पैच लगाया गया। उसे 2016 में दिल का दौरा पड़ा था, जिसके बाद उसका हृदय कमजोर हो गया था। वैज्ञानिकों ने उसके दिल पर 10 पैच लगाए, जिनमें 400 मिलियन स्टेम सेल थे। परिणामस्वरूप, तीन महीने तक उसकी हालत स्थिर रही और वह हृदय प्रत्यारोपण के लिए योग्य हो पाई।
वैज्ञानिकों की क्या राय है?
शोधकर्ता इंगो कुट्शका ने बताया कि यह प्रक्रिया जटिल है, क्योंकि हृदय का ऊतक नरम होता है और इसे सही आकार में रखना चुनौतीपूर्ण होता है। लेकिन इस पैच ने खुद को दिल में फिट कर लिया और इसे मजबूती दी।
यूनिवर्सिटी ऑफ अलबामा के प्रोफेसर जियानी झांग ने इसे “ब्रेकथ्रू” करार दिया। वहीं, ब्रिटिश हार्ट फाउंडेशन के प्रोफेसर जेम्स लीपर ने इस शोध को “उत्साहजनक” बताया लेकिन यह भी कहा कि बड़े स्तर पर परीक्षण की जरूरत है।
क्या यह भविष्य में दिल की सर्जरी का विकल्प बन सकता है?
विश्वभर में करीब 60 मिलियन लोग हार्ट फेलियर से जूझ रहे हैं, लेकिन 99% मरीजों को नया दिल नहीं मिल पाता। ऐसे में वैज्ञानिकों का मानना है कि यह पैच तकनीक हृदय प्रत्यारोपण का बेहतर विकल्प बन सकती है और लाखों लोगों की जान बचा सकती है।
अगर बड़े पैमाने पर होने वाले परीक्षण भी सफल रहे, तो यह चिकित्सा क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है।