
इसेफेलाइटिस मस्तिष्क में होने वाली एक गंभीर बीमारी है। इसमें मुख्य रूप से मस्तिष्क के टिश्यू में सूजन आ जाती है। यह बीमारी वायरस, वैक्टीरियल, कवक या पैरासाइड के कारण होती है जो मस्तिष्क में पहुंचकर सूजन पैदा करते हैं। इसमें मस्तिष्क की कार्यशक्ति प्रभावित होती है। यह जानलेवा भी हो सकती है। ऐसे में बचाव के लिए टिकाकरण के साथ ही लक्षणों की पहचान होने पर उपचार भी जरूरी हो जाता है।
प्रकार
यह दो प्रकार का होता है। पहला स्पेरोडिक इन्सेफेलाइटिस है। इसके माह में एक-दो मामले आते हैं। दूसरा एपेड़ेमिक इन्सेफेलाइटिस। इसमें एक क्षेत्रफल में व्यापक स्तर पर लोग पीड़ित होते हैं। यह शरीर में कई तरह असर डालता है। वायरल इन्सेफेलाइटिस इसका सबसे सामान्य प्रकार है। इसमें भी अलग-अलग प्रकार होते है। जापानी इन्सेफेलाइटिस, डेंगू इन्सेफेलाइटिस, चिकनगुनिया इन्सेफेलाइटिस। इसमें मच्छरों के काटने से मस्तिष्क में वायरस प्रवेश करता है और सूजन का कारण बनता है।
कारण
हर्पीस सिम्प्लेक्स वायरस स्पोरेडिक इन्सेफेलाइटिस का मुख्य कारण होता है। जो वायरस वैक्टीरिया कवक और पैरासाइट के कारण फैलता है। कुछ इन्सेफेलाइटिस गैर-संक्रमित कारणों से भी हो जाते हैं जिसमें आटोम्युन इन्सेफेलाइटिस पैरान्यूप्लास्टिक इन्सेफेलाइटिस और एडम इन्सेफेलाइटिस शामिल है।
लक्षण
आमतौर पर, एन्सेफलाइटिस से पीड़ित व्यक्ति को निम्नलिखित में से कुछ अनुभव होंगे:
- बुखार
- सिरदर्द
- फ्लू जैसे लक्षण
- फोटोफ़ोबिया या प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता में वृद्धि
- कमजोरी
कम आम लक्षण
व्यक्ति को गर्दन में अकड़न का अनुभव हो सकता है । अंगों में अकड़न, धीमी गति से चलने और भद्दापन भी हो सकता है। उन्हें नींद भी आ सकती है और खांसी भी हो सकती है।