PMIS में बदलाव: स्थानीय युवाओं को मिलेगा अधिक अवसर, कंपनियों को मिलेगा चयन अधिकार

सरकार प्रधानमंत्री इंटर्नशिप योजना (PMIS) में महत्वपूर्ण बदलावों पर विचार कर रही है ताकि यह अधिक प्रभावी हो और अधिक से अधिक नौकरी तलाशने वाले युवाओं को इसका लाभ मिल सके। इस योजना का उद्देश्य युवाओं को व्यावहारिक अनुभव और उद्योगों में रोजगार के अवसरों से जोड़ना है।

1. योजना में प्रस्तावित बदलाव और उनकी जरूरत

वर्तमान में, सरकार ही इंटर्नशिप पदों के लिए उम्मीदवारों को शॉर्टलिस्ट करती है और उन्हें विभिन्न राज्यों में स्थित कंपनियों में भेजती है। लेकिन कई उम्मीदवार दूसरे राज्यों में जाने को तैयार नहीं होते, जिससे इंटर्नशिप की प्रभावशीलता कम हो जाती है।

सरकार अब राज्य-विशिष्ट चयन प्रक्रिया अपनाने पर विचार कर रही है, यानी प्रत्येक राज्य में स्थित कंपनियों के लिए उसी राज्य के उम्मीदवारों को प्राथमिकता दी जाएगी। इससे स्थानीय युवाओं को आसानी से अवसर मिल सकेंगे और उन्हें आर्थिक या पारिवारिक कारणों से बाहर जाने की आवश्यकता नहीं होगी।

2. योजना से जुड़ी प्रमुख चुनौतियाँ

PMIS को सुचारू रूप से लागू करने में कई समस्याएँ सामने आई हैं:

(i) भूगोलिक बाधाएँ:

  • वर्तमान में ₹5,000 प्रति माह का वजीफा और ₹6,000 का एकमुश्त भत्ता दिया जाता है।
  • यह राशि इतनी कम है कि युवा दूसरे राज्यों में जाकर इंटर्नशिप करने के लिए तैयार नहीं होते।
  • विशेष रूप से उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार और हरियाणा में बड़ी संख्या में इंटर्नशिप के अवसर उपलब्ध हैं, लेकिन अन्य राज्यों के उम्मीदवार वहाँ जाने के इच्छुक नहीं होते।

(ii) उद्योगों की भागीदारी:

  • बड़ी कंपनियाँ चाहती हैं कि वे स्वयं इंटर्न का चयन करें, लेकिन अभी यह अधिकार सरकार के पास है।
  • कई कंपनियाँ सरकार द्वारा भेजे गए उम्मीदवारों को उपयुक्त नहीं पाती हैं, जिससे योजना की सफलता पर असर पड़ता है।

(iii) योग्यता का असंतुलन:

  • सरकार की शॉर्टलिस्टिंग प्रक्रिया में कई बार ऐसे उम्मीदवार भेजे जाते हैं, जो कंपनियों की आवश्यकताओं के अनुरूप नहीं होते।
  • इससे कंपनियों को इंटर्न को प्रशिक्षित करने में कठिनाई होती है और वे योजना से जुड़ने में रुचि नहीं दिखाती हैं।

(iv) इंटर्नशिप स्वीकार्यता की कमी:

  • पहले दौर में सरकार ने 82,077 इंटर्नशिप अवसर उपलब्ध कराए थे, लेकिन केवल 28,141 उम्मीदवारों ने इसे स्वीकार किया।
  • इनमें से भी 20,000 से कम इंटर्न ही वास्तव में कार्यस्थल पर उपस्थित हुए, जिससे योजना की प्रभावशीलता पर सवाल उठे।

3. प्रस्तावित समाधान

(i) राज्य-विशिष्ट चयन प्रक्रिया लागू करना

  • स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता देने से उनकी भागीदारी बढ़ेगी और उन्हें अपने ही राज्य में अवसर मिल सकेंगे।
  • इससे ड्रॉपआउट दर कम होगी और इंटर्नशिप को अधिक आकर्षक बनाया जा सकेगा।

(ii) उद्योगों को अधिक स्वतंत्रता देना

  • यदि कंपनियों को स्वयं उम्मीदवारों का चयन करने की अनुमति दी जाए, तो वे अपनी आवश्यकताओं के अनुरूप योग्य उम्मीदवारों को चुन सकेंगी।
  • इससे कंपनियाँ योजना में अधिक रुचि लेंगी और इंटर्नशिप के प्रभावी परिणाम सामने आएंगे।

(iii) इंटर्नशिप वजीफे में सुधार

  • ₹5,000 प्रति माह का वजीफा काफी कम है, खासकर जब किसी अन्य राज्य में रहने-खाने का खर्च भी शामिल हो।
  • वजीफे को बढ़ाने से उम्मीदवारों की रुचि बढ़ सकती है और वे अपने राज्यों से बाहर जाकर भी अवसरों को अपनाने के लिए तैयार हो सकते हैं।

सरकार ने योजना के बेहतर कार्यान्वयन के लिए कंपनियों को “PMIS सेल” बनाने का सुझाव दिया है ताकि वे इंटर्नशिप से जुड़ी प्रक्रियाओं को सुचारू रूप से चला सकें। सरकार का लक्ष्य है कि वर्तमान वित्तीय वर्ष में 500 भागीदार कंपनियों के माध्यम से 1,25,000 इंटर्नशिप प्रदान की जाएं।

अगर राज्य-विशिष्ट चयन नीति अपनाई जाती है और कंपनियों को उम्मीदवार चुनने की स्वतंत्रता मिलती है, तो यह योजना अधिक प्रभावी हो सकती है और युवाओं को रोजगार के बेहतर अवसर उपलब्ध कराए जा सकते हैं।

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