ज़िंदादिली की मिसाल थीं जोहरा सहगल, 80 साल की उम्र में दी थी कैंसर को मात

सिर्फ सात साल की उम्र में उन्होंने अपनी एक आंख की रोशनी खो दी लेकिन अपनी मंजिल तक पहुंचने का जो हौसला था वह कभी नहीं खोया। दशकों तक बॉलीवुड पर राज किया और बच्चों से लेकर बूढ़ों तक की तारीफें बटोरीं। हम बात कर रहे हैं जोहरा सेहगल की। उनका स्वभाव थोड़ा ज़िद्दी और विद्रोही था लेकिन उनमें कमाल की ज़िंदादिली और एनर्जी थी। जिसके चलते इन्होंने अपने अभिनय से सात दशक तक लोगों को अपना दीवाना बनाया। उन्होंने बॉलीवुड के चार पीढ़ियों पृथ्वी राज कपूर से लेकर रणवीर कपूर के साथ काम किया।
27 अप्रैल 1912 को उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में जन्मीं जोहरा ने 100 साल की उम्र सिनेमा में काम किया। उनके माता-पिता ने उनका नाम साहिबज़ादी ज़ोहरा बेगम मुमताज़ उल्लाह खान रखा। जो जोहरा सेहगल नाम से जानी गई। सात साल की उम्र में मोतियाबिंद की वजह से इन्होंने अपनी बायीं आंख की रोशनी गंवा दी थी। 1935 में बतौर नृत्यांगना अपने करियर की शुरुआत की।

उन्हें शुरू से ही अलग-अलग संस्कृतियों और रीति-रिवाज़ों में बेहद रुचि थी। साल 1929 में मैट्रिक और 1933 में स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद जोहरा ने डांसर बनने का सोचा। जोहरा ने अपने करियर की शुरूआत बतौर डांसर के रूप में साल 1935 में उस जमाने के जाने माने डांसर उदय शंकर के साथ की। उदय शंकर के साथ जोहरा सहगल ने कई बड़े देशों में अपने डांस कार्यक्रम पेश किए। ये कहना गलत नहीं होगा कि इस दौरान इन्होंने खूब यात्राएं भी की और साल 1942 में जोहरा सहगल ने वैज्ञानिक, पेंटर और डांसर कमलेश्वर सहगल से शादी कर ली। जो जौहरा से उम्र में 8 साल छोटे थे।
लाडली के नाम से चर्चित जोहरा ने 14 साल तक इंडियन पीपुल्स थिएटर एसोसिएशन और पृथ्वीराज कपूर के पृथ्वी थिएटर में अभिनय किया और वर्ष 1946 में अपनी पहली फिल्म प्रोडक्शन 'धरती के लाल' के जरिये रुपहले पर्दे पर पदार्पण किया। उन्होंने चेतन आनंद की फिल्म 'नीचा नगर' में भी काम किया। साल 1946 में पहली बार फिल्म ‘धरती के लाल’ में नजर आईं। जोहरा ने ‘हम दिल दे चुके सनम’, ‘दिल से’, ‘चीनी कम’, 'कौन है जो सपनों में आया', 'तेरा जादू चल गया' जैसी कई फिल्मों में अभिनय किया। उन्होंने गुरु दत्त की चर्चित फिल्म 'बाजी' (1951) और फिर बाजी, सीआईडी, आवारा और नौ दो ग्यारह जैसे सुपरहिट फिल्मों के लिए कोरियोग्राफी भी की। जोहरा आखिरी बार साल 2007 में संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘सांवरिया’ में नजर आई थीं।
जोहरा जब 80 साल की थीं जब उन्हें कैंसर हो गया था लेकिन उन्होंने इसे शिकस्त दी और 102 साल की ज़िंदगी की। उन्हें साल 1998 में पद्मश्री और साल 2010 में पद्मविभूषण से नवाजा गया था। 10 जुलाई 2014 को उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया था। 100 साल तक पर्दे पर राज करने वाली जोहरा.. 10 जुलाई 2014 को इस दुनिया को अलविदा कह गई, लेकिन वो जिंदा है आज भी इतिहास के पन्ने में अपने जज्बें और जूनून से अपनी मंजिल पर फतह हासिल करने की मिसाल के तौर पर।
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