जीरो फिल्म रिव्यू: ये बउआ फाइनेंस मिनिस्टर का चेहरा देख कर बजट का हाल बता देता है!

जीरो फिल्म के बिजेनस में एक के बाद कितने जीरो लगेंगे ये तो 26 दिसंबर तक साफ हो जाएगा। पर मेरठ के इस बउआ सिंह को सिर्फ दर्शक ही हीरो या जीरो बना सकते हैं। जीरो फिल्म का फिल्म इंडस्ट्री के साथ-साथ शाहरूख खान के फैन भी लंबे समय से इंतजार कर रहे थे। शाहरूख खान के प्रशंसक इस फिल्म से निराश नहीं होंगे और जो आलोचना करने वाले होंगे, वो कमियां ढूंढ ही लेंगे।
निर्देशक-आनंद एल राय
निर्माता-आनंद एल राय, गौरी खान, करूणा बद्वाल
स्टोरी, डायरेक्टर, राइटर
आनंद एल राय बतौर निर्देशक और हिमांशु शर्मा बतौर लेखक एक जोड़ी बना चुके हैं। शाहरूख खान की फिल्म प्यार, इश्क और मोहब्बत के इर्द-गिर्द घूमती हैं और प्यार करने वालों को एक अलग दुनिया में ले जाती हैं। इस फिल्म में भी कुछ ऐसा है। डायरेक्टर आनंद एल राय ने बउआ सिंह के किरदार पर ही सबसे ज्यादा मेहनत की है और इसलिए फिल्म में वही छाया रहता है। और परिणाम ये होता है कि बाकी किरदार कही खोए-खोए से लगते हैं। पर अच्छी बात ये है कि फिल्म किसी भी स्पेशल पर्सन को खुद से प्यार करना सीखाती है और बताती है कि आप के अंदर चाहे कितनी कमी हो, अगर आप खुद से प्यार करते हैं तो आप खुद जीना सीख जाते हैं। आनंद एल राय और हिमांशु शर्मा की जोड़ी वैसे डायलॉग नहीं लिख पाई है जैसे तनु वेड्स मनु या फिर राझंणा में लिखे गए थे। पर इसके बावजूद बहुत कुछ ऐसा है जिसे फिल्म के पहले पार्ट में आप देख कर हंसेंगे और दूसरे पार्ट में थोड़े इमोशनल हो जाएंगे। फिल्म को स्लो होने से बचाया जा सकता था।
स्टार कास्ट- शाहरूख खान, अनुष्का शर्मा, कटरीना कैफ, तिग्मांशु धूलिया, अभय देयोल, शीबा चड्ढा, मोहम्मद जीशान अय्यूब, ब्रजेंद्र काला, सलमान खान, श्रीदेवी और भी कुछ नाम है जिन्हें नहीं बता रहा हूं। कुछ सरप्राइज रहने चाहिए।
शाहरूख खान ही फिल्म की पूरी जान हैं और बउआ सिंह के किरदार को उन्होंने सही तरीके से निभाया है। क्योंकि पूरी फिल्म ही उन्हीं पर बेस्ड है। आफिया के किरदार में अनुष्का शर्मा हैं जो फिल्म को आगे बढ़ाने का काम करती हैं। पर डायरेक्टर चाहते थे, उनका रोल और अधिक रियलिस्टिक लग सकता था। बबीता कुमार बनी कटरीना कैफ के पास भी करने को बहुत कुछ नहीं था। बउआ सिंह के दोस्त बने मोहम्मद जीशान अय्यूब के पास कुछ पंच वाले संवाद आए हैं। बाकी सब मूवी में बस पात्रों को निभाने भर के लिए थे।
फिल्म अवधि-2 घंटे 38 मिनट
टिकट के दिए- 200 रुपये
म्यूजिक—अजय-अतुल, बादशाह, तनिश्क बाग्ची
संगीत लिखा है-इरशाद कामिल
एडीटर-हेमल कोठारी
सिनेमेटोग्राफर-मनु आनंद
लोकेशन-बड़े स्टारों के साथ दिक्कत यही होती है कि वो छोटे-छोटे शहरों में जाकर रियल लोकेशन पर शूटिंग नहीं कर पाते हैं। इसलिए मेरठ को दिखाने के लिए एक सेट ही बना दिया गया है। कहानी मेरठ की है और मेरठ का कुछ दिखा नहीं। ये थोड़ा अखरता है।
फिल्म क्यों देंखे-अगर शाहरूख खान के जबरा फैन हैं और शाहरूख खान से कुछ अलग एक्टिंग की उम्मीद कर रहे हैं। बउआ सिंह के लिए फिल्म देखी जा सकती है।
फिल्म क्यों न देंखे-अगर शाहरूख खान की हर फिल्म में गलती निकालने की आदत हो या फिर शाहरूख खान पसंद न हो तो।
फिल्म समीक्षक- सचिन यादव
संबंधित खबरें
सोसाइटी से
अन्य खबरें
Loading next News...
