रिव्यू : आयुष्मान और परिणीति की लाइफ स्टोरी है 'मेरी प्यारी बिंदु'

लंबे समय से सुनहरे पर्दे से गायब रहने वाली परिणीति चोपड़ा ने 'मेरी प्यारी बिंदु' से वापसी की है। फिल्म आयुष्मान खुराना और परिणीति चोपड़ा पर केंद्रित है।
दरअसल फिल्म की कहानी एक लेखक अभिमन्यु रॉय और गायिका बनने की चाह रखने वाली बिंदु की है। अभिमन्यु बचपन से अपनी पड़ोसन बिंदु से प्यार करता है मगर बिंदु का ध्यान या सोच एक जगह स्थिर नहीं है। जीवन की भागदौड़ में अभिमन्यु अपने लेखक बनने के सपने को पूरा करता है मगर ये लेखक डरावनी कहानियां लिखता है जिसकी एक लोकप्रिय किताब का नाम है 'चुड़ैल की चोली' अंत में ये कहानीकार अपनी प्रेम कहानी भी लिखता है वो भी बड़ी मुश्किल से।
ये फिल्म डायरेक्शन से लेकर एक्टर्स तक सभी के लिए खास है। फिल्म को भारत में लगभग 750 स्क्रिंस और विदेश में 325 स्क्रीन्स में रिलीज किया गया। आइए डालते हैं नजर फिल्म के खास पहलुओं पर...
कहानी पर एक नजर
यह कहानी उपन्यासकार अभिमन्यु रॉय (आयुष्मान खुराना) की है जो मुंम्बई में रहता है लेकिन घरवालों के सरप्राइज की वजह से कोलकाता जाता है। वहां उसे अपने बचपन की याद आने लगती है जब पहली बार उसने पड़ोस की बिंदु (परिणिती चोपड़ा) से मुलाकात की थी।
स्टोरी फ्लैशबैक में जाकर 80 और 90 के दशक की यादों को ताजा कर देती है। बचपन, स्कूल और कॉलेज के बाद कुछ ऐसा होता है जिसकी वजह से बिंदु अपना घर छोड़कर भाग जाती है और अभिमन्यु अकेला हो जाता है।
एक तरफ जहां अभिमन्यु पढ़ाई के लिये साउथ चला जाता है वहीं बिंदु भी आस्ट्रेलिया-पेरिस होते हुए गोवा पहुंचती है जहां उसे अभिमन्यु मिलता है। कहानी फिर से फ्लैशबैक और प्रेजेंट डे में आगे बढ़ती जाती है। बिंदु को सिंगर बनना है और अभिमन्यु को राइटर, आख़िरकार कहानी को क्या अंजाम मिलता है ये तो फिल्म देखकर ही पता चलेगा।
क्यों देखें 'मेरी प्यारी बिंदु'
फिल्म की कहानी में आपको नब्बे के दशक की फीलिंग के साथ-साथ हंसी मजाक और इमोशनल पल भी आते हैं। कई सारे मोमेंट्स हैं जो आपको बांधे रखते हैं जैसे बॉयफ्रेंड-गर्लफ्रेंड, मां-बाप और बच्चों का ट्रैक, कॉलेज और रूम मेट्स की कहानी आदि। फिल्म में गानों को बड़े ही अच्छे ढंग से पिरोया गया है। परिणिती चोपड़ा और आयुष्मान खुराना का अभिनय आपको बांधे रखता है।
क्यों न देखें
फिल्म में फ़्लैशबैक की कहानी और प्रेजेंट स्टोरी कई बार दृश्यों को आपस में मिला देती है। इसे थोड़ा सहजता के साथ भी दर्शाया जा सकता था जिसमे शायद फिल्म के निर्माता चूक गए।
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