उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से दिव्यांगों को चार प्रतिशत आरक्षण के तहत भर्तियां उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग में भी कराई जाएगी। आयोग की तरफ से निकाली जाने वाली भर्तियों में अब चार प्रतिशत आरक्षण दिया जाएगा। मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश लोक सेवाओं में दिव्यांगजन को समूह ‘क’ ‘ख’ ‘ग’ एवं ‘घ’ में 04 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण सुनिश्चित करने के लिए पदों के पुनर्चिन्हांकन तथा पदों के चिन्हांकन हेतु नवीन शासनदेश निर्गत करते समय पूर्व शासनादेश संख्या-35/65-3-11-78/99, दिनांक 13 जनवरी, 2011 को अवक्रमित करने तथा समस्त विभागों के शेष सभी पद दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम-2016 की धारा-34 के परन्तुक के अन्तर्गत दिव्यांगजन के आरक्षण से उन्मोचित समझे जाने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है।
बता दें, विकलांगजन (समान अवसर, अधिकार संरक्षण एवं पूर्ण भागीदारी) अधिनियम, 1995 में 07 प्रकार की दिव्यांगताएं परिभाषित थीं। इस क्रम में राजकीय सेवाओं में दिव्यांगजन की श्रेणी क्रमशः (1) दृष्टिहीनता या कम दृष्टि, (2) श्रवण ह्रास एवं (3) चलन क्रिया सम्बन्धी दिव्यांगता या प्रमस्तिष्कीय अंगघात को तीन प्रतिशत का क्षैतिज आरक्षण उपलब्ध था। इस आरक्षण को लागू किए जाने के लिए प्रत्येक स्थापन में पदों का चिन्हांकन वर्ष 2011 में किया गया था। वर्ष 2016 में दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम-2016 पारित हुआ, जिसमें दिव्यांगजन के लिए तीन प्रतिशत के स्थान पर चार प्रतिशत का क्षैतिज आरक्षण प्राविधानित किया गया एवं दिव्यांगताएं सात प्रकार से बढ़ाकर 21 प्रकार की कर दी गई हैं।
इन दिव्यांगों को मिलेगा आरक्षण
नव परिभाषित 21 प्रकार की दिव्यांगताओं में से निम्न दिव्यांगताओं को लोक सेवा में आरक्षण का लाभ प्रदान किए जाने के लिए सम्मिलित किया गया है : –
(क) अंध और निम्न दृष्टि,
(ख) बधिर और श्रवण शक्ति में ह्रास,
(ग) चलन दिव्यांगता, जिसके अन्तर्गत प्रमस्तिष्क घात, रोगमुक्त कुष्ठ, बौनापन, एसिड आक्रमण पीड़ित और पेशीय दुष्पोषण भी है,
(घ) स्वपरायणता, बौद्विक दिव्यांगता, विशिष्ट अधिगम दिव्यांगता और मानसिक अस्वस्थता,
(ड.) प्रत्येक दिव्यांगता के लिए पहचान किये गये पदों में खण्ड ‘क’ से ‘घ’ के अधीन आने वाले व्यक्तियों में से बहु दिव्यांगता, जिसके अन्तर्गत बधिर, अंधता भी है।