ख़य्याम की जिंदगी से जुड़ीं वह बातें जिन्हें नहीं जानते होंगे आप
सुप्रसिद्ध संगीतकार खय्याम का सोमवार रात मुंबई में निधन हो गया। उनका पूरा नाम मो. जहूर खय्याम हाशमी था। वह लंबे समय से फेफड़ों की बीमारी से जूझ रहे थे। खय्याम ने कभी कभी, उमराव जान, त्रिशूल, बाजार, नूरी जैसी नायाब फिल्मों के लिए संगीत दिया था। उनका अंतिम संस्कार आज मुंबई के दक्षिण पार्क, जुहू के जेवीपीडी सर्कल में होगा। उनके निधन पर विभिन्न हस्तियों ने अपना शोक जताया है।
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10 साल की उम्र में घर से भागे
मो. जहूर खय्याम हाशमी का जन्म 18 फरवरी 1927 को अविभाजित पंजाब के नवांशहर जिले के राहोन गांव में हुआ था। बचपन से ही उनका मन फिल्मी दुनिया के प्रति ज्यादा लगता था। बताते हैं कि वह 10 साल की उम्र में घर से भागकर दिल्ली अपने चाचा के पास चले गए थे। जिसके बाद चाचा ने उनका एडमिशन स्कूल में करा दिया। जहां उन्हें संगीत सीखने की मंजूरी भी मिल गई थी। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पंडित अमरनाथ और पंडित हुस्नलाल-भगतराम से ली थी। हालांकि बाद में उन्होंने पाकिस्तान के मशहूर संगीतकार जीएस चिश्ती से भी काफी कुछ सीखा।
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17 साल में की कॅरियर की शुरुआत
खय्याम ने अपने संगीतकार के सफर की शुरुआत 17 साल की उम्र से कर दी थी। 1953 में फिल्म फुटपाथ से बॉलीवुड में उनकी नई पारी की शुरुआत हुई। इसके बाद खय्याम ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। अपने 90वें जन्मदिन पर उन्होंने अपनी 12 करोड़ रुपये की सारी संपति दान करने की घोषणा की थी। यह रकम फिल्म जगत में जरूरत मंदों और उभरते संगीतकारों के लिए दान दी गई थी। उन्होंने पुलवामा हमले में शहीदों के लिए भी 05 लाख रुपये की मदद की थी।
अभिनेता बनने का था शौक
खय्याम बचपन से ही संगीतकार नहीं बल्कि अभिनेता बनना चाहते थे। इस शौक को पूरा करने के लिए उन्होंने डी नारंग की फिल्म ये है जिंदगी में अभिनय किया था। वहीं वह दूसरे विश्व युद्ध के दौरान सेना में भी भर्ती हो गए थे। बाद में वापस संगीत की दुनिया में उन्होंने वापसी की थी। पिछले साल उन्होंने फिल्म मैं फिर आउंगा के लिए संगीत दिया था।
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खय्याम के कुछ सदाबहार नगमे
दिल चीज क्या है आप मेरी जान लीजिए- उमराव जान
कभी-कभी मेरे दिल में ख्याल आता है- कभी-कभी
करोगे याद तो हर बात याद आएगी- बाजार
ए दिले नादान- रजिया सुल्ताना
शामे गम की कसम- फुटपाथ
है कली-कली के लब पर- लाला रुख
वो सुबह कभी तो आएगी- फिर सुबह होगी
जीत ही लेंगे बाजी हम तुम- शोला और शबनम
तुम अपना रंजो-गम अपनी परेशानी मुझे दे दो- शगुन
ये क्या जगह है दोस्तों- उमराव जान
मोहब्बत बड़े काम की चीज है- त्रिशूल
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