बलिदान दिवस : जब गुलाब सिंह लोधी ने अंग्रेजों के खिलाफ किया विद्रोह

अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ आज़ादी का बिगुल फूंकने में अहम योगदान देने वाले वीर सपूत बलिदानी गुलाब सिंह लोधी का नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज है। उन्नाव ज़िले के फतेपुर चौरासी गाँव का निवासी यह लाल अपने युवावस्था से देश सेवा में समर्पित हो गया था। बलिदान के बाद आज़ाद भारत के लोगों द्वारा इस बलिदानी के नाम से संस्थान, अस्पताल सहित कई प्रमुख स्थानों को उनकी यादों से संजोया गया है। जो हमेशा बलिदानी की याद दिलाती रहती है।

बलिदानी गुलाब सिंह का नाम सुनते ही युवाओं में आज भी एक उत्तेजक भाव उत्पन्न होता है। यह वीर सपूत ब्लॉक क्षेत्र के चंद्रिका खेड़ा में सन 1903 में राम रतन सिंह लोधी के घर जन्मा था। गुलाब सिंह ने अपने युवावस्था में ही आज़ादी की लड़ाई का बीड़ा उठाया था। जिसके तहत उस समय चल रहे झण्डा सत्याग्रह आंदोलन में अंग्रेजों की नज़रों से छुपकर लखनऊ के अमीनाबाद पार्क में एक पेड़ पर चढ़कर तिरंगा झण्डा फहराते हुए भारत माता की जय का उद्घोष किया था।

उसी समय ब्रिटिश हुकूमत के आदेश पर अंग्रेजी सेना ने उन पर गोलियों की बौछार कर दी। जिससे 23 अगस्त 1935 को भारत माता के इस वीर सपूत ने अपने प्राणों की आहुति देकर स्वतन्त्रता की ज्वाला और तेज़ कर दी। अंग्रेजों के इस क्रूर व्यवहार से देश के युवाओं का खून उबलने लगा और आज़ादी के लिए आंदोलन में शामिल होने वाले युवाओं की फौज बढ़ती गई। अपनी आज़ादी की आग में उबलने वाले युवा समाज के दम पर ही अंग्रेजों को खदेड़ने के बाद 15 अगस्त 1947 भारत ने पूर्ण रूप से आज़ादी का शंखनाद किया।

इस वीर क्रांतिकारी की यादों को संजोये रखने के लिए बलिदानी गुलाब सिंह के पैत्रक गाँव में उनके नाम से एक पार्क के लिए जगह चिन्हित कराई गई थी। जिसके बाद पार्क का निर्माण कराया गया। जिसका लोकार्पण मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया था। वहीं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को भी इस बलिदानी के नाम से बनवाया गया और अस्पताल परिसर में गुलाब सिंह लोधी की मूर्ति लगाई गई।

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