
26 जनवरी के सप्ताहांत पर रिलीज़ हुई फिल्म ‘Sky Force’ एक फाइटर पायलट ड्रामा है, जो भारत-पाक युद्ध की पृष्ठभूमि में सेट है। फिल्म का निर्देशन संदीप केवलानी और अभिषेक अनिल कपूर ने किया है। यह फिल्म 1965 के भारत-पाक युद्ध और 1971 के कैदियों के आदान-प्रदान की सच्ची घटनाओं से प्रेरित है। हालांकि, सीमित बजट और कमजोर पटकथा फिल्म के प्रभाव को कम कर देती है।
कहानी का सार
‘Sky Force’ की कहानी विंग कमांडर अहुजा (अक्षय कुमार) और उनके शिष्य विजय (वीर पहारिया) के इर्द-गिर्द घूमती है। अहुजा, जिन्हें ‘टाइगर’ के नाम से जाना जाता है, अपने स्क्वाड्रन को युद्ध के लिए तैयार करते हैं। विजय, जो ‘टैबी’ कहलाता है, एक होनहार लेकिन विद्रोही पायलट है। विजय की गर्भवती पत्नी गीता (सारा अली खान) से अहुजा वादा करते हैं कि वे विजय को सुरक्षित रखेंगे।
लेकिन विजय, आदेशों की अवहेलना करते हुए पाकिस्तान सीमा में घुसपैठ करता है और फिर कभी वापस नहीं आता। कहानी में ट्विस्ट तब आता है जब 1971 में एक पाकिस्तानी पायलट अहमद हुसैन (शरद केलकर) को पकड़कर भारत लाया जाता है। अहमद और अहुजा के बीच की बातचीत फिल्म का सबसे मजबूत हिस्सा है, जिसमें भारतीय और पाकिस्तानी पायलट्स की समान गरिमा और सम्मान को दिखाया गया है।
कमजोर पक्ष
फिल्म के ज्यादातर हिस्से में हवाई युद्ध और ट्रेनिंग सीन दिखाए गए हैं। लेकिन सीमित बजट के कारण CGI कमजोर है, जिससे दृश्य प्रभाव असली नहीं लगते। फिल्म की ध्वनि मिश्रण भी खराब है, जिससे संवाद सुनने में कठिनाई होती है।

पटकथा में चार लेखकों के बावजूद संवाद और भावनात्मक क्षण साधारण हैं। “नो मैन लेफ्ट बिहाइंड” जैसे विचार को बार-बार दोहराया गया है, जो दर्शकों के लिए थकाऊ हो सकता है।
मजबूत पक्ष
हालांकि फिल्म कई जगह लड़खड़ाती है, लेकिन इसके कुछ हिस्से अनोखे हैं। शरद केलकर का किरदार और उनकी अदाकारी फिल्म को एक अलग आयाम देती है। खास बात यह है कि फिल्म भारत-पाक संबंधों को एक नई सोच के साथ दिखाने की कोशिश करती है।
‘Sky Force’ एक औसत फिल्म है, जो बेहतर CGI और लेखन से काफी प्रभावशाली हो सकती थी। लेकिन इसकी सबसे खास बात यह है कि यह भारतीय सेना के आदर्शों के इतर मानवीय संवेदनाओं पर ध्यान केंद्रित करती है। यह फिल्म सच्ची घटनाओं पर आधारित होते हुए भी एक नए दृष्टिकोण की झलक देती है।