फिल्मफेयर अवार्ड पाने वाली पहली अभिनेत्री थीं नरगिस

हिंदी सिनेमा के शुरूआती दौर में जिन अदाकारों ने उसे मुकाम तक पहुंचाया उनमें नरगिस का नाम भी शामिल है, आज उनकी पुण्यतिथि है। तो हम आपको बता रहे हैं उनसे जुड़ी कुछ बातें। नरगिस राज्यसभा के लिए नामित होने और पद्मश्री पुरस्कार पाने वाली पहली अभिनेत्री थीं। साल 1968 में उन्हें फिल्मफेयर अवार्ड से नवाजा गया।
नरगिस दत्त का जन्म 1 जून 1929 में हुआ था। नरगिस का असली नाम फातिमा राशिद था। नरगिस ने साल 1935 फिल्म तलाश-ए-हक से अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की। इस दौरान उन्हें बेबी नरगिस कहकर बुलाया जाता था। साल 1940 से 60 के बीच उन्होंने राज कपूर के साथ कई सफल फिल्मों में काम किया। फिल्म आग, आवारा और बरसात इनमें से प्रमुख फिल्में रहीं। नरगिस ने राज कपूर के साथ 16 फ़िल्में की और ज़्यादातर फ़िल्में सफल साबित हुईं। इस बीच दोनों में नजदीकियां भी बढ़ने लगीं और दोनों को एक दूसरे से प्यार हो गया और दोनों ने शादी करने का मन भी बना लिया। राजकपूर जब 1954 में मॉस्को गए तो अपने साथ नरगिस को भी ले गए। यहीं दोनों के बीच कुछ ग़लतफ़हमी हुई और दोनों के बीच इगो की तकरार इतनी बढ़ी कि वह यात्रा अधूरी छोड़कर नरगिस इंडिया लौट आईं। 1956 में आई फ़िल्म 'चोरी चोरी' नरगिस और राजकपूर की जोड़ी वाली अंतिम फ़िल्म थी।
मदर इंडिया से हुआ सुनील दत्त से प्यार
राज कपूर से अलग होने के ठीक एक साल बाद नरगिस ने 1957 में महबूब ख़ान की 'मदर इंडिया' की शूटिंग शुरू की। नरगिस और सुनील को एक दूसरे से इसी फिल्म के दौरान प्यार हुआ था। मदर इंडिया की शूटिंग के दौरान जब नरगिस आग में घिर गई तो सुनील दत्त ने अपनी जान की परवाह न करते हुए उन्हें आग से सुरक्षित बाहर निकाला था। मार्च 1958 में दोनों की शादी हो गई। दोनों के तीन बच्चे हुए, संजय, प्रिया और नम्रता। अपनी किताब 'द ट्रू लव स्टोरी ऑफ़ नरगिस एंड सुनील दत्त' में नरगिस कहती हैं कि राजकपूर से अलग होने के बाद वो आत्महत्या करने के बारे में सोचने लगी थीं। लेकिन, उन्हें सुनील दत्त मिल गए, जिन्होंने उन्हें संभाल लिया।

अभिनेत्री के साथ समाजसेविका भी थीं
नरगिस एक अभिनेत्री के साथ ही साथ समाज सेविका भी थीं। उन्होंने सुनील दत्त के साथ मिलकर 'अजंता कला सांस्कृतिक दल' बनाया जिसमें तब के नामी कलाकार-गायक सरहदों पर जा कर तैनात सैनिकों का हौसला बढ़ाते थे और उनका मनोरंजन करते थे। कैंसर जैसी गम्भीर बीमारी से जूझते हुए नरगिस कोमा में चली गयीं। 3 मई 1981 को मुंबई में उनका निधन हुआ।
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