आपको भी लग रहा है कोरोना वायरस से डर? पढ़ें ये खबर
कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या दुनियाभर में तेजी से बढ़ रही है। इस बीमारी के बढ़ते प्रकोप से कई लोगों को एन्जाइटी की समस्या हो रही है। चीन के साथ ही दुनिया के बाकी देशों में भी इस बीमारी की वजह से जहां लोगों को शारीरिक दिक्कतें हो रही हैं, वहीं ऐसे लोग भी हैं जिन पर इसका मानिसक असर पड़ रहा है।
शिकागो में सिटीस्केप काउंसलिंग में इंटेक कोऑर्डिनेटर और लाइसेंस्ड थेरेपिस्ट निकोल बेंटले कहते हैं कि जो लोग समाचार बहुत ज्यादा देखते हैं और लगातार इस तरह की खबरें देखते रहते हैं उन लोगों को ऐसी खबरों से घबराहट होना सामान्य बात है। इस तरह के लोग इस वायरस के बारे में ज्यादा बात करते हैं, अगर उनके एरिया में ये नहीं फैला है तो भी उन्हें डर रहता है कि वे इसका शिकार हो जाएंगे, इन्हें सोने में दिक्कत होती है और स्वस्थ्य रहने के लिए ये ज्यादा कोशिशें करने लगते हैं। इनमें से कुछ लेाग ऐसे भी हो सकते हैं जिनके काम पर इसका असर पड़े, यहां तक कि रोजमर्रा की जिंदगी पर भी। अगर आपको भी ऐसा लगता है तो हफिंगटन पोस्ट ने कुछ तरीके बताए हैं जिन्हें अपनाकर आप इस समस्या से बच सकते हैं।
खबरों से उचित दूरी बनाएं
अगर आप कोरोना वायरस से जुड़ी बातों को लेकर कुछ ज्यादा ही चिंतित हैं तो खबरों से कुछ दूरी बना लें। बेंटले कहते हैं कि बेहतर रहेगा अगर लोग कोरोना वायरस से जुड़ी सारी खबरें न देखें। हालांकि उन्हें हर खबर से दूरी बनाने की जरूरत नहीं है लेकिन ये भी जरूरी नहीं है कि उन्हें इससे जुड़ी हर खबर पता हो। इस तरह की खबरों से ज्यादा जुड़े रहना दिमागी स्वास्थ्य पर बुरा असर डालता है। इसलिए यह जरूरी है कि लोग इस बात पर ध्यान दें कि वे किस तरह की खबरें देख रहे हैं और कितना समय इनमें खर्च कर रहे हैं। वह कहते हैं कि इस बात पर ध्यान दें कि आपने एक दिन में कितनी देर इस वायरस के बारे में खबरें पढ़ीं और देखीं, फिर कितनी देर इस बारे में सोचा। यह बीमारी या वायरस इस तरह का नहीं है जिसके बारे में ज्यादा सोचा जाए या परेशान हुआ जाए। इस वायरस के बारे में जागरूकता की जरूरत है।
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किसी से बात करें
जब आप किसी बात को लेकर चिंतित होते हैं तब किसी से बात न करने का मन करता है लेकिन लोगों से अपने मन की बात कहना हमेशा मददगार होता है। शिकागो के डेल्फी बिरेवरियल हेल्थ ग्रुप के मैरीलैंड हाउस डिटॉक्स में प्राइमरी क्लिनीशियन एस्तेर सग्गुरथी इस बारे में बात करते हुए पूछती हैं कि जब हम अंदर से परेशान या तानव में होते हैं तो कितनी बार बाहर से एकदम सामान्य दिखने की कोशिश करते हैं? किसी भी व्यक्ति को यह समझाने का कि हम क्या सोच रहे हैं, सबसे अच्छा तरीका यही होता है कि हम उससे खुलकर इस बारे में बात करें और अपनी परेशानी उसे बताएं। किसी बात करना, भले ही सिर्फ मैसेज पर की जाए, हमेशा आपको मानिसक तौर पर सुकून देता है।
जिस पल में हैं उसे जिएं
"जिस पल में आप हैं उसमें जीना बहुत मुश्किल होता है", बेंटले कहते हैं। वह कहते हैं कि अगर आपके दिमाग में डर घर कर रहा है तो अपने आस-पास के माहौल पर ध्यान केंद्रित करें। इस बात पर ध्यान दें कि उस वक्त में आपके आस-पास कितनी पॉजिटिविटी है। यह आपको सकारात्मक रहने में मदद करेगा। हो सकता है कि दुनियाभर में कोरोना वायरस को लेकर जो खबरें चल रही हों वे डरावनी हों लेकिन आपका नजदीकी माहौल ऐसा नहीं होगा। एस्थेर सग्गुरथी कहती हैं कि सकारात्मकता हमेशा मानसिक स्वास्थ्य के लिए अच्छी होती है।
याद रखें - आप क्या नियंत्रित कर सकते हैं
यह महसूस करना आसान है कि किसी का भी अपनी जिंदगी पर बस नहीं चलता और इन किसी भी हाल में जिंदगी की निरर्थकता पर ध्यान केंद्रित करें। सग्गुरथी कहती हैं कि ऐसी किसी भी बात को लेकर घबराहट जो हमारे बस में नहीं है, हमेशा हमें गलत फैसले लेने पर मजबूर करती है। वह कहती हैं कि जब कोई भी चीज आपके या आपके आस-पास के किसी व्यक्ति के बस में नहीं है, कोई आपदा है, महामारी है तो इस बारे में ज्यादा न सोचकर आप खुद को परेशान होने से बचा सकते हैं। नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के फैमिली इंस्टीट्यूट में संज्ञानात्मक व्यवहार उपचार कार्यक्रम के डायरेक्टर जोनाथन सुटॉन कहते हैं कि आप अपनी घबराहट का इस्तेमाल किसी महामारी से बचने के उपायों के बारे में जागरूक होकर कर सकते हैं। वह कहते हैं, ''जानकारी का एक विश्वसनीय स्रोत खोजें और अपने आप को अफवाहों और झूठों से बचाने के लिए सिर्फ उस पर ही भरोसा करें।''
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मदद लें
किसी भी बात से घबराहट महसूस करना बहुत ही सामान्य बात है लेकिन अगर ये समस्या बढ़ रही है और आपकी रोजमर्रा की जिंदगी पर इसका बुरा असर पढ़ रहा है, आपको ठीक से नींद नहीं आ रही तो ये जरूरी है कि आप किसी मनोवैज्ञानिक या मनोचिकित्सक से संपर्क करें।
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