सितंबर की शुरुआत के साथ दिल्ली में डेंगू के मामले तेजी से बढ़ने लगे हैं। सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में हर दिन डेंगू के मरीज आ रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि पहले तीन-चार दिनों में एक मामला आता था लेकिन अब हर दिन ओपीडी में दो से तीन मरीजों में डेंगू की पुष्टि हो रही है। डॉक्टरों का मानना है कि अब लोगों को सचेत होने की जरूरत है।
अगस्त के आखिरी हफ्ते से बढ़े डेंगू के मामले
अगस्त के आखिरी हफ्ते से लेकर अब तक ये मामले तेजी से बढ़े हैं, साथ ही मलेरिया के केस भी सामने आ रहे हैं। जीबीटी, चाचा नेहरू पीडियाट्रिक अस्पताल, डीडीयू और इंदिरा गांधी सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल समेत कई अस्पतालों में डेंगू के मरीज बढ़ रहे हैं। पुरानी दिल्ली में निजी क्लीनिक चलाने वाले एनडीएमसीके पूर्व सीएमओ डॉ. अनिल बंसल ने बताया कि ओपीडी में 50 मरीज बुखार से पीड़ित आ रहे हैं जिनमें से तीन से चार मरीजों में डेंगू की पुष्टि हो रही है। ईस्ट दिल्ली के स्वामी दयानंद अस्पताल के डॉक्टरों ने बताया कि ओपीडी में वायरल फीवर के काफी मरीज आ रहे हैं। इसके अलावा अगस्त के आखिरी 15 दिन में डेंगू के 8 नए मामले सामने आए हैं। जबकि जून, जुलाई और शुरुआत अगस्त महीने में एक भी केस नहीं आया था।
कैपिलरी का लीक होना खतरनाक
डॉक्टरों का कहना है कि इस बीमारी से पीड़ित अधिकतर मरीज घर पर ही ठीक हो जाते हैं लेकिन कुछ लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती है। एम्स के मेडिकल विभाग के एडिशनल प्रोफेसर डॉक्टर नीरज निश्चल ने बताया कि डेंगू से पीड़ित होने पर शरीर में तरल पदार्थ की कमी और आराम न करना कम उम्र के लोगों को भी ज्यादा गंभीर बीमार कर देता है। इसलिए हर उम्र के लोगों को बीमारी के दौरान पानी पीने पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए। डेंगू के दौरान सबसे बड़ी परेशानी कैपिलरी-लीकेज की होती है। कैपिलरी शरीर में बहुत छोटी रक्त वाहिनियां होती हैं जिनकी मदद से खून के जरिए ऑक्सीजन और पोषक तत्व शरीर के ऊतकों तक पहुंचते हैं। कैपिलरी की दीवारें इस बीमारी में अधिक छिद्रदार हो जाती हैं जिस कारण खून कोशिकाओं से रिसता हुआ शरीर में ही जमा होने लगता है जो शरीर के किसी काम का नहीं रहता। इस वजह से शरीर में तरल प्लाज्मा की कमी होने लगती है। तरल प्लाज्मा की इसी कमी के कारण ब्लड प्रेशर तेजी से गिरता है और हिमैटोक्रिट में इजाफा होने लगता है।
बीपी की निगरानी जरूरी
एम्स के मेडिसन विभाग के प्रोफेसर डॉक्टर नवल विक्रम कहते हैं कि डेंगू के मरीजों में प्लेटलेट्स की संख्या कम होने से पहले मरीज के रक्तचाप की निगरानी अधिक महत्वपूर्ण है। प्लेटलेट्स कम होने से व्यक्ति की जान जाने का खतरा जितना है उससे कहीं अधिक खतरनाक उसकी शिराओं को जोड़ने वाली कैपिलरी के लीक होने से है। व्यक्ति के ब्लड प्रेशर कम होना इसका महत्वपूर्ण लक्षण है।
29 वर्षीय सचिन वेंटिलेटर पर पहुंचा
मुरादाबाद के रहने वाले सचिन को पांच दिन से बुखार था। जांच में उसे डेंगू की पुष्टि हुई। सचिन के परिजनों ने प्लेटलेट्स की चिंता कर उसे देसी दवाइयां देनी शुरू कर दीं। कुछ कड़वे पत्ते खाने से उसे उल्टी शुरू हो गई। इससे उसकी हालत और बिगड़ने लगी। जैसे-तैसे उसे दिल्ली लाया गया और राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती किया गया। डॉक्टर ने कहा कि मरीज उल्टी के बाद डिहाइड्रेशन की वजह से शॉक में चला गया और अभी वेंटिलेटर पर जीवन के लिए संघर्ष कर रहा है।
डेंगू के लक्षण
* ठंड लगने के बाद अचानक तेज बुखार आना।
* सिर, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होना।
* आंखों के पिछले हिस्से में दर्द होना जो कि आंखों को हिलाने या दबाने से बढ़ जाता है।
* कमजोरी, भूख न लगना, जी मिचलाना और मुंह का स्वाद खराब होना।
* गले में हल्का दर्द होना।
* शरीर में खासकर चेहरे, गर्दन और छाती पर लाल-गुलाबी रैशेज होना।
डेंगू से कैसे बचें
* घर या ऑफिस के आसपास पानी जमा न होने दें। गड्ढों को मिट्टी से पाट दें और नालियों की सफाई करें।
* जहां पानी जमा हो वहां पेट्रोल या केरोसिन डालें।
* कूलर, फूलदान और बर्तन का पानी हफ्ते में एक बार जरूर बदलें।
* घर में छत या खुले हिस्से में टूटे-फूटे सामान जैसे डिब्बे, बर्तन या टायर न रखें या उल्टा करके रखें जिससे उनमें पानी जमा न हो।
* पानी की टंकी को भी अच्छी तरह बंद रखें।
डेंगू होने पर क्या करें क्या न करें
* डेंगू में आराम करना और तरल पदार्थ लेते रहना बहुत जरूरी है।
* तरल पदार्थ में कोल्ड ड्रिंक और शराब शामिल नहीं हैं।
* डेंगू में बुखार आने पर सिर्फ पैरासिटामोल का इस्तेमाल करें।
* फैंसी दवाओं के चक्कर में न पड़ें।
* डेंगू में उल्टी होने से शरीर में डिहाइड्रेशन और हालत गंभीर होने का खतरा बढ़ जाता है।
* कुछ ऐसी चीज का सेवन न करें जिससे उल्टी होने का खतरा हो।
* अगर ब्लड प्रेशर कम हो रहा है तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।