असफलता से मिला हौसला और बन गया आईएएस : अमोल श्रीवास्तव

दूसरे प्रयास में आईएएस अफसर बनने का सपना साकार करने की आपको बहुत बहुत बधाई और ढेर सारी शुभकामनाएं?
जी बहुत बहुत धन्यवाद।
आपने अपनी शुरुआती पढ़ाई कहां से की?
मैं नोएडा के सेक्टर 61 का रहने वाला हू़ँ। मेरी प्रारंभिक पढ़ाई भी नोएडा से ही हुई है। मैंने 10वीं 2008 में विश्व भारती पब्लिक स्कूल से तथा 2010 में डीपीएस नोएडा से 12वीं पास किया था। इसके बाद मैंने वेल्लोर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी वर्ष 2014 में बीटेक मैकेनिकल से करने के बाद एक साल तक बेंगलुरू में एक कॉरपोरेट फर्म में बिग डाटा साइंटिस्ट की नौकरी की थी। पर मेरा रुझान यूनिवर्सिटी के दिनों से ही सोशल सर्विसेज की तरफ ज्यादा था। इसलिए नौकरी छोड़कर यूपीएससी की तैयारी में जुट गया।
आपके सपनों को साकार करने में परिवार की क्या भूमिका रही?
मेरे घर का माहौल हमेशा ही पढ़ाई वाला रहा है। मेरे पिता राजेश श्रीवास्तव नोएडा प्राधिकरण में थे और वे सीनियर एकाउंटेंट के पद से रिटायर हुए हैं। मां सविता श्रीवास्तव जी गृहणी हैं। मेरी एक बड़ी बहन सोनल श्रीवास्तव है जो बेंगलुरू में जॉब करती है। मैंने सिविल सर्विसेज एग्जाम की तैयारी भी घर पर ही रहकर की है। मेरे नाना जी मुझे एक आईएएस अफसर के रूप में देखना चाहते थे। इसके अलावा मेरे प्रेरणा स्त्रोत मेरे माता-पिता रहे। जिन्होंने मेरा कदम-कदम पर साथ दिया।
आपके अंदर अफसर बनने का सपना कब जागा?
दिमाग में पहले से था कि कुछ ऐसा करना है जिससे की मैं समाज के लिए कुछ खास कर सकूं। आईएएस की परीक्षा पास करने के बाद आपका एक दायरा बढ़ता है। आईएएस बनने के बाद लोगों की जिंदगी में एक अलग बदलाव आता है। मैं सिर्फ डेस्क जॉब तक सीमित नहीं रहना चाहता था। अपना सामाजिक दायरा भी बढ़ाना चाहता था, इसलिए मैंने यूपीएससी की तरफ अपना रुख किया। मुझे लगा कि अगर मैं सिविल सेवा में जाता हूं तो मुझे समाज सुधारने के लिए बढ़े स्तर पर मौका मिलेगा। इसके अलावा मैं गरीब लोगों की मदद कर संकूगा। मुझे लगा कि मेरे अंदर तैयारी करने की क्षमता है तो मैं परीक्षा की तैयारी में जुट गया। अमोल ने वीआईटी यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान मिले एक्सपोजर को बहुत सराहा। अमोल ने बताया कि वीआईटी यूनिवर्सिटी में आपको एक ही मंच पर दुनिया भर में एक्सपोजर मिल जाता है। दुनिया भर से लोग यहां पढ़ने आते हैं, इसके चलते एक नया अनुभव मिलता है। वीआईटी यूनिवर्सिटी में होने वाली डिबेट ने भी उनके आत्मविश्वास को एक नया मंच दिया। वीआईटी यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान उन्होंने द हिंदू न्यूजपेपर एजुकेशन क्लब भी चलाया। यहां से मिले हौसले के बाद मैं अपने सपने को साकार करने में जुट गया।
आप बता रहे हैं कि मुझे अफसर ही बनना था तो आपने शुरुआत प्राइवेट नौकरी से क्यों की?
जी ऐसा नहीं है। मेरा मानना है कि एक साल भले ही बर्बाद हुआ था, लेकिन प्राइवेट नौकरी का अनुभव भी मेरे बहुत काम आएगा। मैंने नौकरी भी सिर्फ इसी वजह से की थी कि नौकरी में आने के बाद चीजों को देखने का नजरिया अच्छी तरीके से आ जाता है और जिम्मेदारियों को लेना व हैंडल करना भी आसानी से आ जाता है।
पहले प्रयास में असफल होने के बाद क्या आप निराश तो नहीं हुए थे?
मैंने 2015 में सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी शुरू की थी और पहले प्रयास में यूपीएससी-2016 की परीक्षा में इंटरव्यू तक पहुंचा था, लेकिन जब परिणाम आया तो मेरे हाथ निराशा ही लगी थी। वहां कुछ कमी रह गई थी। मैंने उन कमियों को दूर किया और मैंने हार भी नहीं मानी। मैं और अच्छे से तैयारी में जुट गया और अब परिणाम आपके समाने ही है।
आपने तैयारी के लिए क्या नीति अपनाई?
2015 मैं जब मैंने तैयारी शुरू की तो उस दौरान अपने को पढ़ाई के लिए मानसिक रूप से मजबूत करना पड़ता है। क्योंकि जब आप अपने साथ पढ़ने वाले दोस्तों को देखते हैं तो वह अपनी नौकरी के क्षेत्र में आगे निकल चुके होते हैं। पर यहीं पर आपको दृढ़निश्चय के साथ पढ़ाई में जुट जाना पड़ता है। सोशल मीडिया से पूरी तरह के इस दौरान दूर रहा है। साथ ही यूपीएससी कम्युनिटी के दोस्तों का साथ इस दौरान बहुत ही कुछ सीख देने वाला रहा। अमोल ने कहा कि सबके लिए परिस्थितियां एक सी नहीं होती है। सब अपनी-अपनी परिस्थिति के हिसाब से तैयारी कर रहे होते हैं। मैंने रोज नियम बनाकर वो 6-8 घंटे की पढ़ाई करते थे। यही नहीं मैंने पढ़ाई के इस नियम को कभी नहीं तोड़ा। जिसका नतीजा आप आपके सामने है।
क्या आपने परीक्षा की तैयारी के लिए कोचिंग की थी?
मैंने आवश्यकतानुसार ही कोचिंग ली। मैंने कोचिंगों की टेस्ट सीरीज को ज्वाइन किया था। वर्तमान की तैयारी में कोचिंगों का काफी महत्व होता है प्री व मेंस दोनों में।
आपकी तैयारी में इंटरनेट का कितना हमसफर बना?
वर्तमान में तैयारी का जो तरीका है उसमें बिना इंटरनेट के शायद तैयारी अधूरी है। सेल्फ स्टडी करने वालों के लिए इंटरनेट की उपयोगिता और बढ़ जाती है क्योंकि उनका सोर्स इंटरनेट ही होता है। मैंने तैयारी के दौरान insight on india, Gktoday, Study iq आदि वेबसाइटों का उपयोग करता था। यही नहीं जब मैं मेट्रो से सफर करता था तो उस दौरान इंटरनेट ही मेरा माध्यम बनता था मैं मेट्रो में इसके माध्यम से न्यूज सुनता था तथा यू-ट्यूब पर करेंट अफेयर्स की होने वाली क्लासों को भी सुन लेता था।
आपने मेंस में कौन सा ऑप्शन विषय चुना था?
मैंने मेंस में ऑप्शन विषय के तौर पर राजनीति विज्ञान को चुना था।
आपसे साक्षात्कार में कौन-कौन से सवाल पूछे गए?
यूपीएससी का साक्षात्कार काफी महत्वपूर्ण होता है। इसमें हॉबी से लेकर वर्तमान तक की चीजों के बारे में पूछा जाता है। मुझसे भी मेरे बैकग्राउण्ड के सवाल पूछे गए थे। इसके अलावा मैंने मेंस में राजनीति विज्ञान लिया था तो मुझे इंटरनेशनल रिलेशनशिप के बारे में अधिकतर सवाल पूछे गए थे। मुझसे चीन के साथ कैसे करके बेहतर रिलेशनशिप हो सकते हैं इसके बारे में अधिकतर सवाल पूछे गए थे? नीति और सुधार क्या लाना चाहिए? इसके अलावा मैंने अपनी हॉबी में क्रिकेट लिखा हुआ था तो मुझे क्रिकेट के बारे में सवाल पूछे गए थे। क्रिकेट में किसी खिलाड़ी या फिर टीम के बारे में मुझसे पैनल ने नहीं पूछा था बल्कि मुझसे पूछा कि अगर आप टीम की लीडरशिप दे दी जाए तो आप कैसे हैंडल करेंगे? आप क्रिकेट खेलते हैं, तो उस समय आपके दिमाग में क्या चल रहा होता है? क्रिकेट खेलने से आपको क्या सीख मिली? ऐसे ही अनेक सवाल मुझसे पूछे गए थे।
सरकारी अधिकारी बनने के बाद भविष्य में आपकी काम करने की कैसी नीति रहेगी?
समाज सेवा करना मेरा उद्देश्य था और ईश्वर की कृपा से मुझे ये सौभाग्य मिला है। मेरी पहली कोशिश यही रहेगी कि सरकार की योजनाओं व नीतियां को आखिरी तबके तक पहुंचाया जाए। मैं जहां भी रहूं, गरीबों की सेवा कर सकूं और उनको किसी भी प्रकार की कमी न महसूस हो। प्रशासन सदैव ही उनके साथ रहे। मैं सदैव ही समाज के लिए बेहतर काम करने का प्रयास करूंगा।
संबंधित खबरें
सोसाइटी से
अन्य खबरें
Loading next News...
