National Education Policy 2020: पढ़ाई का बदलेगा स्वरूप, अब नए सिस्टम में ऐसे होगा काम

केंद्र सरकार (Central Government) की तरफ से अप्रूव की गई नई शिक्षा नीति (New Education Policy (NEP 2020) में देश के हर बच्चे को स्कूल तक पहुंचाने और शिक्षा व्यवस्था को सरल बनाने तक पर ध्यान दिया गया है। केंद्र सरकार (Central Government) ने बोर्ड परीक्षा (Board Exams) का डर समाप्त करने के लिए जहां सेमेस्टर पद्धति को नौवीं से लेकर जहां 12वीं तक में लागू कर दिया है, तो वहीं विषयों को लेकर भी आजादी दे दी है। यही नहीं, शिक्षा से कोई भी बच्चा वंचित न रहे, इसके लिए भविष्य को लेकर कई योजनाएं बनाई गई है।
New Education Policy 2020: वर्षों तक पढ़ाने वाले शिक्षामित्रों का ये होगा अंजाम
यही नहीं, अब नई शिक्षा नीति (New Education Policy (NEP 2020) के तहत 2030 तक देश में सभी बच्चों को स्कूली शिक्षा देने और शत-प्रतिशत नामांकन का लक्ष्य भी रखा गया है। हर बच्चे को स्कूली शिक्षा मिले, इसके लिए खास प्लान तैयार किया गया है। अब सरकार (Central Government) हर बच्चे तक शिक्षा पहुंचाना या शिक्षा से जोड़ना है। यही नहीं, सरकारी और निजी स्कूलों की शिक्षा गुणवत्ता पर मॉनिटरिंग से लेकर अन्य चीजों के लिए सभी को राज्य स्कूल मानक प्राधिकरण से जोड़ा गया है। ऐसा पहली बार होगा कि सरकारी और निजी स्कूलों के लिए सामान नियम लागू होंगे। इसमें निजी स्कूलों की फीस से लेकर पाठ्यक्रम से लेकर वेतन आदि पर भी ध्यान दिया जाएगा। यही नहीं, अब शिक्षा व्यवस्था को लेकर कुछ ऐसा खास किया जा रहा है ताकि बच्चों और अभिभावकों को अधिक से अधिक लाभ हो सकें।

बोर्ड परीक्षा को लेकर खास प्लान
1986 के बाद देश में लागू होने जा रही नई शिक्षा पद्धति (New Education Policy (NEP 2020) में बोर्ड परीक्षा (Board Exams) पर अधिक से अधिक फोकस दिया गया है। नई शिक्षा नीति के तहत 10वीं और 12वीं में होने वाली बोर्ड परीक्षा 24 से ज्यादा विषय न होने पाए, ऐसा कुछ सुनिश्चित किया जाएगा। यही नहीं, बोर्ड परीक्षा में एक बार फेल या अच्छा प्रदर्शन न कर पाने वाले छात्रों को दो या उससे अधिक बार भी मौका दिया जाएगा। यहीं नहीं, नई व्यवस्था (New Education Policy (NEP 2020) के तहत अब नौवीं के बाद विषय चुनने का भी विकल्प दिया जाएगा। बोर्ड परीक्षा का स्वरूप कैसा हो, इसके लिए एनसीईआरटी (NCERT) अगले वर्ष तक नेशनल कैरिकुलम फ्रेमवर्क 2020 तैयार करेगा। बता दें, अभी केंद्रीय बोर्ड से लेकर राज्य तक के बोर्ड में स्कूली शिक्षा नेशनल कैरिकुलम फ्रेमवर्क 2005 के तहत ही चल रही है। अब इस पर समीक्षा करके 2022 की परीक्षा पाठ्यक्रम के आधार पर होगी।
अब एमडीएम में मिलेगा बच्चों को नाश्ता
बच्चों की सेहत का ख्याल रखने के लिए केंद्र सरकार (Central Government) की तरफ से चलाई जा रही एमडीएम यानि मिड-डे मील (MDM) में अब बहुत कुछ खास किया जाएगा। अब बच्चों को स्कूलों की तरफ और आर्कषित करने के लिए और शत् प्रतिशत नामांकन पर जोर दिया जाएगा। अब बच्चों को नाश्ता भी दिया जाएगा। इस तरह से ग्रामीण, पिछड़े व आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के छात्रों को पढ़ाई से जोड़े रखने के लिए स्कूलों में नाश्ता भी दिया जाएगा। बता दें, अभी तक सिर्फ एमडीएम (MDM) के तहत बच्चों को दोपहर का भोजन ही दिया जाता है। अब इसी साल से बच्चों को पौष्टिक नाश्ता भी दिया जाएगा। इसके अलावा बच्चों को शारीरिक जांच के आधार पर सभी को हेल्थ कॉर्ड भी मिलेगा।
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कस्तूरबा स्कूलों का होगा विस्तार
राज्यों में बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए चल रहे कस्तूरबा गांधी आवासीय स्कूलों का विस्तार किया जाएगा। अब कस्तूरबा स्कूलों में भविष्य में 12वीं कक्षा तक पढ़ाई होगी। इस योजना के तहत जिनकी इकलौती संतान बेटी हो उनको यहां पर नामांकन दिलाया जाएगा। यही नहीं, सरकार (Central Government) इसके अलावा बेटियों को शिक्षा में बढ़ावा देने के लिए कई अन्य तरह की विशेष योजनाएं भी लेकर आएगी।
अब बेटियों को स्कूलों में अपने विषय के साथ-साथ बहुविषयक जानकारियों को भी अधिक से अधिक बढ़ावा दिया जाएगा। अब बेटियों के साथ ही बच्चों की लाइफ स्किल पर भी अधिक फोकस किया जाएगा।
अब हर 5 साल पर होगी समीक्षा
आखिरकार केंद्र (Central Government) से लेकर राज्य सरकार (State Government) की तरफ से बच्चों के लिए चलाई जा रही योजना में क्या सुधार हुआ है और शिक्षा पद्धति बेहतर हुई है या फिर नहीं, इन सब पर अब समीक्षा की जाएगी। नई शिक्षा निति (New Education Policy (NEP 2020) के तहत हर पांच साल पर स्कूली शिक्षा की समीक्षा की जाएगी। स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए सरकार की तरफ से हर 5 साल पर समीक्षा करने का फैसला लिया गया है।
अब स्कूलों में वर्ष 2022 के बाद पैराटीचर नहीं रखे जाएंगे। अब शिक्षकों की भर्ती सिर्फ नियमित भर्ती ही होगी। रिटायरमेंट से पांच साल पहले शिक्षकों की नियुक्ति का काम केंद्र और राज्य शुरू कर देंगे। यही नहीं, कृषि और स्वास्थ्य की पढ़ाई को लेकर भी खास फोकस दिया जाएगा। अब सामान्य विश्वविद्यालयों के साथ प्रोफेशनल संस्थान में छोटे कोर्स पर भी अधिक जोर दिया गया है।
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