दवा नियामक एजेंसी द्वारा दो साल से अधिक विचार-विमर्श के बाद, भारत की पहली ऐसी आई ड्रॉप्स को मंजूरी मिल गई है, जो पढ़ने के चश्मे की जरूरत को समाप्त कर सकती है। मंगलवार को मुंबई स्थित एंटोड फार्मास्युटिकल्स ने “प्रेसव्यू” नामक आई ड्रॉप्स लॉन्च की, जो पिलोकार्पिन के इस्तेमाल से बनाई गई हैं। यह दवा ‘प्रेसबायोपिया’ का इलाज करती है, जिसमें आंखों की पुतलियों का आकार घटाकर नज़दीकी वस्तुओं को देखने में आसानी होती है।
प्रेसबायोपिया एक उम्र से संबंधित समस्या है, जिसमें आंखें नज़दीक की चीज़ों पर ध्यान केंद्रित करने में असमर्थ हो जाती हैं। यह आमतौर पर 40 की उम्र के बाद महसूस होती है और 60 की उम्र तक यह समस्या बढ़ती जाती है।
15 मिनट में असर, 6 घंटे तक रहेगा प्रभाव
एंटोड फार्मास्युटिकल्स के सीईओ निखिल के मसरकर ने मीडिया आउटलेट्स को दिए गए एक साक्षात्कार में बताया कि “प्रेसव्यू” की एक बूंद केवल 15 मिनट में असर करना शुरू कर देती है, और इसका प्रभाव 6 घंटे तक बना रहता है। अगर दूसरी बूंद पहली के बाद तीन से छह घंटे के भीतर डाली जाती है, तो प्रभाव और भी लंबे समय तक रहता है।
मसरकर ने बताया, “अब तक धुंधली नज़दीकी दृष्टि के लिए कोई दवा-आधारित समाधान नहीं था, सिवाय पढ़ने वाले चश्मे, कॉन्टैक्ट लेंस या कुछ सर्जिकल हस्तक्षेपों के।”
भारतीय आंखों के लिए पहली बार परीक्षण
एंटोड फार्मास्युटिकल्स, जो कि नेत्र चिकित्सा, ENT और डर्मेटोलॉजी दवाओं में विशेषज्ञता रखती है और 60 से अधिक देशों में अपने उत्पादों का निर्यात करती है, ने इस आई ड्रॉप्स को भारतीय आंखों के लिए विशेष रूप से तैयार किया है।
मसरकर ने कहा, “हालांकि ऐसी दवाएं विदेश में उपलब्ध हैं, लेकिन उनका भारतीय आंखों पर परीक्षण नहीं किया गया हैं, जो कि कोकेशियाई आंखों से अलग होती हैं। हमने अपने फॉर्मूलेशन में कई बदलाव किए हैं।”
कौन खरीद सकता है ये दवा?
अक्टूबर के पहले सप्ताह से यह आई ड्रॉप्स डॉक्टर की पर्ची पर देशभर के फार्मेसी में उपलब्ध होगी, जिसकी कीमत ₹350 होगी। यह दवा 40 से 55 वर्ष की उम्र के लोगों के लिए हल्के से मध्यम प्रेसबायोपिया के इलाज के लिए संकेतित है।
यह उत्पाद केवल पंजीकृत मेडिकल प्रैक्टिशनर्स द्वारा दी गई पर्ची पर ही बेचा जाएगा, और कंपनी ने अपने क्षेत्रीय कर्मचारियों को डॉक्टरों को नवीनतम उत्पाद के बारे में जानकारी देने और शिक्षित करने के लिए प्रशिक्षित करना शुरू कर दिया है।
सफल क्लिनिकल ट्रायल और पोस्ट-लॉन्च सर्विलांस की तैयारी
मसरकर ने बताया कि कंपनी ने 2022 की शुरुआत में DCGI से मंजूरी के लिए आवेदन किया था, और इसके बाद फेज़ III के क्लिनिकल ट्रायल्स की मांग की गई।
भारत के 10 अलग-अलग स्थानों पर 250 से अधिक मरीजों पर किए गए ट्रायल्स के परिणामों को नियामक एजेंसी को सौंपा गया। परिणामस्वरूप, 82% मरीजों को कोई साइड इफेक्ट नहीं हुआ, जबकि कुछ मरीजों में अस्थायी जलन, आंखों की लाली, धुंधला दिखना और सिरदर्द जैसे हल्के साइड इफेक्ट देखे गए।
हालांकि इस अध्ययन के परिणाम अभी तक किसी पीयर-रिव्यूड जर्नल में प्रकाशित नहीं हुए हैं, कंपनी पोस्ट-मार्केट सर्विलांस के लिए तैयार हो रही है, जिसमें दिल्ली स्थित AIIMS सहित कई बड़े नेत्र देखभाल केंद्रों पर परीक्षण किया जाएगा।
मसरकर ने कहा, “हम इन परिणामों को मेडिकल जर्नल्स में भी प्रकाशित करेंगे, लेकिन फिलहाल हम पोस्ट-मार्केट सर्विलांस की तैयारी कर रहे हैं, जिससे हमें दवा के विभिन्न पहलुओं को समझने में मदद मिलेगी।”