सिविल सेवा परीक्षा में सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों की उम्र सीमा घटाने की तैयारी
देश में नौजवान अफसरों की फौज बनाने के लिए केंद्र जल्द ही सिविल सेवा परीक्षा की उम्र घटाने जा रही है। भारत सरकार के थिंक टैंक नीति आयोग ने सिविल सेवा परीक्षा में सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों की अधिकतम उम्र 30 साल से कम करके 27 साल किए जाने का सुझाव दिया है। नीति आयोग के इस सुझाव पर केंद्र की मोदी सरकार काम भी कर रही है। हालांकि नीति आयोग ने चरणबद्ध तरीके से 2022-23 तक इसे लागू करने की वकालत की है। यह बात बुधवार को जारी हुई ‘नए भारत के लिए रणनीति@75’ में कहीं गई है। नीति आयोग ने सभी सिविल सेवाओं के लिए एकीकृत परीक्षा आयोजित करने पर भी जोर दिया है। बता दें कि अभी केंद्र की अलग और राज्यों की अलग-अलग तरीके से परीक्षा होती है। इस वक्त केंद्र और राज्य स्तर पर 60 से ज्यादा अलग-अलग तरह की सिविल सेवाएं हैं।
चरणबद्ध तरीके से किया जाए लागू
नीति आयोग ने सिविल सेवा की तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों को ध्यान में रखते हुए इसे चरणबद्ध तरीके से लागू करने पर जोर दिया है। आयोग की तरफ ने दस्तावेज में कहा है कि सिविल सेवाओं के लिए सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों की उम्र को 30 से घटाकर 27 वर्ष की जाए, लेकिन इसे 2022-23 तक किया जाए। आयोग ने यह भी कहा है कि जिस तरीके से अभी राज्य और केंद्र की सेवाओं में कोई तालमेल नहीं है उसको मिलाने की जरूरत है। आयोग ने कहा कि सेवाओं को युक्तिसंगत बनाने और तालमेल के जरिये ही इनकी संख्या कम किया जा सकता है।
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‘टैलेंट पूल’ के तहत हो नियुक्तियां
आयोग ने अपने दस्तावेज में कहा है कि नियुक्तियां ‘केंद्रीय ‘टैलेंट पूल’ के तहत ही की जानी चाहिए। नियुक्तियां होने के बाद उम्मीदवारों की क्षमता और रोजगार की जरूरत के आधार पर उनका आवंटन किया जाना चाहिए। आयोग ने कहा कि "अभी जिस तरीके से अलग-अलग नौकरियों की भर्तियां हो रही है इनको एकीकृत करने की जरूरत है। नीति आयोग ने कहा कि सिविल सेवाओं के लिए परीक्षाओं की संख्या एक के स्तर पर लाई जानी चाहिए और इसमें अखिल भारतीय रैंकिंग की जानी चाहिए। यही नहीं आयोग ने यह भी कहा कि राज्यों को भी इसी पूल से नियुक्तियों के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।" नीति आयोग ने अपने दस्तावेज में स्वायत्त निकायों के कर्मचारियों की सेवा शर्तों को नियमित करने और उसमें तालमेल लाने की जरूरत है।
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