हर लड़की को लगेगा, यह तो मेरी ही कहानी है

हेमांगी कावी-धूमल की टीवी एक्ट्रेस बनाने की यह कहानी हर उस लड़की को अपनी कहानी लगेगी जिसने रंग-भेद का दंश झेला है।
'स्कूल के बाद, मैं जे.जे. स्कूल ऑफ फाइन आर्ट्स गई। 5वीं क्लास में मैं एक ड्राइंग कॉम्पीटिशन के लिए वहां जा चुकी थी। मुझे अपने पापा के अल्फाज साफ-साफ याद हैं, 'यह ऐसा कॉलेज है जिसे तुम एक दिन में ज्वॉइन करना चाहोगी।' आखिरकार, मैंने कॉलेज में दाखिल लिया। पहले दिन, हमारे प्रोफेसर ने पूछा, 'हम जिंदगी में क्या करना चाहते हैं?' सभी ने जवाब दिए। जब मेरी बारी आई तो मैंने कहा, 'अपने सरनेम कावी से एक दिन मशहूर होना चाहती हूं।' उस वक्त पूरी क्लास जोर से हंसने लगी थी।
मैं मिमिक्री में बहुत अच्छी थी, इसलिए खाली वक्त में अपने सभी प्रोफेसरों की नकल उतारा करती थी। सेकेंड ईयर में एक टीचर ने मुझे कॉलेज फंक्शन में मिमिक्री करने के लिए कहा। किसी मंच पर यह मेरी पहली परफॉरमेंस होने वाली थी। हालांकि, स्टेज पर परफॉर्म करने का डर बेपनाह था। फिर उसके बाद तो जैसे स्टेज और मेरी दोस्ती हो गई।
चौथे साल, मैंने 'सेल्फ पोर्ट्रेट' नाम के एक नाटक में हिस्सा लिया। इसने कॉलेज लेवल प्रतियोगिताओं में कई पुरस्कार जीते थे। जब निर्देशक विजू माने ने देखा, तो उन्होंने मुझे अपने नाटक 'भीती' के लिए चुन लिया। इसमें मुझे एक्टिंग के लिए 4 पुरस्कार मिले, जो कुछ अनुभवी अभिनेताओं के खिलाफ भी थे, लेकिन फिर भी मैंने एक करियर के तौर पर एक्टिंग के बारे में कभी नहीं सोचा था।
कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद, मैं न्यू बॉम्बे में एक महिला के लिए काम कर रही थी। मैं 200 रुपये प्रति टेबल टॉप के हिसाब से टेबल टॉप पेंट करती थी। क्याोंकि मैं नौसिखिया थी, मुझे मेरी कला की असली कीमत का पता नहीं था। बाद में मुझे पता चला कि ये महिला हजारों रुपये के हिसाब से उन मेज पोशों को बेच रही थी। मुझे लगता है, यह शोषण के साथ मेरा पहला अनुभव था। मैंने वो नौकरी छोड़ दी।
2004 में मैंने ताओ और जहांगीर आर्ट गैलरी में अपनी पेंटिंग्स की नुमाइश लगाई। मैं 9वें आसमान पर थी क्योंकि मुझे ऐसी प्रतिष्ठित आर्ट गैलरी में अपने काम को प्रदर्शित करने का मौका मिला था। लेकिन बदकिस्मती से कुछ नहीं बेच पाई। फिर, मैंने जेडब्ल्यू मैरियट के पास एक आर्ट गैलरी में अपना काम को प्रदर्शित किया। एक सज्जन मेरी बनाई हुई एक पेंटिंग को खरीदना चाहते थे, लेकिन उन्होंने सौदेबाजी शुरू की। उन्होंने कैनवास, पेंट और फ्रेम की लागत को जोड़कर मुझे एक रकम देने की पेशकश की, बिना मेरी क्रेटिविटी, मेरी कला को ध्यान में रखते हुए। वास्तव में मुझे दुख हुआ। मैंने सब कुछ लपेटा और ऑटो से घर आ गई। यही वह दिन था जब मैंने पेंटिंग की दुनिया को 'अलविदा' कह दिया।
मेरा दूसरा करियर विकल्प बेशक एक्टिंग था। कॉलेज के दिनों में जीते हुए इनाम मुझमें आत्मविश्वास महसूस कराना के लिए काफी थे। लेकिन क्या यह मेरे लिए आसान था? नहीं। मेरे इम्तेहान खत्म नहीं हुए थे। मुझे याद है, प्रसिद्ध मराठी नाट्य निर्माता से वो मुलाकात। मुझसे बात करने के बाद उन्होंने कहा, '3 'क' तुम्हारे खिलाफ हैं'। मुझे नहीं पता था कि इस बात का क्या मतलब था। फिर उन्होंने कहा, 'सबसे पहले, तुम्हारा सरनेम कावी है, तुम ब्राह्मण भी नहीं हो। दूसरी बात, तुम कल्वा में रहती हो और तीसरी बात जो तुम्हारे खिलाफ हो रही है वो तुम्हारा रंग है, तुम काली हो।' उन्होंने आ्रगे कहा, 'तुम्हारी जैसी लड़कियों को शादी करनी चाहिए और एक सामान्य जीवन जीना चाहिए। एक्टिंग तुम्हारे लिए करियर नहीं है। घर वापस जाने के दौरान ट्रेन में सफर करते वक्त मैं रोती रही। मैंने सोचा भी, यह वाकई मेरे लिए नहीं है।
मेरी मां यह सब पसंद नहीं करती थी। उनके मुताबिक एक्टिंग प्रोफेशन की लड़कियां शादी नहीं करती हैं। वे शराब पीती हैं, स्मोक करती हैं और करियर के आखिर में डिप्रेशन में डूबते हुए अकेले मर जाती हैं। मां नाटक, रिहर्सल में हिस्सा लेने या ऑडिशन में जाने के लिए भी मुझे पैसा नहीं देती थी। कॉलेज के दिनों से मैंने अपने खर्चों के लिए पोर्ट्रेट पेंटिंग्स की कमीशनिंग प्रोजेक्ट्स पर काम करना शुरू कर दिया था। मुझे लगता है कि इसने मुझे आत्मनिर्भर होना सिखाया है।
मैंने हार नहीं मानी। कहीं ना कहीं मैं उन सबको गलत साबित करना चाहती थी, जो मेरे खिलाफ थे। इसलिए मैंने लोगों से मिलना जारी रखा और ऑडिशन देती रही। वे दिन चुनौतियों से भरे थे। सुबह 6 बजे माध द्वीप पहुंचने के लिए मुझे अपने घर से सुबह 4:30 बजे तैयारी करनी होती थी। कई बार ऐसे भी हुआ जब घर जाने के लिए लास्ट ट्रेन छूट गई और मुझे रेलवे स्टेशन पर पूरी रात बितानी पड़ी। मुझे लगता है कि मुश्किलों ने मुझे और ज्यादा मजबूत बनने में मदद की।
आज 6 प्रोफेशनल प्लेज़, 10 से ज्यादा टीवी शोज़ और कई नॉमिनेशंस और अवॉर्ड्स के बाद मैं कह सकती हूं, 'मैंने अपने उपनाम को मशहूर करने का मेरा सपना पूरा कर लिया है।'
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