
“हमको जो ताना देते हैं, हम खोए हैं इन रंगरलियों मे। हमने उनको भी छुप-छुपकर, आते देखा इन गलियों में। ये सच है झूठी बात नहीं। तुम बोलो ये सच है ना। कुछ तो लोग कहेंगे। लोगों का काम है कहना।” 52 साल पहले 28 जनवरी 1972 को रिलीज़ हुई थी राजेश खन्ना और शर्मिला टैगोर की बहुत शानदार फिल्म अमर प्रेम। तस्वीर में आप काका (राजेश खन्ना) और सुजीत कुमार जी के साथ शर्मिला टैगोर जी को देख सकते हैं। इस फिल्म के गीतों के बारे में क्या कहा जा सकता है।
इसी फिल्म में काका राजेश खन्ना का वो अमर डायलॉग है। पुष्मा आई हेट टियर्स। ये फिल्म पहले बंगाली में बनी थी। निशी पद्मा(1970) नाम से। उस फिल्म में मुख्य भूमिकाएं निभाई थी उत्तम कुमार जी और साबित्री चटर्जी ने। इस फिल्म की कहानी अरबिंद मुखर्जी ने लिखी थी। बंगाली में उन्होंने ही ये फिल्म डायरेक्ट की थी। फिर जब शक्ति सामंत जी ने ये फिल्म हिंदी में बनानी शुरू की तो मसला आया कहानी की भाषा का। दअरसल, अरबिंद मुखर्जी ने ये कहानी बांग्ला में लिखी थी। वो हिंदी भाषा में बहुत कमज़ोर थे। इसलिए जब ये फाइनल हो गया कि शक्ति सामंत जी इस फिल्म को हिंदी में बनाएंगे तो अरबिंद मुखर्जी ने उन्हें सारी कहानी अंग्रेजी में लिखकर दी थी। फिर डायलॉग राइटर रमेश पंत जी ने ये सारी कहानी हिंदी में लिखी। सिवाय एक डायलॉग छोड़कर। वो डायलॉग था,’पुष्मा, आई हेट टियर।’
इस फिल्म का एक और बेहद लोकप्रिय गीत है,’चिंगारी कोई भड़के।’ फिल्म में देखा जाता है कि ये गीत नाव पर फिल्माया गया है और लोकेशन है हुगली नदी। गीत की शुरुआत में हमें बैकग्राउंड में हावड़ा ब्रिज नज़र भी आता है। लेकिन जो रोचक बात इस गीत से जुड़ी है वो ये कि, ये गीत मुंबई के नटराज स्टूडियो में फिल्माया गया था। हालांकि पहले ये गीत हुगली नदी में ही शूट करने की प्लानिंग थी। लेकिन चूंकि हुगली हावड़ा ब्रिज के पास हमेशा भीड़ होती है तो ऑथोरिटीज़ ने वहां शूट करने की परमिशन नहीं दी। तब स्टूडियो में एक बड़े से वॉटर टैंक का इंतज़ाम किया गया और उसमें ये गीत शूट किया गया।
अमर प्रेम राजेश खन्ना जी और शक्ति सामंत जी की जोड़ी की हैट्रिक सक्सेस थी। 1969 की अराधना(जिसने असल में काका को सुपरस्टार बनाया था) और 1971 की कटी पतंग के बाद काका-सामंत की जोड़ी ने इसी फिल्म में काम किया था।
साभार – किस्सा टीवी