मेरा नाम जोकर के फ्लॉप होने के बाद राज कपूर गले तक कर्ज़ में डूब चुके थे। उनके बड़े बेटे रणधीर कपूर की डेब्यू फिल्म “कल आज और कल” का प्रदर्शन भी बहुत फीका रहा था। इसलिए राज कपूर उन दिनों फाइनेंशियली बहुत मुश्किलों में घिरे थे। राज कपूर को सिर्फ फिल्में बनाना ही आता था। इसलिए उस भारी कर्ज़ को उतारने के लिए उन्हें एक और फिल्म बनानी थी। एक ऐसी फिल्म जो हर हाल में सफल हो। कहने वाले कहते हैं कि राज कपूर राजेश खन्ना के साथ कोई फिल्म बनाना चाहते थे, जो उस वक्त स्टारडम के शिखर पर थे। लेकिन उनके पुत्र ऋषि कपूर ने एक इंटरव्यू में कहा था कि राज कपूर ने कभी किसी स्टार के साथ फिल्म बनाने की प्लानिंग उस वक्त की ही नहीं थी। क्योंकि उनका विज़न एकदम अलग था।
राज कपूर के ज़ेहन में एक कहानी चल रही थी। उस कहानी पर फिल्म बनाने के लिए उन्हें किसी स्टार की ज़रूरत नहीं थी। उस कहानी का आईडिया राज कपूर को एक आर्चीज़ कॉमिक्स से मिला था। उन दिनों ऋषि कपूर आर्चीज़ कॉमिक्स पढ़ा करते थे। कभी-कभार राज कपूर भी कॉमिक्स पढ़ लिया करते थे। कॉमिक्स में एक ऐसे लड़के की कहानी थी जिसने कुछ वक्त पहले ही स्कूल खत्म किया है। और अब वो अपनी ही उम्र की एक लड़की को चाहने लगा है। वही कहानी राज कपूर के दिमाग में छप गई। कॉमिक्स की उस कहानी से राज कपूर के दिमाग में कई आईडियाज़ आने लगे थे। राज कपूर ने लेखक ख्वाजा अहमद अब्बास वो कहानी और उससे आने वाले आईडियाज़ शेयर किए। और उसे भारतीय परिवेश की कहानी के तौर पर डेवलप करने को कहा।
ख्वाजा अहमद अब्बास ने कहानी तैयार कर ली। वी.पी.साठे संग मिलकर उन्होंने स्क्रीनप्ले भी लिख लिया। और जैनेंद्र जैन से डायलॉग्स भी लिखा लिए। फिल्म का नाम रखा गया बॉबी। बॉबी ही जैनेंद्र जैन जी की पहली फिल्म थी। अब बारी थी फिल्म के हीरो-हीरोइन चुनने की। वो ऐसा वक्त था जब फिल्म इंडस्ट्री के लगभग सभी स्टार हीरो टीनएजर नहीं, 30-32 साल की उम्र के मर्द दिखते थे। उनमें से कोई भी इस फिल्म के लिए फिट नहीं था। आखिरकार राज कपूर ने अपने दूसरे बेटे ऋषि कपूर, जो उस वक्त सीनियर कैंब्रिज की परीक्षा में फेल हो गए थे, उन्हें हीरो के रोल के लिए साइन कर लिया। इस तरह हीरो पर खर्च होने वाला पैसा राज कपूर ने बचा लिया। हीरोइन के लिए उन्होंने कुछ ऑडिशन्स किए।
उन ऑडिशन्स में नीतू सिंह ने भी अपनी किस्मत आज़माई थी। लेकिन वो फेल हो गई थी। उसी दौरान ही ऋषि कपूर ने पहली दफा नीतू सिंह को देखा था। लेकिन तब तो उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि ऑडिशन में फेल हुई ये लड़की एक दिन उनकी जीवन संगिनी होगी। खैर, डिंपल कपाड़िया भी ऑडिशन देने आई थी। डिंपल की पर्सनैलिटी राज कपूर को बॉबी फिल्म की हीरोइन के तौर पर एकदम फिट लगी। और इत्तेफाक से राज कपूर डिंपल के पिता चुन्नीलाल कपाड़िया को भी जानते थे। आखिरकार उन्होंने बॉबी के रोल के लिए डिपंल को फाइनल कर दिया। हीरोइन के पिता के रोल के लिए राज कपूर ने अपने साले प्रेमनाथ को लिया। वो परिवार का हिस्सा थे तो उन्होंने उस मुश्किल वक्त में राज कपूर का साथ देने में कोई कमी नहीं की।
हीरो के पिता के रोल के लिए अप्रोच किया गया प्राण साहब को, जो राज कपूर के बहुत पुराने दोस्त थे। लेकिन उन दिनों प्राण साहब फिल्म इंडस्ट्री के सबसे महंगे कैरेक्टर आर्टिस्टों में से एक थे। प्राण जानते थे कि राज कपूर किन मुश्किलों में घिरे हैं। इसलिए जब राज कपूर ने उनसे बॉबी में काम करने की गुज़ारिश की, और कहा कि तुम्हारा मार्केट प्राइस चुकाने में मैं असमर्थ हूं तो प्राण साहब ने राज कपूर से मात्र एक रुपया लेकर बॉबी साइन कर ली। हालांकि उन्होंने ये भी कहा था कि अगर बॉबी सफल हो गई तो उन्हें उनकी फीस दे दी जानी चाहिए, जिसके लिए राज कपूर तैयार हो गए। मगर हम सभी जानते हैं कि बॉबी के बाद प्राण साहब और राज कपूर जी की दोस्ती खत्म हो गई थी।
और वो इसलिए क्योंकि बॉबी की सफलता के बाद प्राण साहब को उम्मीद थी कि राज कपूर उन्हें उनकी फीस के तीन लाख रुपए देंगे। उन दिनों वो एक फिल्म का उतना ही चार्ज करते थे। लेकिन राज कपूर ने उन्हें सिर्फ एक लाख रुपए का चैक भिजवाया। प्राण साहब को राज कपूर की वो बात अच्छी नहीं लगी। उन्होंने वो एक लाख रुपए का चैक राज कपूर को वापस लौटा दिया। उसके बाद फिर कभी प्राण साहब ने राज कपूर की किसी फिल्म में काम नहीं किया। हालांकि आर.के.बैनर की आखिरी फिल्म ‘आ अब लौट चलें’, जो ऋषि कपूर ने डायरेक्ट की थी, प्राण साहब उसमें काम करने को तैयार हो गए थे। उस फिल्म में आलोकनाथ ने जो किरदार निभाया है वो पहले प्राण ही निभाने जा रहे थे। लेकिन अचानक प्राण साहब की तबीयत खराब हो गई और उन्हें वो फिल्म छोड़नी पड़ गई।
बॉबी के अन्य कलाकारों के लिए राज कपूर को बहुत अधिक मेहनत नहीं करनी पड़ी थी। क्योंकि राज कपूर बहुत बड़ा नाम थे तो फिल्म इंडस्ट्री का कोई भी एक्टर खुशी-खुशी उनकी फिल्म में काम करने को हमेशा तैयार रहता था। फिर चाहे राज कपूर थोड़े कम पैसे ही क्यों ना ऑफर कर रहे हों। बॉबी के दौरान ऐसा ही हुआ। और बाकि जितने भी कलाकार थे वो राज कपूर को आराम से मिल गए। बॉबी ना सिर्फ ऋषि कपूर और डिंपल कपाड़िया की लॉन्चिंग फिल्म थी, बल्कि अरुणा ईरानी की भी रीलॉन्चिंग फिल्म थी। बॉबी से पहले अरुणा ईरानी का करियर लगभग खत्म ही हो गया था। कॉमेडियन महमूद संग उड़ी अफेयर की खबरों ने अरुणा ईरानी का बहुत नुकसान किया था। उन्हें फिल्में मिलनी बंद हो गई थी। लेकिन बॉबी ने उनके करियर में एक नई जान फूंक दी। हालांकि अरुणा ईरानी से पहले राज कपूर वो रोल एक्ट्रेस रेखा की बहन राधा को ऑफर कर चुके थे। राधा उन दिनों मॉडलिंग किया करती थी। मगर वो फिल्मों में काम नहीं करना चाहती थी। इसलिए उन्होंने राज कपूर को मना कर दिया था।
गुंडे के रोल के लिए राज कपूर ने अपने साढ़ू प्रेम चोपड़ा को कास्ट किया। जबकी प्रेम चोपड़ा बॉबी में काम नहीं करना चाहते थे। दरअसल, वो कोई बहुत बड़ा रोल नहीं था। स्पेशल अपीयरेंस टाइप का रोल था। प्रेम चोपड़ा को डर था कि अगर उन्होंने किसी फिल्म में स्पेशल अपीयरेंस वाला कोई रोल निभा दिया तो फिल्म इंडस्ट्री के और लोग भी उनसे ऐसी ही उम्मीदें करने लगेंगे। जबकी वो फुल फ्लैज्ड विलेनियस कैरेक्टर्स ही उन दिनों निभाया करते थे। लेकिन मुश्किलों में घिरे अपने साढ़ू साहब की मदद के लिए प्रेम चोपड़ा को आखिरकार बॉबी का वो किरदार निभाना ही पड़ा। प्रेम चोपड़ा के किरदार को राज कपूर ने बॉबी में नाम भी उनका असली वाला ही दिया। प्रेम चोपड़ा को शुरू में ये बात अजीब लगी थी। लेकिन राज कपूर ने उन्हें अपने पर भरोसा करने को कहा। रिलीज़ के बाद वाकई में बॉबी फिल्म और फिल्म में बोला गया उनका डायलॉग,’प्रेम नाम है मेरा। प्रेम चोपड़ा’ उनके करियर के टॉप डायलॉग्स में से एक बन गया।
आज बॉबी फिल्म को रिलीज़ हुए 51 साल पूरे हो गए हैं साथियों। 28 सितंबर 1973 के दिन बॉबी रिलीज़ हुई थी और बड़ी करिश्माई हिट साबित हुई थी। कहा जाता है कि बॉबी देखने का क्रेज़ उस वक्त लोगों में इतना ज़्यादा था कि देश के दूरस्थ देहाती इलाकों के लोगों को बॉबी दिखाने के लिए स्पेशल बस सर्विस चलाई गई थी। चलिए, बॉबी फिल्म की और कुछ रोचक कहानियां भी जानते हैं।
बॉबी फिल्म के बजट को लेकर कोई एक्चुअल फिगर हमें नहीं मिल सका। कुछ लोग कहते हैं कि बॉबी 25 लाख रुपए में बनी थी। जबकी कुछ कहते हैं कि 40 लाख रुपए में बनी थी। लेकिन इस फिल्म ने साढ़े पांच करोड़ रुपए की ज़बरदस्त कमाई की थी। और ये एक ब्लॉकबस्टर फिल्म थी। कमाई के मामले में 1973 की नंबर वन फिल्म थी बॉबी। उस साल दूसरे नंबर पर धर्मेंद्र-हेमा मालिनी की जुगनू थी जिसने साढ़े तीन करोड़ रुपए की कमाई की थी। और तीसरे नंबर पर थी राजेश खन्ना-राखी-शर्मिला टैगोर स्टारर दाग। दाग ने तीन करोड़ पच्चीस लाख रुपए की कमाई की थी।
21वें फिल्मफेयर अवॉर्ड्स में बॉबी ने पांच अवॉर्ड्स जीते थे। पहला था बेस्ट एक्टर जो ऋषि कपूर को मिला था। दूसरा था बेस्ट एक्ट्रेस जो डिंपल कपाड़िया को मिला था। उस साल बेस्ट एक्ट्रेस अवॉर्ड डिंपल के साथ-साथ जया बच्चन को अभिमान फिल्म के लिए भी दिया गया था। यानि उस साल वो अवॉर्ड टाई हो गया था। बॉबी को मिला तीसरा फिल्मफेयर अवॉर्ड था बेस्ट मेल प्लेबैक सिंगर जो नरेंद्र चंचल जी को मिला था। फिर बेस्ट आर्ट डायरेक्शन, जो ए. रंगराज जी को मिला था। और पांचवा था बेस्ट साउंड डिज़ाइन जो अलाउद्दीन खान कुरैशी को मिला था।
उस साल जब ऋषि कपूर को बॉबी के लिए फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला था तो संजीव कुमार जी को बहुत खराब लगा था। क्योंकि उन्हें लगता था कि वो अवॉर्ड फिल्म कोशिश के लिए उन्हें मिलना चाहिए था। हालांकि सालों बाद ऋषि कपूर ने खुद ही खुलासा किया कि बॉबी के लिए उन्होंने फिल्मफेयर बेस्ट एक्टर अवॉर्ड तीस हज़ार रुपए में खरीदा था। ऋषि कपूर के ये खुलासा करने के बाद इन फिल्म अवॉर्ड्स की ऑथेंटिसिटी पर सवाल खड़े हो गए थे।
साभार : किस्सा टीवी