69 हजार शिक्षक भर्ती: हाईकोर्ट ने दिव्यांगजनों को आरक्षण कम दिए जाने पर मांगा जवाब

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में चल रही 69000 शिक्षक भर्ती (69000 Assistant Teachers) में आज एक अहम मुद्दे पर सुनवाई। बेसिक शिक्षा परिषद (Basic Education Department) की तरफ से आरक्षण देने में की गई मनमानी पर हाईकोर्ट (High Court) सुनवाई कर रहा है। इस भर्ती प्रक्रिया में उत्तर प्रदेश सरकार (Uttar Pradesh Government) की तरफ से जारी आरक्षण की व्यवस्था को न मानते हुए पुराने ही नियमों को लागू किया है। 

इस भर्ती (69000 Assistant Teachers) प्रक्रिया में दिव्यांग अभ्यर्थियों (Disabled Candidates) को बेसिक शिक्षा परिषद (Basic Education Department) की तरफ से महज तीन प्रतिशत ही आरक्षण दिया गया है। आरक्षण कम दिए जाने पर कोर्ट में आज सुनवाई हुई और लखनऊ बेंच के जज राजन रॉय ने केस को स्वीकार कर लिया है। कोर्ट ने सरकार की तरफ से अभ्यर्थियों को दिए जाने वाले नियुक्ति पत्र को इस याचिका की सुनवाई के अधीन करने का फैसला लिया है।

69000 शिक्षक भर्ती (69000 Assistant Teachers) में 4% विशेष आरक्षण के मामले में याची लक्ष्मी नारायन सिंह सहित अन्य की याचिका SERS-9035/2020 पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सरकार से चार हफ्ते में रेजॉइंडर (Rejoinder) दाखिल करने के लिए कहा है। 69000 शिक्षकों की भर्ती (69000 Assistant Teachers) में सभी के नियुक्ति पत्र याचिका के अंतिम निर्णय के अधीन करने के लिए है। हालांकि सरकार के लिए राहत वाली खबर यह रही कि हाईकोर्ट ने इस भर्ती (69000 Assistant Teachers) पर रोक नहीं लगाई है। इस मुद्दे पर महज चंद मिनटों की बहस दिव्यांगजनों (Disabled Candidates) के अधिवक्ता सुभाष चंद्रा ने की। वहीं, अब इस मुद्दे पर चार हफ्ते के बाद महाधिवक्ता बहस करेंगे।

दिव्यांगों की यह है सरकार से मांग

इस भर्ती (69000 Assistant Teachers) प्रक्रिया में बेसिक शिक्षा परिषद ने सरकार की तरफ से दिए जा रहे आरक्षण का लाभ नहीं दिया है। सरकार की तरफ से आरक्षण का हजारों अभ्यर्थियों को नुकसान हो रहा है। आरक्षण और ओवरलैपिंग के नियमों को सही तरीके से पालन न किए जाने की वजह से सैकड़ों दिव्यांग (Disabled Candidates)  भी परेशान है। उत्तर प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार की तरफ से जारी नियमों के हिसाब से एक सितम्बर 2018 से आरक्षण को एक प्रतिशत और बढ़ाकर चार प्रतिशत कर दिया है।

उत्तर प्रदेश सरकार (Uttar Pradesh Government) ने दिव्यांग (Handicapped) की श्रेणी में अन्य कैटेगरी को भी जोड़ा है। अब सरकार (Uttar Pradesh Government) की तरफ से जारी नियमों के बाद भी बेसिक शिक्षा परिषद (Basic Education Department) अभ्यर्थियों को लाभ नहीं देने जा रहा है। दिव्यांगजनों (Handicapped) के वकील सुभाष चंद्रा ने बताया कि 69,000 शिक्षकों की भर्ती (69000 Assistant Teachers) में सरकार सिर्फ 3 प्रतिशत ही आरक्षण दिया है। उत्तर प्रदेश सरकार ने दिव्यांगजनों (Disabled Candidates) के लिए चार प्रतिशत आरक्षण की सितम्बर 2018 से दिया है, लेकिन इस भर्ती (69000 Assistant Teachers) में महज तीन प्रतिशत ही आरक्षण का लाभ दिया गया है। 

इसके अलावा इस भर्ती (69000 Assistant Teachers) में उच्च गुणांक वाले दिव्यांग अभ्यर्थी जिन्होने सामान्य श्रेणी में चयनित अभ्यर्थियों के समतुल्य या उनसे अधिक गुणांक अर्जित किया है, उन्हें भी दिव्यांग (Disabled Candidates)  श्रेणी में ही मान लिया गया है। नियमों के हिसाब से ऐसा किया जाना पूरी तरह से गलत है और ओवरलैपिंग के नियमों के खिलाफ है। यही नहीं, चयनित दिव्यांगजनों (Handicapped) को विशेष आरक्षण भी सही तरीके से नहीं दिया गया है।

सबसे खास बात यह है कि इस भर्ती (69000 Assistant Teachers) में पिछली भर्ती (68500 Assistant Teachers) के खाली पदों का समायोजन नहीं किया गया है। अभ्यर्थियों को सही तरीके से लाभ न दिए जाने के कारण अब दिव्यांगजनों (Handicapped) ने अधिकारियों और बेसिक शिक्षा निदेशालय को पूर्व के आदेशों का हवाला देते हुए न्याय की गुहार लगाई है। यही नहीं, इस मुद्दे को लेकर अब सभी लखनऊ और इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) में रिट भी दाखिल की है। आज हाईकोर्ट (High Court) की लखनऊ बेंच में दाखिल रिट पर सुनवाई हुई और जज ने मामले में सरकार से जवाब मांगा है। 

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