यादों में हमेशा जिंदा रहेगा 'दयावान'

बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता विनोद खन्ना नहीं रहे। उनका लंबी बीमारी के बाद गुरुवार सुबह निधन हो गया। वह 70 वर्ष के थे। खन्ना को कथित तौर पर डिहाइड्रेशन के कारण अप्रैल के पहले सप्ताह में सर एच.एन रिलायंस फाउंडेशन अस्पताल में भर्ती कराया गया था। खन्ना पंजाब में गुरदासपुर निर्वाचन क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लोकसभा सांसद थे। उन्होंने 'मेरे अपने', 'इंसाफ' तथा 'अमर, अकबर, एंथनी' जैसी फिल्मों में काम किया था।
निगेटिव किरदार से की थी शुरुआत
उन्होंने अपने करियर की शुरुआत नकारात्मक किरदारों से की। बाद में वह मुख्यधारा के हीरो बन गए। उन्होंने सुनील दत्त की 1968 में आई फिल्म 'मन का मीत' में विलेन का किरदार निभाया। उनका सबसे लोकप्रिय विलन का किरदार फिल्म दयावान में था। शुरुआत के दिनों में वह सह अभिनेता या विलेन के रोल में ही नजर आए। ये फिल्में थीं-पूरब और पश्चिम, सच्चा झूठा, आन मिलो सजन, मस्ताना, मेरा गांव मेरा देश, ऐलान आदि।
पढ़ाई और फिल्मी करियर
1960 के बाद की उनकी स्कूली शिक्षा नासिक के एक बोर्डिग स्कूल में हुई वहीं उन्होने सिद्धेहम कॉलेज से कॉमर्स में ग्रेजुएशन किया था। उन्होंने अपने फ़िल्मी सफर की शुरूआत 1968 मे आई फिल्म "मन का मीत" से की जिसमें उन्होने एक खलनायक का अभिनय किया था। कई फिल्मों में उल्लेखनीय सहायक और खलनायक के किरदार निभाने के बाद 1971 में उनकी पहली सोलो हीरो वाली फिल्म हम तुम और वो आई। कुछ वर्ष के फिल्मी सन्यास, जिसके दौरान वे आचार्य रजनीश के अनुयायी बन गए थे, के बाद उन्होने अपनी दूसरी फिल्मी पारी भी सफलतापूर्वक खेली और अभी तक भी फिल्मों में सक्रिय हैं।
राजनीतिक करियर
वर्ष 1997 और 1999 में वे दो बार पंजाब के गुरदासपुर क्षेत्र से भाजपा की ओर से सांसद चुने गए। 2002 में वे संस्कृति और पर्यटन के केंद्रीय मंत्री भी रहे। सिर्फ 6 माह पश्चात् ही उनको अति महत्वपूर्ण विदेश मामलों के मंत्रालय में राज्य मंत्री बना दिया गया।
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