800 टॉयलेट बनवाएंगे रंग दे बसंती के डायरेक्टर राकेश ओम प्रकाश मेहरा

टॉयलेट: एक प्रेम कथा का ट्रेलर अभी हाल ही में रिलीज हुआ है। आपको बता दें, यह फिल्म स्वच्छता अभियान को केंद्र में रखकर बनाई जा रही है, इसी अभियान से जुड़ी एक और फिल्म आपको आने वाले समय में देखने को मिलेगी।
यह फिल्म रंग दे बसंती जैसी फिल्में बना चुके राकेश ओमप्रकाश मेहरा बना रहे हैं। यहां हम आपको ये बता दें, खबर ये नहीं है कि राकेश ओमप्रकाश मेहरा स्वच्छता अभियान पर एक फिल्म बना रहे हैं, जबकि खबर ये है कि वो इस फिल्म के अलावा एक बड़ा सामाजिक कार्य भी कर रहे हैं।
800 टॉयलेट बनवाने का लिया संकल्प
आपको बता दें, शौचालय की कमी पर फिल्म बना रहे निर्देशक राकेश ओमप्रकाश मेहरा वास्तव में उन झोपड़ियों में शौचालय बना रहे हैं जहां वह शूटिंग कर रहे हैं। राकेश अपनी अगली फिल्म 'मेरे प्यारे प्राइम मिनिस्टर' को मुंबई में घाटकोपर की एक झुग्गी बस्ती में फिल्मा रहे हैं। ऐसे में जिन झुग्गियों को बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) से एनओसी मिल गई है, वहां शौचालयों का निर्माण करने जा रहे है। राकेश ने अब अगले 4 सालों में 800 टॉयलेट बनाने का टारगेट रखा है।
शौचालय बनवाने के साथ लोगों को जागरूक भी कर रहे हैं राकेश
जब इस विषय पर उनसे सवाल किया गया, तो इस बात पर जोर देते हैं कहा कि उनका योगदान 'सागर में एक बूंद भी नहीं है। उन्होंने कहा, ' हम सिर्फ शौचालय का निर्माण कर वहां से चले नहीं जाते, बल्कि हम यह भी ध्यान रखते हैं कि स्थानीय लोग सही से उसकी देख-रेख भी करें। हम क्षेत्र के झुग्गी-झोपड़ियों और नगरसेवकों के साथ बैठक कर रहे हैं, जिसमें हम उन्हें एक रुपया दान देने के लिए कह रहे हैं ताकि समुदाय के कर्मचारियों को उनके बकाया दे सकें।
लोग रेलवे ट्रैक पर शौच करने पर मजबूर
साबरमती आश्रम में गांधी के आदर्श शौचालयों से प्रेरित हो कर अब अगर 4 सालों में 800 शौचालयों का निर्माण करने का मन बना चुके मेहरा ने कहा कि, 'नए शौचालय प्राइवेट इमारतों जितने अच्छे है। उचित पाइपलाइन और एक्सटेंशन नल के साथ वे स्वच्छ पेयजल प्राप्त कर सकते हैं। झुग्गी निवासियों के पास टीवी सेट और मोबाइल फोन हैं लेकिन कोई शौचालय नहीं है और ऐसे में मानसून के दौरान रेलवे ट्रैक पर शौच करने पर मजबूर हो जाते है।
इस फिल्म की कहानी 4 बच्चों के इर्दगिर्द
राकेश ओमप्रकाश मेहरा अब पवई झील के पीछे एक झुग्गी बस्ती में शूटिंग कर रहे हैं। उनकी फिल्म मुंबई की झोपड़ी में रह रहे चार बच्चों के चारों ओर घूमती है। उनमें से एक बच्चा अपनी मां के लिए शौचालय बनाना चाहता है और इसलिये प्रधानमंत्री से अपील करता है।
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