कनाडा में प्रवासियों को 10 साल में सबसे खराब नौकरी संकट का सामना पड रहा है। भर्तियों पर इसका सबसे बुरा असर पड़ रहा है। खासकर पंजाबी मूल के लोग सबसे अधिक प्रभावित हुए है। नौकरिया न मिलने के कारण युवा डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं। कनाडा में भारतीय राजदूत रहे संजय वर्मा ने भी शुक्रवार को खुलासा किया कि भारतीय युवाओं को कनाडा नहीं जाना चाहिए क्योंकि वहां पर नौकरियां नहीं है। हालात यह है कि ताजा सर्वेक्षण में प्रवासियों की बेरोजगारी दर जून में 13.6 प्रतिशत पाई गई है जबकि कनाडा नागरिक लोगों के यह दर 6 प्रतिशत के करीब है। 2016 के बाद से प्रवासियों के बीच यह सबसे खराब दर है।
कनाडा में कंपनियाँ उच्च ब्याज दरों से जूझ रही हैं, और पिछले दो वर्षों में वे लोगों को काम पर रखने में ज़्यादा हिचकिचा रही हैं। प्रवासियों की भारी आमद के कारण कनाडा की आबादी में वृद्धि हुई है। डेसजार्डिन्स सिक्योरिटीज के अर्थशास्त्री रॉयस मेंडेस और टियागो फिगुएरेडो ने 9 जुलाई को एक शोध नोट में कहा, “आव्रजन में रिकॉर्ड वृद्धि का मतलब है कि पिछले वर्ष की तुलना में नौकरी की वृद्धि की स्वस्थ गति भी बेरोजगारी दर को स्थिर रखने के लिए आवश्यक स्तर से कम रही है।”
कनाडा में युवा बेरोजगारी भारतीय छात्रों के लिए एक चुनौती
नौकरी बाजार न केवल नए लोगों के लिए कठोर है, बल्कि युवा बेरोजगारी दर भी 13.6% के उच्च स्तर पर है, जो 2016 के बाद से सबसे अधिक है। इससे कनाडा आने वाले भारतीय छात्रों में रुचि कम हो गई है। 2023 में जारी किए गए अध्ययन वीज़ा में 37% के साथ भारतीयों का राष्ट्रीय समूह सबसे बड़ा था, लेकिन अब वे उतनी बड़ी संख्या में कनाडा के लिए आवेदन नहीं कर रहे हैं।
हालाँकि यह संख्या घट रही है, लेकिन कनाडा के अंतर्राष्ट्रीय छात्रों में भारतीय छात्रों की संख्या 41% है। अब, वे नौकरी के बाजार में प्रवेश करेंगे और उनके लिए चुनौतियाँ इंतज़ार कर रही हैं। डेसजार्डिन्स के अर्थशास्त्री कह रहे हैं कि श्रम बाजार उन लोगों के लिए अच्छा चल रहा है जो पहले से ही रोजगार में हैं, लेकिन उन लोगों के लिए नहीं जो नौकरी की तलाश में हैं।