मां की मदद से बढ़ा हौसला और मैं गई जस्टिस : सोनाक्षी वर्मा

देशसेवा और चुनौतियों से लड़ने की क्षमता अलग से नहीं मिलती है। यह पारिवारिक संस्कार और खुद पर यकीन से होता है। कुछ ऐसी ही झलक लखनऊ की सोनाक्षी वर्मा के व्यक्तित्व में साफ़-साफ़ देखी जा सकती है। सोनाक्षी ने बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित बिहार न्यायिक सेवा परीक्षा-2016 में समेकित सूची में दूसरा और महिलाओं में पहला स्थान हासिल किया है।
सोनाक्षी वर्मा उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में जन्मी है। इन्होंने डॉ. राममनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय लखनऊ से विधि की शिक्षा ग्रहण की है। लखनऊ विश्वविद्यालय से एलएलएम की परीक्षा उर्त्तीण की है। एलएलएम की परीक्षा में इन्होंने प्रथम स्थान प्राप्त किया। इन्हे गोल्ड मेडल भी मिला। इसके अलावा वह राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा नेट में एक बार सफल रहीं हैं। यूपीपीएस जे 2014 और 2016 की लिखित परीक्षा में वह सफल रहीं। लेकिन सक्षात्कार में सफलता नहीं मिली थी। जिससे वह निराश थीं। लेकिन मां रीना वर्मा के मनोबल बढ़ाने की क्षमता ने आज उन्हे इस मुकाम तक पहुंचाया है। सहायक अभियोजन अधिकारी 2015 की परीक्षा में भी इन्होंने हाल ही में सफलता हासिल की है। सोनाक्षी से विवेक त्रिपाठी ने विभिन्न विषयों पर बातचीत की,बातचीत के प्रमुख अंशःआप ने न्याय क्षेत्र को क्यों चुना?
किसी भी क्षेत्र में जाने से पहले बहुत मुश्किल होती है, लेकिन अगर आप कड़ा परिश्रम करते हैं तो यह मुश्किल आसान हो जाती है। मेरे परिवार में बहुत सारे लोग इस क्षेत्र में हैं। मुझे वहीं से ललक उत्पन्न हुई और मैंने यह क्षेत्र चुना। इसको जानने के बाद ऐसा लगा कि इस व्यवस्था से ज्यादा से ज्यादा लोगों को न्याय दिलाया जा सकता है।
आपने इसकी तैयारी कब से शुरू की?
शुरू से ही मेरी पढ़ाई में ज्यादा रूचि थी। जब मैं इण्टर में थी, तभी सोच लिया था कि मुझे इसी क्षेत्र में जाना है। परिवार का पूरा सपोर्ट था। मां का कहना था जिस क्षेत्र को चुना है, उसमें मन लगाकर मेहनत करो। खुद पर भरोसा रहेगा तो सफलता निश्चित मिलेगी।
वर्तमान में न्याय व्यवस्था को लेकर लोग बहुत सारे सवाल भी उठाते हैं इनसे आप कैसे निपटेंगीं?
हां यह तो बड़ी चुनौती है। जब कोई अच्छा या बुरा काम होता है, तो लोग उंगली उठाते हैं, लेकिन जब अच्छा होता है तो वाहवाही भी करते हैं। यह एक प्रक्रिया जो सतत चलती रहती है। इससे निपटना कोई मुश्किल नहीं बस आप अपने आत्मविश्वास को मजबूत रखें।
क्या आपको लगता है कि न्याय के क्षेत्र में परिवाद कायम हो रहा है, यह कितना सही है?ऐसा नहीं न्याय के क्षेत्र में आज भी बहुत सारे योग्य लोग हैं। बहुत सारे महत्वपूर्ण लोग इस पद पर चयनित होते हैं लेकिन मेहनती लोगों की हर जगह पूछ होती है। हां अगर थोड़ा बहुत हो तो हर जगह हो रहा है।
बहुत बार ऐसा देखा गया है कि वकील सीधे जज बन जाते हैं जबकि योग्य पीछे रहते हैं इस बारे में आपका क्या कहना है?
ऐसा नहीं है, यह प्रक्रिया के तहत होता है। जो सीनियर होते हैं उन्हें प्राथमिकता मिल जाती है। अभी तक ज्यादातर लोग अपने अनुभव के आधार पर ही बनते हैं। इसमें किसी प्रकार का कोई हस्तक्षेप नहीं होता है। हां इस क्षेत्र में ज्यादातर योग्य लोग ही लिए जाते हैं।कोई एक ऐसा केस बतायें जो महिलाओं के लिए संबल प्रदान करने वाला हो?ऐसे एक नहीं बहुत सारे केस है जिनमें महिलाओं के हितों का ध्यान रखा गया है। वर्तमान में तीन तलाक वाला केस पर बहुत अच्छा निर्णय हुआ है। इससे महिलाओं को ताकत मिलेगी और आगे उन्हें परेशानी भी नहीं होगी। निजता का अधिकार वाला निर्णय भी समाज के लिए महत्वपूर्ण हैं। ऐसे कई निर्णय हैं जो बहुत अच्छे हुए हैं। कभी-कभी न्यायपालिका ने खुद ही ऐसे निर्णय दियें हैं समाज के लिए बहुत कारगर साबित हुए हैं। इसलिए न्याय व्यवस्था को सर्वोच्च माना जाता है।
आप इस क्षेत्र में रहते हुए समाजसेवा कैसे करेंगी?
इस क्षेत्र में रहते हुए निरक्षर महिलाओं को कानूनी जानकारी देना और उन्हें जागरूक करना मेरा मकसद रहेगा। इसके लिए मैं अपने काम के साथ समय निकालूंगी,ताकि न्याय सभी को मिले इससे कोई वंचित ना रहे। महिला हिंसा और भू्रण हत्या के खिलाफ मैं हर आवाज का समर्थन करूंगीं।
आपकी इस सफलता के पीछे किसका हाथ है?
मेरी मां रीना वर्मा और पिता सुनील वर्मा ने हमेशा मेरा मनोबल बढ़ाया है। 2014 और 2016 में यूपी पीसीएसजे की परीक्षा पास की थी, लेकिन साक्षात्कार में सफलता नहीं मिली। इस दौरान मैं काफी निराश हुई थी। मेरी मां ने कहा था कभी हार नहीं माननी चाहिए। उन्ही दोनों और अपनी बहन सौम्या सहाय और भाई संजू वर्मा की वजह से फिर से तैयारी करना शुरू किया। इसी दौरान मेरा चयन नियामक आयोग में हो गया। वहां पर अभी लीगल असिस्टेन्ट के पद पर कार्यरत हूं। हां सफलता का श्रेय मेरे गुरूजन राहुल, रमेश,पवन सर को भी जाता है। उन्होंने मुझे हमेशा आगे बढ़ने का हौसला दिया। यह कह सकते हैं कि मां की हौसले ने मेरे मनोबल को कभी कम नहीं होने दिया। मेरी सफलता में मां का बहुत बड़ा योगदान है
तैयारी कर रहे बच्चों को कोई संदेश देना चाहेंगी?
अपने आत्मविश्वास को हमेशा मजबूत रखें। अपनी तैयारी पर हमेशा भरोसा रखने की जरूरत है। अब लड़के-लड़िकियों में कोई अन्तर नहीं खास कर लड़कियों को और मेहनत करनी चाहिए। हर जगह अब महिलाओं का बोलबाला बढ़ा है। परीक्षा के दौरान घबराहट से बचें और संयम से काम लें। हर विषय का ज्ञान जरूरी है।
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