अतुल्य भारत
कौन थे मुग़लों को धूल चटाने वाले लचित बोरफुकन?
24 November 2022प्रसिद्ध असमिया जनरल और लोक नायक लचित बोरफुकन की 400 वीं जयंती का तीन दिवसीय उत्सव 23 नवंबर को नई दिल्ली में शुरू हुआ। 24 नवंबर को लचित बोरफुकन की जयंती मनाई जाती है। इस समारोह में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सहित कई हस्तियों ने हिस्सा लिया।
स्वामी विवेकानंद ने ऐसा क्या कहा था जिसके बाद से भारत को विश्व गुरु माना जाने लगा, नहीं जानते तो जान लीजिए
12 January 2022स्वामी विवेकानंद भारत देश के उन चंद व्यक्तित्वों में से एक हैं जिन्हें देश के नाम से और देश को उनके नाम से अलग नहीं किया जा सकता। दोनो साथ में एक दुसरे को अलंकृत करते हैं। स्वामी विवेकानंद वो नाम है जिसे शिकागो की भूमि आज भी दोहराती है।
समाज के हर स्याह सच को लेखन का रूप देने वाले थे प्रेमचंद
31 July 2020एक लेखक कभी मर नहीं सकता, उसकी रचनाएं उसे हमेशा जिंदा रखती हैं। हिंदी साहित्य को एक मुकाम तक पहुंचाने में मुंशी प्रेमचंद का नाम भी शामिल है। अपनी हिंदी और उर्दू की रचनाओं के लिए प्रसिद्ध हुए मुंशी प्रेमचंद् के लेखन में ग्रामीण परिवेश की झलक देखने को मिलती थी। उनकी रचनाओं की वजह से ही उपन्यासकार शरतचंद्र चट्टोपाध्याय ने उन्हें उपन्यास सम्राट की उपाधि दी थी। प्रेमचंद ने जीवन के जिस पहलू को देखा और समझा उसे ही लिखा।
कलाम: 'सूर्य की तरह चमकने के लिए सूर्य की तरह जलना भी होगा'
27 July 2020देश के 11वें राष्ट्रपति, मिसाइल मैन, वैज्ञानिक और एक भारत को उन्नत बनाने के पीछे पड़े एपी जे अब्दुल कलाम के प्रति देश के हर वर्ग में बराबर सम्मान था। वो आज का ही दिन था बस साल था 2015 जब मिसाइलमैन ने अवनी अंतिम सांसे ली थीं। उनके विचार आज भी सबके लिए प्रेरणा हैं। देश की सबसे बड़ी संवैधानिक कुर्सी पर बैठने के बावजूद ऐसी सादगी शायद ही किसी में किसी में हों। वैसे तो कलाम के बारे में आपने बहुत पढ़ा होगा, सुना होगा लेकिन आज उनकी पुण्यतिथि पर हम कुछ ऐसे ही किस्से साझा करेंगे जिससे एक बार फिर अंदाजा लगाया जा सकता है कि ये साधारण सा रहने वाला व्यक्ति वास्तिवकता में कितना महान था।
'नाम आजाद, पिता का नाम स्वतंत्रता, पता जेल '
23 July 2020चिंगारी आजादी की सुलगी मेरे जश्न में हैं,इन्कलाब की ज्वालाएं लिपटी मेरे बदन में हैं, मैं आजाद हूं।भारत मां के लिए देश के कई वीर सपूतों ने हंसते-हंसते अपनी जान गंवा दी, इन्हीं में शामिल है एक नाम चंद्रशेखर आजाद। ये वो नाम है जिसके आगे अंग्रेजों के भी पसीने छूट जाते थे। एक ऐसा क्रांतिकारी जिसने कसम खाई थी कि उसके जिंदा रहते कोई भी अंग्रेज उसे हाथ तक नहीं लगा। पाएगा। महज 15 साल की उम्र में असहयोग आंदोलन में शामिल होने वाले आजाद को अपने जीवन में कई बार सलाखों के पीछे जाना पड़ा लेकिन ये जैसे उनके हौसले को और भी मजबूत बना रही थीं। कहते हैं कि उनकी हिम्मत कुछ ऐसी थी कि जब जेल में उनसे पूछताछ की गई तो उन्होंने अपना नाम आजाद, पिता का नाम स्वतंत्रता और पता जेल बताया था।
जलियांवाला बाग हत्याकांड: इतिहास में दर्ज इस नरसंहार के आज 101 साल हुए पूरे
13 April 202013 अप्रैल 1919 आज ही का दिन और बैसाखी का पर्व था जो इतिहास के पन्नों में एक अत्याचार की दास्तां के रूप में दर्ज हो गया। अमृतसर के जलियांवाला बाग में बूढे, बच्चे, महिलाएं, आदमी सभी लोग मौजूद थे और ब्रिगेडियर जनरल रेजीनॉल्ड डायर के नेतृत्व में अंग्रेज सैनिकों ने इन निहत्थों पर गोलियां चला दीं। इस कांड में कई लोगों की मौत हुई, बहुत से लोग घायल हुए और तब से ये दिन नरसंहार की वो कहानी हर साल ही बयां करता है।
विश्व कठपुतली दिवस: गुलाबो खूब लड़ी, सिताबो खूब लड़ी, जानिए इनका इतिहास
21 March 2020अरे देखो फिर लड़ै लागीं गुलाबो-सिताबो। आओ हो...देखो बच्चों शुरू हो गईं दोनों। कठपुतली का ये खेल कई लोगों ने अपने बचपन में देखा होगा। कठपुतियों का ये किरदार इतना फेमस था कि हाल ही में इसपर गुलाबो-सिताबो फिल्म भी बन रही है, जिसमें अमिताभ बच्चन मुख्य रोल में हैं।
जानिए टिक-टिक करती घड़ी का इतिहास कितना है पुराना
13 March 2020हर किसी की कलाई पर सजने वाली अलग-अलग ब्रांड की घड़ियां अब सिर्फ समय ही नहीं बल्कि फैशन की भी मानक हैं। लेकिन एक समय था जब वक्त देखने के लिए इनको बड़े ही टेक्निक से बनाया जाता था। इन घड़ियों का इतिहास बहुत पुराना है पहले लोग सूर्य की अलग-अलग अवस्थाएं देखकर सुबह, दोपहर और शाम का अनुमान लगाते थे। यही नहीं धूप के कारण पड़ने वाली किसी पेड़ या कोई स्थिर वस्तु की छाया से भी समय का अंदाजा लगाया जाता था। रात के समय का ज्ञान नक्षत्रों से किया जाता था। उसके बाद धीरे-धीरे पानी व बालू से घड़ी बनाई जाने लगी। आइये डालते हैं एक नजर इनके इतिहास पर...
मिर्जा गालिब: वो शायर जिसके सबसे ज्यादा ख़त दुनिया ने पढ़े
15 February 2020मिर्जा गालिब शायरों के दुनिया का एक बड़ा नाम है जो किसी के परिचय का मोहताज नहीं है। हालांकि उन्होंने अपनी शायरी में फ़ारसी का इस्तेमाल ज्यादा किया है इसलिए ये सभी लोगों की समझ से परे है लेकिन इसके बावजूद भी इनके शेर और गजलें लोगों के दिलों के करीब हैं। उन्होंने हर मौजू पर दिल से लिखा। बात इश्क की हो या फिर खुदा की मिर्जा गालिब का कोई मुकाबला नहीं। उनकी शायरियां आज भी मोहब्बत करने वालों के लिए इजहार का काम करती हैं तो कहीं जिंदगी के फलसफे सुनाती हैं। 'न था कुछ तो ख़ुदा था कुछ न होता तो ख़ुदा होता'
संविधान दिवस 2019 : भारतीय संविधान के बारे में जानें सबकुछ
26 November 2019हर साल 26 नवंबर को भारत में संविधान दिवस (Constitution Day of India) मनाया जाता है। 26 नवंबर 1949 ही वह तारीख थी जब हमारे देश का संविधान बनकर तैयार हुआ था। इसके दो महीने बाद यानि 26 जनवरी 1950 को ये संविधान देश में लागू भी कर दिया गया। आप में से ज्यादातर लोगों को ये बात पता होगी, लेकिन बताना मेरा फर्ज है कि संविधान को तैयार करने में 2 साल 11 महीने 18 दिन का वक्त लगा था। इसके लिए 29 अगस्त 1947 को भारत के संविधान (Indian Constitution) का मसौदा तैयार करने वाली समिति की स्थापना की गई थी और इसके अध्यक्ष के तौर पर डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की नियुक्ति हुई थी।