Film Review: इमोशनल ड्रामा है सलमान की 'ट्यूबलाइट'

बजरंगी भाई जान की अपार सफलता के बाद डायरेक्टर कबीर खान और सलमान खान एक साथ फिर आ गए हैं। अब इस जोड़ी ने तीसरी फिल्म बनाई है नाम है 'ट्यूबलाइट'। इस बार कबीर खान ने हॉलीवुड की फिल्म 'लिटिल बॉय' से प्रेरित होकर इस फिल्म की कहानी पर्दे पर दर्शाने की कोशिश की है।
वैसे हॉलीवुड की फिल्म 'लिटिल बॉय' को बहुत ज्यादा सराहा नहीं गया था पर उसके हिंदी रुपांतरण में कुछ न कुछ खास मिलने की उम्मीद है। कबीर खान की इस फिल्म को क्या उतना ही प्यार मिलेगा जितना कि उनकी सलमान खान के साथ आई पिछली फिल्मों को मिला? यह तो आप ही बता सकते हैं... उससे पहले यह रिव्यू
कहानी
यह कहानी लक्ष्मण (सलमान खान) की है जिसे पास पड़ोस के बच्चे ट्यूबलाइट के नाम से बुलाते हैं। लक्ष्मण का भाई भरत (सोहेल खान) है। भरत और लक्ष्मण एक तरह से एक दूसरे के लिए सब कुछ है क्योंकि बचपन में ही इन माता पिता का देहांत हो गया था। दोनों भाई एक दूसरे के साथ ही बड़े होते हैं। कहानी में इमोशनल पल तब आता है जब भरत की नौकरी आर्मी में लग जाती है और इंडो-चाइना युद्ध के लिए उसे जाना पड़ता है और जिसके वापस आने की कोई उम्मीद नहीं होती।
लक्ष्मण पूरी तरीके से भावुक हो जाता है और उसकी भरपूर कोशिश होती है कि किसी भी कीमत पर वह अपने भाई को वापस ला सके जिसके लिए लक्ष्मण की जर्नी शुरू होती है। कहानी में बन्ने खान (ओम पुरी) और छोटे बच्चे गुओ (मतीन) और उसकी मां(जू जू) की एंट्री से कई सारे ट्विस्ट और टर्न्स आते हैं। लेकिन लक्ष्मण को यकीन रहता है कि उसका भाई भरत जरूर वापस आएगा। अब क्या उसका यकीन वास्तविकता में बदल पाता है, यह जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी।
क्यों देखें फिल्म
1 - सलमान खान पहली बार एक माचोमैन के अवतार से हटकर बैकफुट पर खेलते नजर आए हैं और उनका यह अवतार आपने शायद ही पहले देखा होगा या कह सकते हैं कि पहली बार फ्रेश अवतार में दिखाई देते हैं।
2 - फिल्म की कहानी तो पहले ही ट्रेलर में बताई जा चुकी है लेकिन उसके फिल्मांकन का तरीका कबीर ने अलग तरह से पेश करने की कोशिश की है जिसमें ज्यादातर आपको इमोशनल माहौल ही मिलता है।
3 - फिल्म के इंटरवल से पहले और इंटरवल के बाद कहानी अलग-अलग दिशाओं में जाती रहती है जहां एक तरफ सलमान की सोच इंटरवल से पहले एक मासूम से छोटे बच्चे की तरह होती है जिसकी वजह से उन्हें ट्यूबलाइट कहा जाता है वही कहानी के दूसरे हिस्से में उस सोच में बदलाव आता है।
4 - फिल्म में सलमान खान ने बहुत ही बढ़िया काम किया है, वही स्वर्गीय अभिनेता ओमपुरी का काम भी काबिले तारीफ है। बाल कलाकार मतीन रे तंगू ने बढ़िया काम किया है जो आप को समय-समय पर हंसाते भी हैं। सोहेल खान और चाइनीज अभिनेत्री जूजू ने भी सहज अभिनय किया है। शाहरुख खान का छोटा लेकिन काफी इंपॉर्टेंट रोल है।
5- फिल्म का संगीत रिलीज से पहले सराहा जा रहा था और खास तौर से रेडियो और तिनका-तिनका वाला गाना बहुत फेमस हुआ।
6 - फिल्म का डायरेक्शन सिनेमेटोग्राफी लोकेशंस कमाल के हैं। वैसे तो फिल्म साठ के दशक में बेस्ड है लेकिन देखते-देखते कई मुद्दों पर आंखें खोलने का काम भी करती है जो कि आजकल भी सभी के सामने नजर आते ही आते हैं।
कमज़ोर कड़ियां
1 - सलमान खान का नाम जहन में आते ही आप के सामने दबंग खान, सुल्तान और ताबड़तोड़ एक्शन करने वाले इंसान का चेहरा नजर आता है, लेकिन आपको यह सारी चीजें इस फिल्म में नहीं दिखाई देंगी।
2 - फिल्म का स्क्रीनप्ले भी काफी बिखरा-बिखरा सा नजर आता है जिसे भली भांति अच्छे तरीके से पेश किया जाता तो कहानी किसी और लेवल की होती। फिल्म की सोच अच्छी है लेकिन उसे पूरी तरीके से दर्शा पाने में मेकर असक्षम दिखते हैं।
3 - फिल्म काफी इमोशनल है लेकिन कई बार ऐसे कई सीन आते हैं जिसमें इमोशन तो होता है लेकिन इमोशनल फील एक दर्शक के तौर पर महसूस नहीं होती, जिस पर काम किया जाना बहुत जरूरी था।
4 - फिल्म का क्लाइमेक्स काफी प्रेडिक्टेबल सा है जिसे और दिलचस्प किया जाता तो देखने का अलग मजा होता।
रेटिंग: 2.5 स्टार
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