विश्वभर में मंडराया ‘मंकीपॉक्स’ का नया संकट

अफ्रीका में फैले एमपॉक्स का प्रकोप दुनिया के अन्य देशों में पहुंचने लगा है। यह वायरस यूरोप के स्वीडन और पड़ोसी देश पाकिस्तान तक पहुंच चुका है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (W.H.O) को आशंका है कि यह वायरस दुनिया के दूसरे देशों में फैल सकता है। इसकी शुरुआत अफ्रीकी देश ‘कांगो’ से हुई थी। कोरोना वायरस की तरह यह विमान यात्रा एवं अन्य ट्रैवलर साधनों से दूसरे देशों में फैल रहा है। अफ्रीका के दस देश इसकी गंभीर चपेट में हैं। 15 अगस्त को विश्व स्वास्थ्य संगठन(W.H.O) ने एमपॉक्स को इंटरनेशनल पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया है। 2022 के बाद से दूसरी बार एमपॉक्स को इंटरनेशनल पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया गया है। अब तक दुनिया भर में इसके 20,000 केस मिल चुके हैं और 537 लोगों की मौत हो चुकी है।

एमपॉक्स की शुरुआत एवं लक्षण

पहली बार मंकीपॉक्स 1958 में खोजा गया था, तब डेनमार्क में रिसर्च के लिए रखे दो बंदरों में चेचक जैसी बीमारी के लक्षण सामने आए थे।इंसानों में इसका पहला मामला 1970 में कॉन्गों में 9 साल के बच्चे में पाया गया। आम तौर पर ये बीमारी रोडेंट्स यानी चूहे, गिलहरी और नर बंदरों से फैलती है। यह बीमारी इंसानों से इंसानों में भी फैल सकती है। इसके लक्षण चेचक के समान होते हैं। इसमें शरीर में फफोले या छाले पड़ जाते हैं। इन फफोलों या छालों में मवाद भर जाता है। यह आकार में छोटे अथवा बड़े दाने के रूप में होते हैं। ये धीरे-धीरे सूखकर ठीक होते हैं। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति बुखार, जकड़न और असहनीय दर्द महसूस करता है।

मंकीपॉक्स वायरस सिर्फ बंदरों से ही नहीं फैलता बल्कि दूसरे जानवरों से भी फैलता है इसलिए 2022 में इसका नाम बदलकर एमपॉक्स कर दिया गया। अब पूरी दुनिया में इसे एमपॉक्स कहा जाता है।

कोरोना वायरस जितना संक्रामक नहीं है एमपॉक्स

एमपॉक्स के फैलने की रफ्तार धीमी है। यह कोरोना जितना संक्रामक नहींहै। इसमें मृत्यु दर भी कोरोना के मुकाबले बहुत कम है। पड़ोसी देश पाकिस्तान में मंकीपॉक्स के तीन मामले सामने आए हैं। तीनों मामले इंटरनेशनल फ्लाइट से उतरने वाले लोगों में मिले हैं। ये नहीं पता चल पाया कि तीनों में कौन सा वैरिएंट है। सऊदी अरब से मर्दन निवासी 34 वर्षीय पुरुष, 3 अगस्त को पाकिस्तान पहुंचा था। सप्ताह भर बाद उसने जांच कराई। 13 अगस्त को यह प्रमाणित हुआ कि उसे मंकीपॉक्स है। पाकिस्तान में एमपॉक्स से संक्रमित दूसरा व्यक्ति अफ्रीका से ही पाकिस्तान लौटा है, तीसरे व्यक्ति की जानकारी नहीं है। पाकिस्तान में पिछले साल मंकीपॉक्स से एक मरीज की मौत हुई थी। भारत में भी सऊदी अरब और अफ्रीका से आवाजाही चल रही है, इसलिए भारत में एमपॉक्स फैलने का खतरा है। 2022 में भी भारत एमपॉक्स की चपेट में आ चुका है।

तेजी से फैल रहा एमपॉक्स का क्लेड Ib’वैरिएंट

मंकीपॉक्स का ‘क्लेड Ib’ नामक एक नया वैरिएंट तेजी से फैल रहा है। यह मुख्य रूप से अफ्रीका के कांगो में पाया गया है। क्लेड Ibमुख्य रूप से घरेलू संपर्कों से फैल रहा है। यह अक्सर बच्चों को संक्रमित करता है। क्लेड IIbएमपॉक्स कावो वैरिएंट है जो पिछले साल 2022 में फैला था। यह वैरिएंट यौन संपर्कों से ज्यादा फैलता है। इस वायरस ने जुलाई 2022 में कहर बरपाया था जिसमें 116 देशों के लगभग एक लाख लोग प्रभावित हुए थे। इस वैरिएंट से प्रभावित होने वालों में ज्यादातर एलजीबीटी कम्यूनिटी के लोग थे। इस वैरिएंट ने 200 लोगों की जान ली थी। पिछले साल भारत में इसके 27 मामले मिले थे और एक मौत हुई थी। क्लेड Ib,क्लेड IIbके मुकाबले तेजी से फैलता है और अधिक घातक है।

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