बचपन में मां की मदद के लिए पार्टियों में नाचीं, अब बन गईं बॉलीवुड की फेमस राइटर

शगुफ्ता रफीक फिल्म इंडस्ट्री में पर्दे के पीछे का वो नाम है, जिसे कम ही लोग जानते हैं। लेकिन उनके स्ट्रगल की स्टोरी बहुत ही दर्द भरी है। कम ही लोग जानते होंगे कि 'आशिकी 2' जैसी फिल्मों की ये राइटर बचपन में पार्टियों में नाचती थी। यह खुलासा खुद शगुफ्ता ने एक इंटरव्यू के दौरान किया था। उन्होंने कहा था, बचपन में मैं पैसों के लिए पार्टियों में जाकर नाचती थीं। 17 साल की उम्र में प्रॉस्टिट्यूशन में चली गई। वो बहुत दर्द भरा समय था मेरे लिए।
शगुफ्ता ने इस इंटरव्यू में खुलासा किया था कि वे अपनी बायलॉजिकल मां को नहीं जानती थीं। उनके मुताबिक, वे अनवरी बेगम (जिन्होंने उन्हें गोद लिया था) को अपनी मां के रूप में देखती थीं। वे कहती हैं, "उस वक्त मेरे जन्म को लेकर तीन तरह की बातें कही जाती थीं। एक कि मैं अपने जमाने की फेमस एक्ट्रेस और डायरेक्टर बृज सदाना की पत्नी (कमल सदाना की मां) सईदा खान की बेटी हूं। दूसरी कि मैं किसी ऐसी मां की बेटी हूं, जिसने किसी अमीर आदमी से संबंध बनाए और पैदा करके मुझे छोड़ दिया। तीसरी यह कि मेरे पेरेंट्स झोपड़पट्टी में रहते हैं और उन्होंने मुझे फेंक दिया था। मैं दो साल की थी, जब सईदा की शादी बृज साहब से हुई। अक्सर, जब लोग मुझे अनवरी बेगम के साथ देखते थे तो कहते थे, 'नानी के साथ जा रही हो।'
वे कहती हैं, "कई ऐसे सस्पेंस थे, जिनकी वजह से मैं क्रूर हो गई। मैंने स्कूल छोड़ दिया। मैं लोगों से लड़ती थी। इसलिए नहीं कि मैं उनसे नफरत करती थी। बल्कि इसलिए कि मुझे लगता था कि वे मुझसे नफरत कर रहे हैं। फिर मैं सोचती कि ऐसी महिला क्यों होनी चाहिए, जो अपने पति के डर से मुझे अपना भी नहीं सकती। बच्चा तो एक कुत्ता भी पैदा करता है। मैं एक जानवर की तरह थी, जिसे पैदा किया और फेंक दिया। मैंने यह मानने से इनकार कर दिया कि अनवरी बेगम मेरी मां है। हालांकि, एक वही थीं, जो हमेशा मेरे साथ रहीं। अनवरी के दूसरे पति का नाम मोहम्मद रफीक था। यही वजह है कि मैं शगुफ्ता रफीक बन गई।"
बृज साहब करते थे नफरत"बृज साहब मुझे नफरत करते थे। क्योंकि उन्हें नहीं पता था कि मैं कौन हूं। इसकी एक वजह यह भी थी कि हम (अनवरी बेगम और शगुफ्ता रफीक) उन पर फाइनेंशियली निर्भर थे। बृज साहब का गुस्सा जायज था। उन्हें लगता था कि जब अनवरी बेगम का एक बेटा है तो वे क्यों उनकी मदद करें। वे बहुत कन्फ्यूजन में थे। उनकी फ़िल्में फ्लॉप हो रही थीं और यही वजह है कि उन्होंने शराब के नशे में पत्नी सईदा, बेटी नम्रता और खुद को गोली मार ली। नौकरानी ने हमें आकर यह बताया। तब मैं 25 साल की थी, जब सईदा आपा की डेथ हो गई।"पैसों के लिए नाचना शुरू कियाशगुफ्ता आगे बताती हैं, "जब मैंने देखा कि मेरी मां अनवरी बेगम, जो कभी बहुत धनी हुआ करती थी, ने सरवाइव करने के लिए पहले अपनी चूड़ियां और बाद में बर्तन तक बेच डाले। तब मैंने कत्थक सीखा। जब मैं 12 साल की थी, तब मैंने प्राइवेट पार्टियों में नाचना शुरू कर दिया। इन पार्टियों में सम्मानित लोग मिस्ट्रेस और कॉल गर्ल्स के साथ आते थे। इनमें हाई रैंकिंग ऑफिसर्स, पुलिस, मंत्री, इनकम टैक्स ऑफिसर्स पैसा उड़ाते थे और मैं उसे झोली में समेट लिया करती थीं। 17 साल की उम्र तक मैंने यही सब किया।"27 साल की उम्र में दुबई चली गईंशगुफ्ता के मुताबिक, 17 से 27 साल तक वे प्रॉस्टिट्यूशन में रहीं। इसके बाद किसी ने सलाह दी कि उन्हें दुबई जाना चाहिए। क्योंकि वहां वे बार डांसर बनकर 10 गुना ज्यादा पैसा कमा सकती हैं। शगुफ्ता ने ऐसा ही किया। वे दुबई गईं। लेकिन अरब लोगों के डर से वे वहां प्रॉस्टिट्यूशन से दूर रहीं। जब उनकी मां बीमार पड़ी तो उन्हें मुंबई लौटना पड़ा। इस दौरान वे मुंबई और बेंगलुरु में शोज करती रहीं। 1999 में शगुफ्ता की मां अनवरी बेगम की कैंसर के चलते डेथ हो गई।एक दिन डायरेक्टर महेश भट्ट ने उन्हें को काम का मौका दिया लेकिन, शगुफ्ता के सबसे बड़े मददगार बने कलयुग, आवारापन और आशिकी- 2 के डायरेक्टर मोहित सूरी। 2005 मे डांस बार बंद होने के बाद उनकी पहली फिल्म आई 2006 में। फिल्म थी 'वो लम्हे' इस फिल्म का स्क्रीन प्ले और डायलॉग शगुफ्ता रफीक के ही थे।इसके बाद तो शगुफ्ता के पास काम की लाइन लग गई। इसके बाद की उनकी फिल्में हैं आवारापन (2007) स्क्रीनप्ले और डायलॉग, धोखा (2007)-स्क्रीनप्ले और डायलॉग, शो-बीज (2007)-ऐडीशनल स्क्रीनप्ले राज ( द मिस्ट्री कन्टीन्यू ) (2009)-स्क्रीनप्ले और डायलॉग जश्न ( द म्यूजीक विदीन) (2009)-स्क्रीनप्ले और डायलॉग, कजरारे (2010)-डायलॉग।इसके साथ ही मर्डर-2 (2010)-स्क्रीनप्ले और डायलॉग, जन्नत-2 (2012) स्टोरी, स्क्रीनप्ले, जिस्म-2 (2012) डायलॉग, राज 3डी ( द थर्ड डायमेंशन ) (2012) स्टोरी ,स्क्रीनप्ले और डायलॉग, आशिकी -2 (2013) स्टोरी ,स्क्रीनप्ले और डायलॉग। शगुफ्ता रफीक की जिंदगी की कहानी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है।संबंधित खबरें
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