Film Review: विद्या बालन के फैन हैं तो 'कहानी 2' आपके लिए है

फिल्म की कहानी विद्या सिन्हा (विद्या बालन ) और उसकी बेटी मिनी (नाएशा खन्ना) की है जो चन्दन नगर कस्बे में शांतिपूर्वक रहती हैं। विद्या की पूरी जिंदगी अपनी बेटी के ही इर्द गिर्द की बसती है ,विद्या कई सारे काम मिनी के साथ ही करती है।
उसे स्कूल ,खेलने और घूमाने ले जाती है,साथ ही घर की साफ़ सफाई के दौरान भी विद्या, अपने साथ मिनी को रखती है, एक दिन मिनी को कुछ लोग किडनैप करके ले जाते हैं और उसको बचाने के चक्कर में विद्या का बहुत बड़ा एक्सीडेंट हो जाता है जिसकी वजह से उसकी यादाश्त चली जाती है, और विद्या कोमा में चली जाती है।
फिर इस एक्सीडेंट की शिनाख्त करने के लिए इंस्पेक्टर इंद्रजीत सिंह (अर्जुन रामपाल) की एंट्री होती है, लेकिन सिलसिलेवार कई सारी घटनाएं घटने लगती है। फिर कहानी में 36 साल की वांटेड क्रिमिनल और किडनैपर दुर्गारानी सिंह (विद्या बालन) का ट्रैक भी सामने आता है जिससे विद्या सिन्हा के लिंक जुडे हुए नजर आते हैं, अब कहानी में एक तरफ कोमा में गयी विद्या सिन्हा अपनी बेटी को बचाने के प्रयास में लगी होती है तो वहीं इंस्पेक्टर इंद्रजीत इस केस की गुत्थी को सुलझाने में लग जाता है, आखिरकार क्या होता है, इसका पता आपको फिल्म देखकर ही चलेगा।
जानिए आखिर फिल्म को क्यों देख सकते हैं -
1. फिल्म में पहली वाली कहानी फिल्म जैसा ही अलग तरीके का सस्पेंस है जो आपको निशब्द कर सकता है। कई जगहों पर आपको झटके से सरप्राइज भी मिलता है जिसके लिये आप तैयार रहें। डायरेक्शन और कहानी सुनाने का तरीका भी दिलचस्प है।
2. विद्या बालन ने एकबार फिर से बेहतरीन एक्टिंग का प्रदर्शन किया है , थ्रिलर और सस्पेंस फिल्मों में अक्सर एक्टर के चेहरे के भाव बहुत ज्यादा इम्पोर्टेन्ट होते हैं, और विद्या बालन ने पूरी फिल्म के दौरान उन भावों को टू द पॉइंट ही रखा है, जो हर पल में आपको सोचने पर विवश करता है। कुछ मुश्किल सीन भी थे जिनमें विद्या का अभिनय उतना ही बेहतर है।
3. अर्जुन रामपाल की यह बेहतरीन परफार्मेंस में से एक है जहॉ उनके भीतर का अभिनय काफी प्रभावित करता है। जुगल हंसराज और बाकी सभी किरदारों का काम गजब का है. फिल्म की कास्टिंग ओवरआल अच्छी है।
4. फिल्म की कहानी और स्क्रीनप्ले कमाल के हैं, जिसके लिए सुजॉय घोष और रितेश शाह तारीफ के काबिल हैं। फिल्म से एक बहुत ही महत्वपूर्ण मैसेज भी सामने निकलकर आता है और जिसके लिये पूरे परिवार संग यह फिल्म देखी जा सकती है।
5 . फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक कमाल का है जो कहानी के फ्लेवर को बनाके रखता है। फिल्म की रफ्तार भी काफी अच्छी है जिसकी वजह से ये आपको बांधे रखती है।
कमजोर कड़ी
फिल्म की कमजोर कड़ी इसका सेकेंड हाफ है जहॉं एक खुला हुआ सस्पेंस सामने आता है , जिसकी वजह से कहानी आलमोस्ट समझ आ जाती है ,जिसे थोड़ा और टाईट किया जाता तो फिल्म और भी सराहनीय हो जाती। पहली वाली कहानी फिल्म की तुलना में सेकेंड हाफ थोड़ा कमजोर है।
रेटिंग: ***
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