कोरोना से डरें नहीं लड़ें: महामारी के खिलाफ फेफड़ों का सैनिटाइजर है भाप
कोरोना महामारी की वजह इस समय आम जनमानस से लेकर सरकार तक परेशान है। जनता को अस्पतालों में इलाज के लिए सुविधा नहीं मिल पा रही है। इसके अलावा घरों में आईसालेट होने वाले वाले मरीजों को भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इस महामारी से निपटने के लिए अब हर तरीके से तैयारी की जा रही है। अब आदमी को खुद से बचाना ही बहुत जरूरी हो गया है। ऐसे में एक खबर लखनऊ के एसपीजीआई और केजीएमयू से आ रही है। यहां के डॉक्टरों ने फेफड़ों को सेनेटाइज करने का तरीका खोजा है।
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जी हां, यह सुनने में थोड़ा अटपटा भले ही लग रहा होगा, लेकिन हकीकत यही है यहां के विशेषज्ञ डॉक्टरों ने रिसर्च करके पता लगाया है कि फेफेड़ों को भाप देने उन्हें मजबूत किया जा सकता है। प्रतिदिन भाप लेकर फेफड़ों को इतना मजबूत बनाया जा सकता है कि वे कोरोना महामारी का सफलतापूर्वक सामना कर सकते हैं। कोरोना से बचने के लिए वैज्ञानिक शुरू से भाप लेने की वकालत कर रहे हैं। भाप लेने से नाक व गले में जमा म्यूकस को पतला कर देता है। इससे सांस लेने में आसानी महसूस होती है। पर्याप्त आक्सीजन फेफड़ों तक पहुंचने से वह स्वस्थ रहते हैं।
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थर्मल इनएक्टीवेशन आफ सोर्स कोविड वायरस पर किया गया शोध मरीजों के लिए उम्मीद जगाने वाला रहा है। अब इससे भाप को कोरोना वायरस को निष्क्रिय करने का कारगर उपचार माना गया है। डॉक्टरों की तरफ से किया गया यह शोध "जर्नल आफ लाइफ साइंस" में प्रकाशित किया गया है।
एसीजीपीजीआइ में माइक्रोबायोलॉजी की विभागाध्यक्ष डा. उज्ज्वला घोषाल ने बताया कि भाप का प्रयोग करने से मरीज काो खांसी, बंद नाक में भी राहत मिलती है। यह अंदर जमा बलगम को पिघला देता है। भाप श्वांस नलियों में रक्त के प्रवाह को बढ़ाकर रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है। इससे सांस लेने में आसानी होती है और पर्याप्त आक्सीजन फेफड़ों तक पहुंचने से भी वह स्वस्थ रहते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार रोजाना दो से तीन बार पांच मिनट तक भाप लेने से वायरस मात खा सकता है।
उनकी तरफ से बताए गए तरीके के हिसाब से सादे पानी के साथ या उसमें विक्स, संतरे व नींबू के छिलके, लहसुन, टी ट्री आयल, अदरक, नीम की पत्तियां आदि में से कुछ भी मिलाकर लिया जा सकता है। इससे एंटीमाइक्रोबियल होते हैं जो वायरस को कमजोर करने में मदद करते हैं।
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