वो 1973 की जनवरी की एक सर्द रात थी। अमिताभ बच्चन को बुखार था। घर पर जब उन्होंने चैक किया था तो थर्मामीटर पर 102 रीडिंग दिखा रहा था। उनके सर में बहुत तेज़ दर्द हो रहा था। चेहरा पसीना-पसीना, मुंह एकदम सूखा और गर्म था। ऐसे हालात थे उस रात अमिताभ बच्चन के। लेकिन वो एक फिल्मी पार्टी थी। बहुत बड़ी फिल्मी पार्टी। इसलिए वहां आना अमिताभ बच्चन जैसे न्यूकमर के लिए बहुत ज़रूरी था। ज़ंजीर अभी तक रिलीज़ नहीं हुई थी। यानि अमिताभ उस समय तक एक फ्लॉप एक्टर ही थे। पार्टी में आए फोटोग्राफरों के सामने उन्होंने भी एक पोज़ दिया।
एक पल ऐसा आया जब अमिताभ को लगा कि वो बेहोश होकर गिर पड़ेंगे। इसलिए वो मेजबान से अनुमति लेकर उनके बैडरूम में जाकर लेट गए। मगर ज़्यादा देर वो वहां लेटे ना रह सके। आखिरकार फिल्म इंडस्ट्री के बड़े-बड़े लोग उस पार्टी में आए थे। उनकी नज़रों में भी तो आना था। इसलिए अमिताभ उठकर वापस पार्टी में आ गए और वैसे भी, वो जी.पी.सिप्पी की अगली बड़ी फिल्म में एक रोल हासिल करने के इरादे से उस पार्टी में आए थे। अमिताभ उन दिनों जुहू में एक छोटा सा अपार्टमेंट किराए पर लेकर रहते थे। उस दिन पार्टी में शरीक होने के लिए जुहू से अमिताभ खराब तबियत में ही आल्टामाउंट रोड स्थित श्री विजया भवन आए थे। ये एक अच्छी खासी दूरी थी।
श्री विजया भवन जी.पी.सिप्पी का घर था और उस दिन उन्होंने ही वो पार्टी आयोजित की थी। जी.पी.सिप्पी फिल्म इंडस्ट्री का बहुत बड़ा नाम थे। उनकी पिछली कुछ फिल्में सुपरहिट रही थी। जबकी अमिताभ का अब तक का करियर सिर्फ फ्लॉप फिल्मों से ही भरा था। जिस वक्त अमिताभ उस पार्टी में पहुंचे थे उस वक्त तक पार्टी पूरे शबाब पर थी। बड़े-बड़े स्टार्स, डायरेक्टर्स, डिस्ट्रीब्यूटर्स, राइटर्स पार्टी में पहले ही पहुंच चुके थे। सिप्पीज़ की अगली फिल्म के लिए एक एक्टर को कास्ट किया जाना बाकी था। तो पार्टी में आए कई एक्टर्स उस रोल को हासिल करने की ताक में थे।
जी.पी.सिप्पी के पुत्र रमेश सिप्पी बतौर डायरेक्टर अपनी तीसरी फिल्म अनाउंस कर चुके थे। उनकी पहली फिल्म अंदाज़ मॉडरेट सक्सेस रही थी। लेकिन दूसरी फिल्म सीता और गीता ब्लॉकबस्टर साबित हुई थी। सीता और गीता की सफलता ने हेमा मालिनी को नंबर वन एक्ट्रेस बना दिया था और अब एक नए प्रोजेक्ट के साथ रमेश सिप्पी हाज़िर थे। ये एक ऐसा प्रोजेक्ट था जो बॉलीवुड के लिए एकदम नया था। इस प्रोजेक्ट में धर्मेंद्र और हेमा मालिनी को कास्ट किया जा चुका था और चूंकि ये दो हीरो वाली फिल्म होनी थी तो एक और हीरो को कास्ट किया जाना बाकी था। अमिताभ उसी रोल को हासिल करना चाहते थे।
आधी रात के लगभग पार्टी में शत्रुघ्न सिन्हा की एंट्री हुई। शत्रु जी उस वक्त तक इस्टैब्लिश्ड और सफल एक्टर बन चुके थे। मीडिया वालों के कैमरे सबको छोड़ उन्हें कैप्चर करने लगे। अब तक की अधिकतर फिल्मों में शत्रु जी ने निगेटिव किरदार ही अधिक निभाए थे। लेकिन उनकी फैन फॉलोइंग किसी हीरो से कम नहीं थी। उन्होंने धर्मेंद्र और हेमा मालिनी के साथ एक पोज़ दिया। मीडिया के कैमरे धडाधड़ उन तीनों को कैप्चर करने लगे। उन तीनों को देखकर एक डिस्ट्रीब्यूटर ने धीरे से रमेश सिप्पी के कान में कहा,”ये है आपकी कास्टिंग। उस लंबू जी का सोचना भी मत।” प्रतिक्रिया में रमेश सिप्पी सिर्फ मुस्कुरा दिए।
पार्टी खत्म हुई फिल्मी दुनिया के लोगों ने मान ही लिया कि रमेश सिप्पी अपने नेस्क्ट प्रोजेक्ट में सेकेंड लीड के तौर पर शत्रुघ्न सिन्हा को ही कास्ट करने वाले हैं लेकिन उनके अगले प्रोजेक्ट के लेखक सलीम-जावेद अमिताभ बच्चन को कास्ट करने की हिमायत कर रहे थे। उन्होंने ही ज़ंजीर में प्रकाश मेहरा को अमिताभ को कास्ट करने के लिए राज़ी किया था दूसरी तरफ अमिताभ बच्चन ने धर्मेंद्र से भी रमेश सिप्पी से अपनी सिफारिश करने को कहा। धर्मेंद्र ने रमेश सिप्पी को अमिताभ को ही कास्ट करने की बात कही। जबकी डिस्ट्रीब्यूटर्स चाहते थे कि अमिताभ को बिल्कुल भी नहीं लिया जाए।
रमेश सिप्पी ने कई दिन तक इस बात पर माथा-पच्ची की कि उन्हें सेकेंड लीड के तौर पर शत्रुघ्न सिन्हा को लेना चाहिए या अमिताभ बच्चन को लेना चाहिए। आखिरकार उन्होंने सोचा कि शत्रु एक बड़े स्टार हैं और एक फिल्म में इतने सारे बड़े स्टार्स को कास्ट करने की वजह से शूटिंग में बहुत परेशानियां आ सकती हैं क्योंकि बड़े स्टार्स की ईगो भी बड़ी होती है। आखिरकार उन्होंने अमिताभ बच्चन को ही अपने नए प्रोजेक्ट शोले में जय के रोल के लिए कास्ट करने का फैसला किया और यूं अमिताभ बच्चन को शोले फिल्म मिल गई।
साभार- किस्सा टीवी