भारत के वे कलाकार और फिल्में जिन्होंने जीता है ऑस्कर अवार्ड

हाल ही में 2022 के ऑस्कर पुरुस्कारों की घोषणा की गई। इस बार ऑस्कर नामांकन में तीन भारतीय फिल्मों ने कई कैटेगरिज में अपनी जगह बनाई। डॉक्यूमेंट्री फीचर फिल्म श्रेणी में ऑल दैट ब्रीथ्स, बेस्ट डॉक्यूमेंट्री शॉर्ट फिल्म श्रेणी में द एलिफेंट व्हिस्परर्स, और मूल गीत श्रेणी में आरआरआर के 'नातु नातू' को नामांकन मिला। अकादमी पुरस्कारों की शुरुआत 1929 में हुई थी और तब से ही भारतीय फिल्मों ने इसमें बहुत अच्छा प्रदर्शन नहीं किया हालांकि, कई भारतीय कलाकारों ऑस्कर अवार्ड अपने नाम किया है। यहां हम आपको बताएंगे कि अभी तक किस किस भारतीय कलाकार को अकादमी पुरस्कार से नवाजा गया है।
भानु अथैया

महाराष्ट्र के कोल्हापुर में जन्मीं दिवंगत भानु अथैया कलाकार बनना चाहती थीं। बाद में उन्हें लगा कि उनकी रुचि कपड़े डिजाइन में ज़्यादा है। उन्होंने इसे ही अपना करियर बनाया और 1957 में आई प्यासा से अपने कॉस्ट्यूम डिज़ाइनिंग के करियर की शुरुआत की। इसके बाद आम्रपाली, गाइड और स्वदेस सहित कई प्रतिष्ठित हिंदी फिल्मों में उन्होंने योगदान दिया। 1982 में आई फ़िल्म गांधी में उनका काम इतना बेहतरीन था कि इसने उन्हें सर्वश्रेष्ठ कॉस्ट्यूम डिज़ाइन में भारत का पहला ऑस्कर पुरस्कार जितवा दिया। 100 से अधिक फिल्मों का एक हिस्सा रहीं अथैया ने दो राष्ट्रीय पुरस्कार भी जीते। पहला गुलज़ार के मिस्ट्री ड्रामा लेकिन के लिए और दूसरा आशुतोष गोवारिकर द्वारा निर्देशित लगान के लिए।
सत्यजीत रे

सत्यजीत रे भारतीय इतिहास में सबसे अधिक प्रशंसित फिल्म निर्माताओं में से हैं। मोशन पिक्चर्स की कला की उनकी कमाल की महारत और उनकी फिल्मों में दिखाए जाने वाले ह्यूमन एंगल के लिए उन्हें 1992 में एक अकादमी मानद पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उनके काम का असर दुनिया भर के फिल्म निर्माताओं और दर्शकों पर पड़ा है। सत्यजीत रे को भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से भी सम्मानित किया जा चुका है।
रेसुल पुकुट्टी

2008 में आई स्लमडॉग मिलियनेयर में बेस्ट साउंड मिक्सिंग के लिए इयान टैप, रिचर्ड प्राइके और रेसुल पुकुट्टी को संयुक्त पुरस्कार दिया गया था। फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एफटीआईआई), पुणे से ग्रेजुएट पुकुट्टी ने कई हिंदी, मलयालम, तमिल और तेलुगु फिल्मों में काम किया है रा.वन, हाईवे, रजनीकांत-अभिनीत कोचादइयां, पुष्पा: द राइज जैसी कई फिल्में उन्होंने की है। उन्होंने 2009 की मलयालम फिल्म केरलवर्मा पजहस्सीराजा के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार भी जीता था।
ए आर रहमान

मद्रास के मोजार्ट एआर रहमान स्लमडॉग मिलियनेयर में अपने काम के लिए दो श्रेणियों में अकादमी पुरस्कार जीतने वाले पहले भारतीय बने। उन्होंने सर्वश्रेष्ठ मूल गीत और सर्वश्रेष्ठ मूल स्कोर जय हो कि लिए यह पुरस्कार जीता। इसी फिल्म के एक और ट्रैक, 'ओ साया' को भी सर्वश्रेष्ठ मूल गीत श्रेणी में नामांकित किया गया था। ए आर रहमान ने अपनी पहली फिल्म, मणिरत्नम निर्देशित रोजा के लिए 1992 में राष्ट्रीय पुरस्कार भी जीता था।
गुलज़ार

कवि-गीतकार गुलज़ार ने स्लमडॉग मिलियनेयर से 'जय हो' के लिए गीतकार के रूप में सर्वश्रेष्ठ मूल गीत का अकादमी पुरस्कार जीता। यह पुरस्कार उन्हें ए आर रहमान के साथ संयुक्त रूप से मिला। गुलज़ार ने कई राष्ट्रीय पुरस्कार और 20 फिल्मफेयर पुरस्कार जीते हैं। 2019 में, ऑस्कर जीतने के लगभग एक दशक बाद, उन्होंने कहा कि यह ए आर रहमान का कमाल था कि जय हो गीत ने ऑस्कर अवार्ड जीता। हालांकि सुखविंदर सिंह ने भी गाने में भरपूर एनर्जी डालकर गाने को हिट बनाने में अपना योगदान दिया। लेकिन कुल मिलाकर, मैं कहूंगा कि हम सभी सहमत हैं कि यह संगीत उस्ताद ए आर रहमान की वजह से था कि इस गीत ने प्रतिष्ठित अपने नाम किया।
इसके अलावा, उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले में बनी एक डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म - पीरियड : एंड ऑफ अ सेंटेंस ने 2019 में सर्वश्रेष्ठ डॉक्यूमेंट्री श्रेणी में एक पुरस्कार जीता था। डॉक्यूमेंट्री को भारतीय निर्माता गुनीत मोंगा की सिख एंटरटेनमेंट ने बनाया था और ईरानी-अमेरिकी निर्देशक रेका जेहताबची ने इसे निर्देशित किया था।
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