क्या आप जानते हैं किस डॉक्टर ने बताया था आइसोलेशन का महत्व
कोरोना के संक्रमण (Coronavirus) की वजह से इस समय दो शब्द क्वारंटाइन (Quarantine) व आइसोलेशन (Isolation) सबसे ज्यादा चर्चा में हैं। ये शब्द मरीजों का इलाज करने में जुटे स्वास्थ्य कर्मियों से लेकर प्रशासन, सरकार और आम आदमी तक की जुबान पर हैं। वैसे, दोनों का अपना अलग-अलग महत्व और मायने हैं। चिकित्सीय भाषा में कोरोना संदिग्ध मरीज के लिए क्वारंटाइन शब्द का प्रयोग किया जाता है, जबकि पॉजिटिव मिले मरीजों के लिए आइसोलेशन (Isolation) शब्द का प्रयोग हो रहा है।
यह खबर भी पढ़ें: नजीर: क्वारंटाइन हुए मजदूरों ने बदल दी स्कूल की सूरत, पेंट करके चमकाया परिसर
आइसोलेशन (Isolation) के महत्व के बारे में आज नहीं बल्कि 80 साल पहले ही ब्रिटेन के चिकित्सक डॉ. जॉन डेवी (Dr. John Davie) ने बताया था। आखिर आइसोलेशन (Isolation) का क्या महत्व रहेगा और इसको करने का क्या तरीका होता है। इसके बारे में उन्होंने अपनी किताब 'एक्यूट इन्फेक्शियस डिजीज' में बताया था। उन्होंने इस किताब के माध्यम से जो बातें कहीं थीं, वह आज 80 साल के बाद सच साबित हो रही है। यह उस समय हो रहा है जब कोरोना वायरस (Coronavirus) से पूरी दुनिया जंग लड़ रही है। अमेरिका, ब्रिटेन, इटली, फ्रांस जैसे शक्तिशाली देश इस बीमारी की वैक्सीन की खोज कर रहे हैं।
यह खबर भी पढ़ें: भारतीय रेलवे ने पकड़ी रफ्तार अब तक 40 हजार आइसोलेशन बेड कर चुका तैयार
चिकित्सकों और मेडिकल छात्रों के लिए लिखी किताब
डॉ. जॉन डेवी (Dr. John Davie) ने अपनी किताब उस समय लिखी थी जब पूरी दुनिया संक्रामक बीमारियों की चपेट में थी। उन्होंने अपनी किताब में लिखा था कि अगर रोगी के लिए होम नर्सिंग की व्यवस्था की जाती है तो उसका कमरा जितना हो सके कम सामान वाला होना चाहिए, अच्छी तरह हवादार (ताकि प्राकृतिक हवा मिलती रहे) और घर के अन्य सदस्यों से दूर बना होना चाहिए। यही नहीं मरीज के साबुन से बार-बार हाथ धोने से लेकर शरीर को रगड़कर नहाने और ताजी हवा के बारे में उन्होंने बताया था। उस समय किताब में बताई गईं बातों को इस समय अमल किया जा रहा है और वर्तमान में बनने वाले आइसोलेशन (Isolation) और क्वारंटाइन (Quarantine) केंद्र में ऐसी ही व्यवस्था दी जा रही है। आइसोलेशन (Isolation) वार्ड बनाते समय एकांत जगह का ही चयन किया जा रहा है। यही नहीं आसपास में ज्यादा आवास न हो और ताजी हवा मिलने में आसानी हो।
यह खबर भी पढ़ें: अगर आपको है नशे की लत तो लॉकडाउन है इससे पीछा छुड़ाने का सबसे सही वक्त
इलाज का यह बताया तरीका
डॉ. जॉन डेवी (Dr. John Dewey) ने अपनी किताब 'एक्यूट इन्फेक्शियस डिजीज' में आइसोलेशन (Isolation) के बारे में कई नियम और जरूरी बातों को बताया था। उन्होंने रोगी के थूक, बलगम, कपड़ों और खाने के बर्तन को कैसे रखा जाए और सफाई का क्या-क्या तरीका अपनाया जाए इसके बारे में विस्तार से बताया था। इस किताब में बताया गया है कि खाने के बर्तन अच्छी तरह से साफ और हमेशा ही अलग रखे जाने चाहिए। इसके अलावा बायो वेस्ट को जल्दी से जल्दी नष्ट करने को भी कहा गया था। वायरस (Virus) के संक्रमण काफी सक्रिय होने की वजह से अन्य सदस्यों में बायो वेस्ट की वजह से वायरस पहुंचने का खतरा अधिक रहता है। उनकी किताब (Book) में यह भी लिखा गया कि संक्रामक रोगों में आइसोलेशन (Isolation) भी एक तरह का इलाज ही है। संक्रमित रोगी के कमरे का तापमान 50 से 60 फारनेहाइट यानी करीब 12 से 14 डिग्री सेल्सियस के बीच में होना चाहिए।
किताब (Book) की बातों की पुष्टि करते हुए उत्तर प्रदेश के रायबरेली में तैनात वरिष्ठ चिकित्साधिकारी डॉ. बीरबल (Dr. Birbal) कहते हैं कि डॉ. जॉन डेवी ने जो बातें किताब में आइसोलेशन (Isolation) के संबंध में बताई थीं, बिल्कुल वही तरीका अपनाया जा रहा है। मरीजों का इलाज करते समय उन्हें परिवार से दूर एकांत में रखा जाता है जहां पर समय साफ-सफाई से लेकर अन्य चीज पर बहुत महत्व दिया जाता है।
यह खबर भी पढ़ें: कोरोना के दौरान बुर्जुगों का कुछ इस तरह रखें ध्यान, अपनाएं ये टिप्स
जानें कौन थे डॉ. जॉन डेवी (Dr. John Davie)
आइसोलेशन (Isolation) के महत्व को बताने वाले डॉ. जॉन डेवी ब्रिटेन के रहने वाले थे। उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान चेचक, टाइफस और स्कार्लेट ज्वर जैसी संक्रामक बीमारियों के लिए ब्रिटेन के प्रमुख चिकित्सा अधिकारियों में से एक थे। 1930 के दशक में डेवी लंदन के पश्चिमी अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक थे। उन्होंने घातक बीमारी चेचक सहित अन्य संक्रामक बीमारियों के बारे में विशेष अध्ययन किया था। उन्होंने 1940-74 में चेचक की महामारी के दौरान इलाज किया था। बता दें इस बीमारी की वजह से फ्रांस में 20 हजार सैनिकों की जान युद्ध के दौरान चली गई थी। इसकी वजह से फ्रांस को बहुत ही आघात पहुंचा था। डॉ. जॉन डेवी ने इस बीमारी को जड़ से खत्म करने के लिए पानी में कोर्बोलिड एसिड मिलाकर नहाने का तरीका बताया था। उन्होंने यह भी बताया था कि इस एसिड को शरीर में पोंछने से भी लाभ मिलता है।
यह खबर भी पढ़ें: केजीएमयू ने कोरोना को हराने के लिए दिया ये डायट चार्ट
क्या है आइसोलेशन (Isolation)
आइसोलेशन (Isolation) को कुछ इस तरह से समझते हैं, अगर आपको ऐसा लगता है कि आप संक्रमित हो सकते हैं तो आप खुद को सेल्फ आइसोलेट (Isolat) कर लें या आइसोलेशन (Isolation) में चले जाएं। स्वयं को दूर रखने का मतलब यह है कि लोगों से अपने को दूर करना। कोरोना वायरस (Coronavirus) जैसी खतरनाक बीमारी से बचाव करने का यह पहला कदम होता है। यह कोविड-19 से संक्रमित होने वाले मरीजों के लिए होता है। इसमें किसी दूसरे व्यक्ति को संक्रमित व्यक्ति के कमरे में जाने की अनुमति नहीं होती है। उनसे सिर्फ मेडिकल प्रोफेशनल्स ही इलाज के लिए मिलते हैं।
कैसे बनाए आइसोलेशन (Isolation) वार्ड
अगर आपको कोरोना वायरस (Coronavirus) के संक्रमण का शक है तो आप स्वयं को आइसोलेट (Isolat) कर सकते हैं। आइसोलेशन (Isolation) का कमरा हवादार होना चाहिए। अपना अलग बाथरूम होना चाहिए। ऐसी स्थिति में बिल्कुल भी हॉस्पिटल (Hosiptal) न जाएं। अगर आपको जांच करानी हो तो फोन से सूचना दें, जिससे स्वास्थ्य विभाग की टीम आकर सुरक्षित तरीके से आपका सैंपल ले सके। जांच के लिए लार देते समय भी खास सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है। अगर सही तरीके से लार न दी जाए तो फिर रिपोर्ट पर संशय बना रहता है।
यह खबर भी पढ़ें: कोरोना से जीतने को भारत तैयार, युद्ध स्तर पर बन रहे आइसोलेशन वार्ड
14 दिन क्यों होते हैं महत्वपूर्ण
कोरोना वायरस (Coronavirus) की बीमारी में 14 दिन की दूरी बनाए रखने के लिए सलाह इसलिए दी जाती है ताकि इस बीमारी की चेन को तोड़ा जा सकें। आइसोलेशन (Isolation) और क्वारंटाइन (Quarantine) के समय कम से कम 14 दिन लोगों से बिल्कुल दूर रहने के लिए कहा जाता है। ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि कोरोना (Coronavirus) के लक्षण आने में ज्यादातर मामलों में 6 दिन का समय लग ही जाता है। इसके बाद अगले 8 दिन तक संक्रमित व्यक्ति में बुरी तरह से यह संक्रमण फैल सकता है यानी बीमारी के लक्षण उजागर होने के पहले के 6 दिन और लक्षण उजागर होने के बाद के 8 दिन यानी की मतलब 6+8=14 दिन। यह बहुत ही महत्वपूर्ण होते हैं। ऐसे में अगर किसी व्यक्ति में लक्षण दिखते हैं तो फिर उसका इलाज तब तक किया जाता है जब तक कि रिपोर्ट निगेटिव न आ जाएं।
यह खबर भी पढ़ें- कोरोना से जंग में बच्चों ने गुल्लक फोड़ी तो किसानों ने सरकार को दान की सम्मान निधि
संबंधित खबरें
सोसाइटी से
अन्य खबरें
Loading next News...