आजाद हिंद फौज: भारत के स्वतंत्रता संग्राम की क्रांतिकारी सेना

azad-hind-fauj
azad-hind-fauj

आजाद हिंद फौज (Indian National Army या INA) की स्थापना नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने 21 अक्टूबर 1943 को की थी, जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक क्रांतिकारी कदम था। इस सेना का मुख्य उद्देश्य भारत को ब्रिटिश शासन से मुक्त कराना था, और इसका गठन दूसरे विश्व युद्ध के दौरान हुआ था। फौज ने दक्षिण-पूर्व एशिया में जापानी सेना के सहयोग से ब्रिटिश सत्ता के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष का नेतृत्व किया।

आजाद हिंद फौज का गठन

formation-of-azad-hind-fauj

आजाद हिंद फौज का प्रारंभिक विचार मोहन सिंह ने 1942 में किया था, जो जापानी सेना के सामने आत्मसमर्पण करने वाले भारतीय सैनिकों से बनी थी। बाद में, नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने इस फौज का पुनर्गठन किया और इसे एक मजबूत, संगठित रूप दिया। नेताजी का मानना था कि अंग्रेजों से आजादी सिर्फ सशस्त्र संघर्ष द्वारा ही संभव है, और इसलिए उन्होंने “दिल्ली चलो” का नारा दिया, जो इस संघर्ष का प्रतीक बन गया।

नेताजी का नेतृत्व

indian-national-army

नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व में, आजाद हिंद फौज ने दक्षिण-पूर्व एशिया से भारत पर हमले की योजना बनाई। बोस ने जापान और जर्मनी जैसे देशों से सहयोग प्राप्त किया और एक अस्थायी स्वतंत्र भारत सरकार की स्थापना की, जिसे कई देशों ने मान्यता भी दी। उनके द्वारा दिए गए प्रसिद्ध नारे “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा” ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में जोश भर दिया।

महत्वपूर्ण अभियान

आजाद हिंद फौज ने ब्रिटिश भारत पर पूर्वी मोर्चे से आक्रमण किया, जिसमें इम्फाल और कोहिमा की लड़ाई प्रमुख थीं। हालांकि यह संघर्ष सैन्य दृष्टिकोण से सफल नहीं रहा, लेकिन इसने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक नई ऊर्जा भर दी और लाखों भारतीयों के दिलों में स्वतंत्रता की लालसा को और भी मजबूत किया।

आजाद हिंद फौज का प्रभाव

यद्यपि आजाद हिंद फौज को पूर्ण सैन्य सफलता नहीं मिली, लेकिन इसका भारतीय स्वतंत्रता संग्राम पर गहरा प्रभाव पड़ा। नेताजी के बलिदान और उनकी फौज की वीरता ने भारतीय जनता और ब्रिटिश हुकूमत दोनों पर एक गहरा प्रभाव छोड़ा। फौज के सैनिकों पर ब्रिटिश सरकार द्वारा चलाए गए मुकदमे ने पूरे भारत में क्रांतिकारी भावना को जन्म दिया और स्वतंत्रता के लिए जन आंदोलन को और प्रबल किया।

नेताजी का अदृश्य होना

subhash-chandra-bose-death

नेताजी सुभाष चंद्र बोस 1945 में एक विमान दुर्घटना के बाद लापता हो गए, और उनके निधन की परिस्थितियाँ आज भी रहस्य बनी हुई हैं। हालांकि उनकी मृत्यु की पुष्टि नहीं हो सकी, लेकिन उनकी क्रांतिकारी सोच और आजाद हिंद फौज का संघर्ष आज भी भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का एक अमर अध्याय बना हुआ है।

स्मरण दिवस

21 अक्टूबर को हर साल आजाद हिंद फौज का स्थापना दिवस मनाया जाता है। यह दिन नेताजी सुभाष चंद्र बोस और उनकी सेना के बलिदान और योगदान को याद करने का एक अवसर है, जिसने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा दी। नेताजी की जयंती 23 जनवरी को ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में मनाई जाती है, जो उनके अदम्य साहस और बलिदान का प्रतीक है।

आजाद हिंद फौज और नेताजी सुभाष चंद्र बोस का नाम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा गया है। उनका योगदान और साहस आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

Zeen is a next generation WordPress theme. It’s powerful, beautifully designed and comes with everything you need to engage your visitors and increase conversions.