'इसलिए कहते हैं यूपी नहीं देखा तो इंडिया नहीं देखा': रीता बहुगुणा जोशी

पर्यटन मंत्री रीता बहुगुणा जोशी
पर्यटन में आगे की संभावनाएं व सरकार की योजनाएं जानने के लिए ट्रैवल मैगजीन ग्रॉसहॉपर ने इस बार बात की है, उत्तर प्रदेश सरकार की पर्यटन मंत्री रीता बहुगुणा जोशी से।
धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा
यूपी अध्यात्म व धर्म का बहुत बड़ा केन्द्र है चाहे वो वैष्णव धर्म हो या शैव धर्म हो, चाहे बौद्ध धर्म हो या जैन तो अनेकों धर्मों का ये एक पालना है। इसलिए हमारे लिए धार्मिक पर्यटन सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है। पूरे देश में पर्यटन की दृष्टि से राज्य स्तर पर हम तीसरे नम्बर पर हैं और विदेशी पर्यटन के संदर्भ में हम दूसरे नम्बर पर हैं। हमारे देश के लोग धार्मिक पर्यटन को ज्यादा पसंद करते हैं। यहां पर अभी तक पर्यटक सुविधाएं बहुत न्यूनतम व जर्जर थी। इसलिए हमारी सरकार ने तय किया जब यहां हमारे करोड़ो पर्यटक आते हैं तो उन्हें सुविधाएं देना फर्ज है। हमारी जो पर्यटन में ताकत है वो धार्मिक व आध्यात्मिक पर्यटन की है। भगवान राम की, कृष्ण व बुद्ध की भूमि है। ऐसे में तय हुआ कि हम क्यों न पथों को मजबूत करें। तो इसके लिए स्वेदश दर्शन व प्रसाद योजना ये दो बड़ी योजनाएं हैं जो भारत की परंपरागत धरोहरों को विकसित करती हैं। इसके अंदर हम रामायण परिपथ, कृष्ण परिपथ व बौद्ध परिपथ का समायोजित विकास कर रहे हैं। इनके लिए संयुक्त योजनाएं बन रही हैं। इसी संदर्भ में करीब-करीब पौने 200 करोड़ के काम बौद्ध परिपथ में हो रहे हैं, रामायण परिपथ में भी सवा दो सौ करोड़ रुपए के कार्य स्वीकृत हुए हैं,जिसमें अयोध्या में है, शिविरपुर में 30 करोड़, चित्रकूट में भी 70-80 करोड़ का काम चल रहा है तो सब मिलाकर लगभग चार सौर करोड़ के आसपास काम इस परिपथ में चल रहे हैं। बृज विकास के लिए हम बृज विकास परिषद का गठन कर रहे हैं क्योंकि कृष्ण भगवान की जन्मस्थली मथुरा है लेकिन उसके आस-पास का क्षेत्र बृज उनके और राधा की लीलाओं से जुड़ा हुआ है। गोवर्धन पर्वत है, 700,800 कुंड हैं उनका अपना अलग इतिहास है तो बृज विकास परिषद बनाया गया है और वहां काम शुरू हो रहा है पूरे बृज क्षेत्र का विकास इससे होगा। इसके अलावा नैमिषारण्य हैं, इसे भी हमने अपनी परिधि में लिया है और इसपर भी योजना बनाकर इसका विकास करेंगे।
कुंभ की ब्रांडिग
कुंभ को इस बार से बहुत महत्व दिया जा रहा है। कुंभ को कोई पर्यटन के नक्शे पर नहीं ला सकता उससे श्रद्धालुओं की आस्था जुड़ी हैं। लेकिन हमारा आशा है कि पिछले वर्ष लगभग 13 करोड़ लोग माघ मेले के दौरान आए थे तो इस बार 14 से 15 करोड़ लोग स्वत: ही आएंगें। लेकिन इस मेले की जो पौराणिकता व ऐतिहासिकता है और कुंभ का जो धार्मिक महत्व है उसका अनुभव दिलाने के लिए हम इस बार विदेशी पर्यटकों को भी कुंभ में लाना चाहते हैं। पहली बार ऐसा हुआ है कि कुंभ का लोगो अलग बनाया गया है, पहली बार इसकी ब्रांडिग होने जा रही है। उसके जिंगल्स बन रहे हैं टीवी के लिए छोटे-छोटे ऐड बन रहे हैं, सिनेमा हाल में विज्ञापन चल रहे हैं, सोशल मीडिया के लि फिल्में बन रही हैं तो कुंभ को इस बार बड़े पैमाने पर लाने का विचार है। इसके अंतर्गत प्रधानमंत्री जी ने दो विचार किए हैं एक तो अक्टूबर नवम्बर में जब तैयारियां पूरी हो जाएंगी तो जो हमारे दूतावास है हम उनके एम्बसेडर का बुलाएंगें अपनी तैयारियां दिखाने के लिए क्योंकि विदेशी अच्छी तैयारियां चाहते हैं कि बिजली हो, सड़क अच्छी हो, खाने की व्यवस्था है। तो हम पूरी एक टेंट सिटी बनाएंगे जो विशिष्ट अतिथियों के लिए होगी। इसमें हर तरह की सुविधाएं होगीं एक तरह की पांच सितारा होटल जैसी सुविधाओं से लैस ये टेंट होंगे। इसके लिए जमीन चिन्हित कर ली गई है। हम 6000 ऐसे टेंट बनाएंगें। दूसरी चीज प्रवासी भारतीयों का जो सम्मेलन भारत करता है वो इस बार जनवरी में वाराणसी में होगा। जनवरी में हम उन 5000 प्रवासियों को इलाहाबाद लाने वाले हैं कुंभ के लिए और इस टेंट सिटी में उनको अनुभव दिलाएंगें। विदेश में भी हम इसका प्रचार कर रहे हैं। एक कॉफी टेबल बुक भी निकाल रहे हैं तो अर्द्धकुंभ के एक बहुत बड़े अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ले जाने का प्रयास हम कर रहे हैं।
त्योहारों को मिलेगी अंर्तराष्ट्रीय पहचान
दीपावली व होली को हम अंर्तराष्ट्रीय त्योहार बनाना चाहते हैं जैसे कच्छ बन गया है अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन का केन्द्र, यहां दूर दूर से विदेशी अब आते हैं तो हम चाहते हैं इन दोनों त्योहारों का अनुभव लेने विदेशी भारत आएं। अगर उन्हें दीपावली देखनी है तो अयोध्या आएं और अगर होली खेलनी है तो बरसाना आएं। इन स्थानों पर भी हमारा अच्छा काम चल रहा है, इनके सौन्दर्यीकरण से लेकर यहां आवागमन की सुविधा, सड़क, होटल पर हम काम कर रहे हैं जिससे मथुरा और अयोध्या को विश्व के पर्यटन में भी स्थान मिले।
वन वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडेक्ट से रूरल टूरिज्म को बढ़ावा
पहली बार इतने वर्षों में पर्यटन नीति घोषित हुई है और वो इतनी अच्छी है कि उसमें पीपी मॉडल पब्लिक प्राइवेट मॉडल पर ध्यान दिया गया है। निजी क्षेत्र को सुविधाएं देते हुए हम उन्हें आमंत्रित कर रहे हैं कि वो आएं और सुविधाओं से लैस पर्यटकों के लिए सुविधाएं दें चाहे वो गेम्स हो, टूरिज्म में, भोजन में दें या हेरीटेज के लिए दें। तो हम चाह रहे हैं बड़ी संख्या में होटल, रेस्टोरेंट उन मार्गों पर बने जो एक जगह से दूसरी जगह को जोड़ते हैं। अभी तक तो गोल्डेन ट्रेंगल था कि दिल्ली से चलो आगरा आओ, वाराणसी जाओ। हम चाहते हैं ये 30 से 40 जिलों में हो। उसके लिए ही ODOP निकाला गया है वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडेक्ट। पूरी दुनिया आज हस्तकला व गृह उद्योगों को देखना चाहती है तो हम चाहते हैं जिस हस्तकला को हम उठा रहे हैं जिसे जिले से वहां के किसी एक गाँव को पर्यटन स्थल घोषित कर दें। वहां के घरों में सुविधाएं हों इसे रूरल टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा। इसे कहते हैं अनुभव लेने वाला पर्यटन। जैसे कहीं कांच का काम फिरोजाबाद में होता है, चिकन का काम होता है लखनऊ में, वाराणसी में ब्रुकेट का काम होता है, दरियों का होता है तो बहुत कुछ है। तो हम ऐसी जगहों को विकसित करेंगे सुविधाएं देकर जहां लोग आएं तो एक दो दिन रूकें वहां की जिंदगी देखें। इसे गाँव की अर्थव्यवस्था सुधेरगी। बुंदेलखंड को हम विशेष सर्किट में ले रहे हैं, कबीर सर्किट बनाने जा रहे हैं, कबीर के सारी जगहों को जोड़ते हुए। सूफी सर्किट बनाएंगें क्योंकि सूफियों की बहुत सी दरगाहें हैं।
ईको टूरिज्म को बढ़ावा, वन विभाग से टाईअप---
पर्यावरण से जुड़ने के लिए हमारे यहां बहुत से जंगल हैं, झरने हैं, जिन्हें बढ़ावा देने की जरूरत है। हमारा वन विभाग से समझौता हुआ है हमने एक एमओयू साइन किया है वन विभाग से। इसमें जो वन विभाग की संपत्ति है उसमें बर्ड सेंचुरी, वाइल्ड लाइफ जैसे दुधवा, कतरनिया, पीलीभीत है। तो यहां बाहर की सुविधाएं हम खड़ी करेंगे और अंदर की वो। तो वाइल्ड लाइफ टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा। तो कोई भी चीज छोड़ेगें नहीं। अभी पहली बार सूरजकुंड में पहली बार यूपी टूरिजम पार्टनर बना है जबकि वो अंतर्राष्ट्रीय मेला है और वहां से हमारे कारीगर बहुत अच्छी कमाई करके लौटे हैं। इस तरह हमारा ध्यान सब तरफ है।
सबसे पुराने जीवाश्म पार्क सोनभद्र में
सबसे पुराने जीवाश्म पार्क हैं, 10 हजार करोड़ साल पुराने जीवाश्म हैं जो पत्थर हो गए हैं, ये दुनिया में कहीं नहीं हैं। अभी तक जो मिला है वो येलो फॉसिल पार्क ऑफ यूसए है वो दो या तीन हजार करोड़ पुराना है लेकिन हमारे पास सोनभद्र में है। इन्हें विकसित करने का प्रयास है जो काम शुरू हो रहा है। जब ये पार्क बनकर तैयार हो जाएंगे तो विदेश तक से लोग यहां आएंगें क्योंकि जो हमारे पास है वो दुनिया में किसी के पास नहीं है।
हवाई सफर सेवा की शुरुआत-
हमारे जितने भी मंडल हेडक्वाटर हैं 18 कुल उन सब को लो कॉस्ट एयरलाइन से जोड़ने का प्लान है। इसी योजना के प्रथम चरण तहत 12 तो चिन्हित हो चुके हैं। जहां कोई जमीन का झगड़ा नहीं है पहले से टूटा फूटा एयरपोर्ट था उसे ही दुरूस्त करना है। पांच तो करीब-करीब तैयार भी हो गए है जैसे बरेली, इलाहाबाद, कानपुर, फैजाबाद इन सब जगह काम शुरू हो चुका है। हेलीकॉप्टर सर्विस फॉर सिटी टूयर। हेलीकॉप्टर पर बैठकर पूरा शहर घूमकर उतर जाइए, गोवर्धन जाइए तो वहां की परिक्रमा कराकर आपको हेलीकाप्टर उतार देता है। इसके एमओयू साइन हो चुके हैं। छह कंपनियां आई हैं हमने उनसे कहा है कि हम उन्हें ग्राउंड सपोर्ट देगें इसके अलावा जो कमाई वो करेगें उसका एक हिस्सा हमें देगें। ये पब्लिक प्राइवेट मॉडल पर हो रहा है। पांच जगह हैलीपैड बन भी गए हैं तो इस तरह से काम हो रहा है। कौशाम्बी को जोड़ दिया गया है अभी तक बुद्धा सर्किट में वो था लेकिन उसका विकास नहीं हो रहा था। वहां मुख्यमंत्री जी खुद गए है और कई सारी घोषणाएं करके आए हैं तो ये अच्छी बात हुई है।
पर्यटकों की सुरक्षा हमारी जिम्मेदारी
हमने पर्यटकों की सुरक्षा के लिए वन स्टॉप पोर्टल बना दिया है जिसमें पूरी जानकारी है कहां जाइए, कैसे जाइए, होटल कौन, गाड़ी कौन हर जानकारी है। दूसरा हमने कॉल सेंटर बनाया जिससे लोग जानकारी ले सकते हैं। तीसरा हम टूरिज्म पुलिस की संख्या बढ़ाने जा रहे हैं, हम 400 से 500 टूरिज्म पुलिस रखेगें जिसमें आधी महिलाएं होगीं। इससे महिला पर्यटकों को सुरक्षा मिलेगी।
पुरातन नगरियों का विकास होगा
हमारे यहां सड़कों का जाल बन रहा है, पीडब्ल्यूडी से गडकरी जी हजारों करोड़ों रुपए दे रहे हैं,हेलीकॉप्टर सेवा हम शुरू कर रहे हैं इन सड़कों के किनारे टॉयलेट, रेस्टोरेंट, ईटहाउस बन रहे हैं। जब हमारा पूर्वांचल एक्सप्रेस बन जाएगा और इधर दिल्ली से आगरा पूरा बन चुका है, इनपर जब सुविधाएं आ जाएगीं। अब दिल्ली से लखनऊ हम पांच घंटे में पहुंच सकते हैं रूककर घूमकर। लखनऊ से गोरखपुर तीन घंटा 300 किमी, वाराणसी चले जाइए, कुशीनगर है। कुशीनगर में तो अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट बन रहा है इसके बनने के बाद यहां का बुद्ध सर्किट बहुत मजबूत हो जाएगा। इसके साथ ही वाराणसी के घाटों का जबरदस्त विकास हो रहा है। हर जगह लाइटिंग हो रही है, फेरी बोट चलाने जा रहे हैं। वहां की गलियों को उसके पुरातन स्वरूप को बिना बिगाड़े हुए सुंदर बनाएंगें। वहां जितने भी तार, केबल हैं वो अंडरग्राउंड कर दिए जाएंगें। कोई तार आपको दो साल बाद हवा में नहीं दिखेगा। आज भी जब बनारस की गलियों में चलो तो आश्चर्य होता है कि पत्थर की बनी ये गलियां कितनी पुरानी होगीं कैसे बनी होगीं। सबसे बड़ी बात है वहां पानी नहीं रूकता कहीं । क्या सही आर्टिक्चर रहा होगा। इसी तरह देवगढ़ में जैनों का मंदिर है जो बेहतरीन है। दिल्ली का किला है, कालीरंज, झांसी, बिठूर, चुनार है, इलाहाबाद का किला है। तो जो पुरातन नगरियां है उनके विकास की ओर भी हमारा पूरा ध्यान है। यूपी में ही इतने सारे किले हैं तो जिसे इतिहास देखना हो वो यूपी आए।
संस्कृति को मिलेगा बढ़ावा
हम हर तरह से धनी हैं। हमारी संस्कृति हमारी पहचान है। हमारी जो संस्कृति है, संगीत है, कला है, हस्तकला है, पेटिंग्स हैं, उसे बढ़ावा देने का प्रयास कर रहे हैं। हम अपने नृत्य जैसे कत्थक है, ठुमरी है। अगर आप वाराणसी चले जाओ संगीत की नगरी में शाम को। इतने सारे गायकों व संगीतकारों का बनारस घराना रहा है तो इसके महत्व को बना रखना है।
अगर उसे विकसित कर दिया जाए तो क्या ही बात होगी। हमारी संस्कृति को देखने और महसूस करने के लिए विदेशी भी आएंगें। यूपी में सबकुछ है अगर आपको धार्मिक होना है तो राम व कृष्ण की जन्मस्थली घूमिए अगर गैरधार्मिक होना है तो आगरा का ताज देखिए। सबकुछ है यहां इसलिए तो कहते हैं अगर यूपी नहीं देखा तो इंडिया नहीं देखा।
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