
इस बात से कोई इन्कार नहीं कर सकता कि नाना पाटेकर की एक्टिंग रेंज बहुत वास्ट है। अपने करियर में नाना पाटेकर कई ऐसे किरदार जी चुके हैं जिन्हें सिनेमाई इतिहास में सालों तक याद किया जाएगा। लेकिन नाना पाटेकर द्वारा ही निभाए गए कुछ ऐसे किरदार भी हैं जिनके बारे में बहुत कम बात हुई है। उनमें से एक है फिल्म गुलाम-ए-मुस्तफा का गैंगस्टर मुस्तफा का किरदार। बॉक्स ऑफिस पर ये फिल्म भले ही उतना खास प्रदर्शन ना कर सकी हो। लेकिन वीसीपी व वीसीआर पर लोगों ने इस फिल्म को खूब देखा। और इसे सराहा भी। आज गुलाम-ए-मुस्तफा फिल्म को रिलीज़ हुए 27 साल पूरे हो गए हैं। 31 अक्टूबर 1997 के दिन ये फिल्म रिलीज़ हुई थी।
गुलाम-ए-मुस्तफा डायरेक्ट की थी पार्थो घोष ने। ये वही पार्थो घोष हैं जिन्होंने 100 डेज़, गीत, दलाल अग्नि साक्षी, तीसरा कौन व कौन सच्चा कौन झूठा जैसी फिल्में भी डायरेक्ट की हैं। जबकी ये फिल्म प्रोड्यूस की थी पी.जी.श्रीकांत व दिनेश गांधी ने। इस फिल्म का संगीत कंपोज़ किया था राजेश रोशन ने और सभी गीत लिखे थे आनंद बक्शी ने। जबकी फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर तैयार किया था अमर हल्दीपुर ने। फिल्म के प्रमुख कलाकार थे नाना पाटेकर, रवीना टंडन, रवि बहल, परेश रावल, अरुणा ईरानी, शिवाजी साटम, स्वपनिल जोशी, कीर्ति चावला, मोहनीश बहल, मोहन जोशी, सुलभा देशपांडे, विश्वजीत प्रधान और इम्तियाज़ हुसैन।
गुलाम-ए-मुस्तफा का बजट था तकरीबन पांच करोड़ पचास लाख रुपए और फिल्म ने वर्ल्डवाइड 14 करोड़ 54 लाख रुपए का कलैक्शन किया था। इस लिहाज से ये फिल्म सेमी हिट मानी गई थी। देशभर के 235 सिनेमाघरों में ये फिल्म रिलीज़ हुई थी और तकरीबन 89 लाख 74 हज़ार लोग ये फिल्म देखने सिनेमाघरों में पहुंचे थे।
साल 1996 में एक तमिल फिल्म आई थी जिसका नाम था मुस्तफा। उस फिल्म के प्रोड्यूसर थे पी.जी. श्रीकांत। तमिल सर्किल में मुस्तफा नाम की वो फिल्म बहुत पसंद की गई थी। सुपरहिट रही थी। इस सफलता से उत्साहित पी.जी. श्रीकांत ने हिंदी में भी इस फिल्म को बनाने का फैसला किया। उन्होंने सुभाष घई से इस फिल्म को हिंदी में डायरेक्ट करने की बात की। लेकिन बात बन नहीं पाई। आखिरकार पार्थो घोष से बात की गई। जो बेझिझक ये फिल्म डायरेक्ट करने को तैयार भी हो गए।
प्रोड्यूसर पी.जी. श्रीकांत के ज़ेहन में दूर-दूर तक भी गुलाम-ए-मुस्तफा के हीरो के रोल के लिए नाना पाटेकर का नाम नहीं था। पर चूंकि ये एकदम अलग सा किरदार था। हीरो की पॉप्यूलर छवि से एकदम हटकर था तो उस वक्त कोई दूसरा बड़ा एक्टर इस रोल को निभाने को तैयार नहीं हुआ। बाद में पार्थो घोष ने इस रोल के लिए नाना पाटेकर का नाम सजेस्ट किया। पार्थो वैसे भी नाना पाटेकर संग साल 1996 में अग्निसाक्षी फिल्म में काम कर चुके थे और वो जानते थे कि नाना पाटेकर का एक्टिंग पोटेंशियल क्या है। पार्थो को लगा कि ये रोल अगर सबसे अच्छी तरह से कोई निभा सकता है तो वो सिर्फ और सिर्फ नाना पाटेकर हैं। प्रोड्यूसर पी.जी. श्रीकांत ने पार्थो घोष की सलाह मान ली। इस तरह बिना किसी स्क्रीनटेस्ट के ही नाना पाटेकर गुलाम-ए-मुस्तफा के हीरो के रोल के लिए चुन लिए गए।
गुलाम-ए-मुस्तफा में नाना पाटेकर की हीरोइन रवीना टंडन हैं। लेकिन पहले वो रोल जूही चावला को ऑफर किया गया था। जूही नाना पाटेकर के साथ तब तक राजू बन गया जेंटलमैन फिल्म में काम कर चुकी थी। मगर उसमें नाना पाटेकर एक सपोर्टिंग एक्टर थे। शाहरुख खान उस फिल्म के हीरो थे। वैसे, जब जूही को ये फिल्म ऑफर हुई थी तो उन्हें इस बात से कोई दिक्कत नहीं थी कि उन्हें फिल्म में नाना पाटेकर की हीरोइन बनना पड़ेगा। वो तो इसलिए इस फिल्म में काम ना कर सकी क्योंकि उस वक्त उनके पास फुर्सत ही नहीं थी। उन्होंने पहले ही इतनी फिल्में साइन की हुई थी कि उनकी शूटिंग करने में ही उनका सारा दिन गुज़र जाता था। आखिरकार उस रोल के लिए रवीना टंडन से बात की गई और रवीना ने जब दिलचस्पी दिखाई तो एक स्क्रीनटेस्ट के बाद उन्हें गुलाम-ए-मुस्तफा फिल्म में नाना पाटेकर की हीरोइन के रोल में चुन लिया गया।
गुलाम-ए-मुस्तफा में काम करने वाले कुछ कलाकार और क्र्यू मेंबर्स साउथ के थे। वैसे तो फिल्म के प्रोड्यूसर भी साउथ इंडिया से ही थे। इसलिए उनकी सुविधा को देखते हुए इस फिल्म की बहुत सारी शूटिंग चेन्नई में की गई थी। फिल्म में बम धमाकों के जो दृश्य आपने देखे हैं वो सभी चेन्नई में फिल्माए गए थे। फिल्म जब पूरी हो गई तो इसे तमिल व तेलुगू भाषा में भी डब करके रिलीज़ किया गया था। हालांकि फिल्म के कई अहम सीन मुंबई में भी शूट हुए थे।
साभार- किस्सा टीवी