अवसाद और बेचैनी का एक कारण हो सकता है मधुमेह

अवसाद और चिंता आम मानसिक स्वास्थ्य विकार है। जो दुनियाभर में लाखों लोगों को प्रभावित कर रहे हैं। ये स्थितियां विशेष रूप से डायबिटीज़, क्रोनिक किडनी रोग, क्रोनिक लीवर रोग और तपेदिक जैसी पुरानी बीमारियों वाले व्यक्तियों में अधिक है। अवसाद में जहां लगातार उदासी और दैनिक गतिविधियों में अरुचि होती है तो वहीं व्यग्रता में अत्यधिक तनाव और घबराहट जैसे लक्षण दिखते हैं। दोनों स्थितियां जीवन के लिए चिंता जनक है। खासकर टाईप-2 मधुमेह की समस्या से जूझने वालों को अधिक सतर्क होने की अवसयकता है।

मधुमेह को काबू में रखने के लिए आहार पर सख्त नियंत्रण, नियमित व्यायाम, रक्त शर्करा की निगरानी और बार-बार चिकित्सा जांच आवश्यक है। इनमें जरा सी लापरवाही होने पर न केवल मधुमेह की समस्या बढ़ सकती है बल्कि अवसाद और चिंता की स्थिति गंभीर हो सकती है। नए अध्ययन से पता चलता है कि मधुमेह के साथ जी रहे लोग सामान्य आबादी कि तुलना में अधिक चिंता और अवसाद ग्रस्त होते हैं। अध्ययन का उद्देश्य इस मामले में त्रतीयक देखभाल केंद्र में आने वाले टाईप 2 प्रभावितों में चिंता और अवसाद की व्यापकता का व्यापक आकलन कर उस अंतर को भरना है। ऐसे लोगों में इस समस्या को भी समझने की ज़रूरत है। खासकर पूर्वी उत्तर प्रदेश में।

मानसिक सेहत कैसे प्रभावित होती है इंसुलिन की कमी से

मस्तिष्क में इंसुलिन के दो महत्वपूर्ण कार्य है भोजन सेवन को नियंत्रित करना विशेष रूप से स्म्रती को विनियमित करना। मस्तिष्क में इंसुलिन सिग्नलिंग में दोष न्यूरोडिजेनेरेटिव विकारों में योगदान कर सकता है। इंसुलिन प्रतिरोध संज्ञानात्मक प्रणाली को नुकसान पहुंचा सकता है और चिंता अवसाद या मनोभ्रंश की स्थिति पैदा कर सकता है।   

Zeen is a next generation WordPress theme. It’s powerful, beautifully designed and comes with everything you need to engage your visitors and increase conversions.