UPPCS 2018: आयोग के प्रति सोशल मीडिया पर आक्रोश, हिन्दी मीडियम का बेहतर नहीं रहा रिजल्ट

उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (Uttar Pradesh Public Service Commission) की पीसीएस 2018 मुख्य परीक्षा का परिणाम जारी कर दिया गया है। इस बार के परिणाम 988 पदों के सापेक्ष में 2679 लोगों को इंटरव्यू के लिए बुलाया गया है। आयोग की तरफ परिणाम जारी किए जाने के बाद इसका विरोध शुरू कर दिया गया है। डॉ. प्रभात के अध्यक्ष बनने के बाद का यह पहला परिणाम है।
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इस परिणाम को लेकर अब सोशल मीडिया पर आवाज उठने लगी है। सोशल मीडिया (Social Media) पर ऐसा आरोप लगाया जा रहा है कि इस बार अंग्रेजी माध्यम के अभ्यर्थियों के लिए बेहतर रिजल्ट रहा। इस बार बहुत अधिक संख्या में अंग्रेजी माध्यम के लोग पास हुए हैं। अंग्रेजी माध्यम के अभ्यर्थियों के लिए बेहतर परिणाम आने के बाद सोशल मीडिया पर अभियान छेड़ दिया गया है। ऐसा कहा रहा है कि इस बार स्केलिंग भी नहीं कराई गई है, जिसकी वजह से मानविकी और हिन्दी माध्यम के छात्रों को झटका लगा है और अधिक संख्या में वह ही लोग बाहर हुए हैं। प्रतियोगी अभ्यर्थियों का कहना है कि वर्तमान लोकसभा अध्यक्ष ने इसे भी संघ लोक सेवा (UPSC) आयोग बना दिया है। जैसे यूपीएससी (UPPCS) के एग्जाम में हिन्दी पट्टी के अभ्यर्थियों को बहुत नुकसान हो रहा है, वैसे ही अब लोक सेवा आयोग (Uttar Pradesh Public Service Commission) में भी किया जा रहा है।
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आयोग का बदला पैटर्न दे गया मात
पीसीएस मेंस 2018 के जारी परिणाम में इस बार पैटर्न पूरा का बदल गया है, इसकी वजह से हिंदी माध्यम के छात्रों के लिए परिणाम कुछ निराशाजनक रहा है। पैटर्न के बदलने की वजह से ही इस बार बहुत कुछ बदल गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि मुख्य परीक्षा का पैटर्न बदलकर सिविल सेवा परीक्षा (Civil Service Exam) यानी आईएएस (IAS) की ही तरह कर दिया गया है। इसका असर 2018 के परिणाम पर भी दिख रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार बदले पैटर्न की वजह से ही सिविल सेवा की तैयारी करने अभ्यर्थियों के अधिक सफलता मिली है। यूपीएससी (UPSC) के मुख्य परीक्षा के पैटर्न पर के आधार पर तैयारी करने वाले सफल रहे हैं। वहीं, इस बार परीक्षा में पुराने पैटर्न पर तैयारी करने वाले अभ्यर्थियों को कम सफलता मिली हे। इस बार वहीं अभ्यर्थी ज्यादा सफल हुए है जो कि सिविल सेवा की मुख्य परीक्षा या फिर इंटरव्यू दे चुके हैं।
प्रतियोगी अभ्यर्थियों के आरोप पूरी तरह से गलत
प्रतियोगी अभ्यर्थियों की तरफ से जिस तरह से आयोग (Uttar Pradesh Public Service Commission) पर आरोप लगाए जा रहे हैं, उसको देखते हुए अब आयोग ने स्पष्ट किया है कि किसी भी छात्र के साथ में अन्याय नहीं किया गया है। आयोग के सचिव जगदीश कुमार ने कहा कि प्रतियोगी छात्रों के आरोप पूरी तरह से गलत है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के आदेश पर ही स्केलिंग की जाती है और कोर्ट का मामला होने की वजह से उसे हटाया नहीं जा सकता है। उन्होंने कहा कि आयोग ने परिणाम सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की तरफ से जारी नियमों और शर्तों के हिसाब से ही जारी किया गया है। उन्होंने कहा कि परिणाम विज्ञापन में दी गई बातों के हिसाब से ही जारी किया गया है। उन्होंने कहा कि बकौल सचिव भर्ती प्रक्रिया के बीच में नियम और शर्तों में बदलाव किए जाने का प्रतियोगियों (Competition) का आरोप भी निराधार है। उन्होंने साफ-साफ कहा कि परीक्षा में असफल प्रतियोगी छात्र ही दुष्प्रचार कर रहे हैं।

इन विषयों के कम अभ्यर्थी पास
उत्तर प्रदेश पीसीएस मुख्य परीक्षा 2018 (PCS Mains 2018) के परिणाम जारी कर दिया गया है, लेकिन इस बार स्केलिंग न होने से प्रतियोगी छात्रों में आक्रोश है। इसका मुख्य कारण यह है कि प्रमुख मानविकी विषयों इतिहास, भूगोल, राजनीति विज्ञान, लोक प्रशासन, दर्शनशास्त्र, रक्षा अध्ययन, समाजकार्य आदि विषयों में बहुत ही कम नंबर मिले हैं। इन विषयों में स्केलिंग न होने की वजह से परिणाम में प्रतियोगियों के गढ़ अल्लापुर, सलोरी, तेलियरगंज, बघाड़ा, मम्फोर्डगंज सहित सभी छात्रावासों में इस बार सफलता का प्रतिशत बहुत ही कम रहा है।
भ्रष्टाचार मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष कौशल सिंह, आलोक सिंह बंटी, बीएन गुप्ता, अतुल कुशवाहा, आशुतोष, अरविंद कुमार यादव, अमित चौधरी, गिरीश पांडेय, रितेश सिंह, एसएस बरनवाल, चंद्रशेखर सिंह पाठक, अविनाश सिंह, केके सिंह, संजीव सिंह, डिंपल सिंह सहित अन्य छात्रों ने इस बार आयोग (Uttar Pradesh Public Service Commission) की तरफ से स्केलिंग न करने का आरोप लगाया है।
प्रतियोगी छात्रों को नियमों पर एतराज
सचिव की तरफ से इस तरह से दी गई सफाई पर प्रतियोगी छात्रों ने आपत्ति जताई है और कहा कि जब पीसीएस 2019 (UPPCS 2019) का नोटिफिकेशन जारी होने से पूर्व ही मेंस के लिए एक पद के सापेक्ष 18 के बजाए 12 और इंटरव्यू के लिए तीन के बजाए दोगुना अभ्यर्थियों को सफल किए जाने की बात कहीं जा रही थी, तब भी सचिव ने इसका खंडन किया था।
उन्होंने कहा कि आयोग (Uttar Pradesh Public Service Commission) की तरफ से जारी की गई है वह बात बाद में सच साबित हुआ था। प्रतियोगी छात्रों का कहना है कि आखिर क्या हुआ जिसकी वजह से अब आयोग ने नियमों में बदलाव कर दिया है। प्रतियोगी छात्रों का कहना है कि 2017 के परिणाम से पूर्व जब प्रतियोगियों ने सिर्फ स्केल्ड मार्क्स जारी होने बात कही थी तब भी सचिव ने खंडन किया था।
रिजल्ट आने के बाद सबकुछ साफ हो गया, मार्कशीट में सिर्फ स्केल्ड नंबर को ही दर्शाया गया था। प्रतियोगी छात्रों का कहना है कि एलटी ग्रेड के हिन्दी और सामाजिक विज्ञान के परिणाम को लेकर सचिव और आयोग अध्यक्ष सहित अन्य अफसर कई बार झूठा आश्वासन दे चुके हैं, ऐसे में इनके बयान पर आखिर कैसे विश्वास किया जा सकता है।

अब आयोग के खिलाफ कोर्ट जाने की तैयारी
इस बार जिस तरह का परिणाम रहा है, उसको लेकर काफी आक्रोश इस बार देखने को मिल रहा है। लिखित स्पष्टीकरण न देने की स्थिति में आयोग के खिलाफ अभ्यर्थी मुहिम छेड़ने जा रहे हैं। यही नहीं इस मामले कोर्ट तक भी ले जाने की बात कह रहे हैं। आयोग के खिलाफ मुहिम छेड़ने वाले भ्रष्टाचार मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष कौशल सिंह का कहना है कि आयोग(Uttar Pradesh Public Service Commission) के सचिव के मौखिक है और पूर्व में उनकी तरफ से कही गई बातों के हिसाब से हम भरोसा नहीं कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि आयोग (Uttar Pradesh Public Service Commission) स्केलिंग को लेकर लिखित स्पष्टीकरण जारी करें और इस बारे में आरटीआई (RTI) के तहत मांगी गई सूचना में स्पष्ट जानकारी दे। उन्होंने कहा कि अगर आयोग ऐसा नहीं करेगा तो फिर प्रतियोगी अभ्यर्थी (Competiton) इस मामले को लेकर हाईकोर्ट में याचिका भी दाखिल करेंगे। उन्होंने कहा कि आयोग (Uttar Pradesh Public Service Commission) के लोग नियमों को लेकर स्पष्ट नहीं है। उन्होंने कहा कि आए दिन नए नियम लागू करना ठीक नहीं है मामला विवादित हो सकता है।
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