अलीगढ़ के राइटर को नामी डायरेक्टर ने कहा चू*या, मिला EPIC जवाब

पिछले दिनों एक बड़े फिल्ममेकर (ये बड़े कैनवस की फिल्में बनाने के लिए मशहूर हैं) ने फिल्म अलीगढ़ के राइटर अपूर्व असरानी को फोन किया और जीभर गाली दी। लेकिन खबर गाली नहीं है, एक शब्द है। चूतिया। अपूर्व ने एक फेसबुक पोस्ट लिखी थी, जो इस बड़े फिल्ममेकर को पसंद नहीं आई थी। नतीजा, चूतिया। अपूर्व ने उन्हें जवाब नहीं दिया, न ही मीडिया के सामने स्टंट कर पब्लिसिटी हासिल करने की कोशिश की। जवाब में, उन्होंने एक और पोस्ट लिखा और फिल्ममेकर को जवाब मिल गया। अब वह समझे या नहीं, या उन्होंने समझना चाहा भी या नहीं, पर अपूर्व का मकसद कामयाब हो गया। साथ ही, उन्होंने लोगों को यह भी बताया कि एक शब्द कैसे हमारी सोच से सारे पर्दे उठा देता है।
मुझे उन्हें बदनाम नहीं करना
अपूर्व से हमने नाम पूछा कि आखिर यह फिल्ममेकर है कौन। अपूर्व का जवाब चौंकाने वाला था। हां, चौंकाने वाला। क्योंकि पत्रकारों को खबर नहीं स्कूप चाहिए। अपूर्व ने स्कूप नहीं दिया। उन्होंने कहा, 'मेरा मकसद किसी को बदनाम करना नहीं है। मेरे साथ कोई घटना हुई, मुझे कुछ फील हुआ और मैंने उसे अपने क्लोज्ड ग्रुप में वह बात साझा की ताकि लोग कुछ समझ बना सकें और ऐसे शब्द इस्तेमाल न करें जो महिलाओं के अपमान के लिए बने हैं।'
अपूर्व ने लिखा, 'मुझे चूतिया को एक गाली के तौर पर इस्तेमाल किए जाने पर सख्त आपत्ति है। मुझे लगता है कि स्त्रियों का एक खास अंग इससे कहीं ज्यादा इज्जत का हकदार है। शायद यही वह अंग है, जिसकी वजह से हम सब जन्मे हैं। हमें ऐसे घटिया शब्दों का इस्तेमाल अब बंद कर देना चाहिए।'

फिल्ममेकर्स के लिए भी सीख
अपूर्व ने महिलाओं को ऑब्जेक्टिफाय करने वाली गालियों का धड़ल्ले से इस्तेमाल करने वाले फिल्ममेकर्स के उस रटे-रटाये जवाब को भी धराशायी कर दिया कि यह तो समाज का हिस्सा है। उन्होंने लिखा, शायद अब उन जैसे फिल्ममेकर्स को भी थोड़ी समझ आएगी कि ऐसे शब्द इस्तेमाल फिल्मों में बंद कर देना चाहिए। अब आपके मन में सवाल होगा कि आखिर का वह पोस्ट था क्या जिसकी वजह से बड़े फिल्ममेकर को गुस्सा आया। चलिए, एक छोटा-सा हिंट हम दे देते हैं। फिल्ममेकर को बड़े कैनवस की फिल्मों के लिए जाना जाता है। करीब 10 साल पहले उनकी एक फिल्म बुरी तरह पिट गई थी। नीचे यह पोस्ट देख लीजिए और फिर खुद गेस कीजिए कि वह महान फिल्ममेकर है कौन।
इतना सब हैं अपूर्व, फिर भी आप नहीं जानते
अपूर्व असरानी फिल्म इंडस्ट्री में कब से हैं और क्या हैं, यह जानने से पहले जान लीजिए कि वह बेहद नेकदिल और खुशमिजाज शख्स हैं। मैं वाली हनक नहीं है, न ही स्टारडम। कामयाब हैं। क्रिएटिव हैं और अपने काम से इश्क बेपनाह करते हैं।
अब बात फिल्मी सफर की। अपूर्व ने 1995 फिल्म बीपीएल ओए नाम के एक बॉलिवुड काउंटडाउन शो में बतौर अस्सिटेंट अपने करियर की शुरुआत की थी। 19 साल की उम्र में ही वह राम गोपाल वर्मा की फिल्म सत्या में फिल्म एडिटर बन गए। इसके बाद उन्होंने स्निप नाम की एक कॉमिडी फिल्म एडिट की। इसके लिए उन्हें नैशनल अवॉर्ड मिला। इसके अलावा, 38 साल के असरानी ने हंसल मेहता की फिल्म छल, अनुपम खेर की पहली डायरेक्टोरियल फिल्म ओम जय जगदीश और कल्पना लाजमी की फिल्म क्यों भी एडिट की। असरानी ने नागेश अक्षय कुमार स्टारर कुकुनूर की तस्वीर 8x10 में भी सुपरवाइजिंग एडिटर और आशाएं में फिल्म एडिटर के तौर पर काम किया।
असरानी ने हंसल मेहता के साथ फिल्म शाहिद लिखी। इसके लिए उन्हें लाइफ ओके स्क्रीन अवॉर्ड्स में बेस्ट स्क्रीनप्ले राइटर का अवॉर्ड दिया गया। हंसल मेहता के साथ ही उन्होंने फिल्म सिटीलाइट की एडिटिंग की और स्क्रिप्ट पर भी काम किया। फिल्म धर्म संकट में, वेटिंग में भी असरानी ने ही एडिटिंग की। और अलीगढ़ की स्टोरी, स्क्रीनप्ले, डायलॉग और एडिटिंग का सारा काम असरानी ने ही किया।
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