सीरियल के श्रीराम, कृष्ण और द्रौपदी अब ऐसे जी रहे जिंदगी

अस्सी-नब्बे के दशक में प्रसारित किए गए रामायण और महाभारत ने लोगों के दिलों में गहरी छाप छोड़ी थी। इसमें काम करने वाले सभी पात्रों ने लोगों के मन में देवी-देवताओं का स्थान बना लिया था। आइए जानते ऐसे ही कुछ कलाकारों की वर्तमान परिस्थिति के बारे में जो एक समय में घर-घर में पूज्यनीय थे।

अरुण गोविल (रामायण के प्रभु श्रीराम)
वर्ष 1987 में दूरदर्शन पर रविवार की सुबह प्रसारित होने वाले रामायण सीरियल को कोई नहीं भुला सकता। इसमें प्रभु श्रीराम का लीड रोल करने वाले अरुण गोविल आज भी लोगों के लिए आस्था का सबब बने हुए हैं। उन्होंने अपनी अभिनय प्रतिभा से पूरे देश में दर्शकों के सामने भगवान श्रीराम को जीवंत सा कर दिया था। हालांकि, उन्हें इस अमर किरदार को निभाने की भरपाई भी करनी पड़ी। वे उस किरदार से चर्चित हुए कि उन्हें किसी अन्य किरदार में देखने के लिए कोई तैयार ही नहीं हुआ। इस कारण उनका एक्टिंग करियर रामायण के बाद थम सा गया। वे जहां कहीं भी जाते लोगों की आस्था का सैलाब उमड़ पड़ता। बुजुर्ग हाथ जोड़े उनके पांव छूने को बेकरार हो जाते थे। वे लोगों को लाख बार मना करने के बाद भी हकीकत स्वीकार नहीं करा पाते थे। मगर इन दिनों सीरियल के इन श्रीराम ने जिंदगी को जीने के लिए कुछ अलग कर रखा है। अब वे एक्टिंग करने के बजाय प्रोडक्शन को अपना करियर बना लिया है। उनकी एक टीवी कंपनी है जो कार्यक्रम बनीती है। उनकी कंपनी के बनाए गए नाटक आदि दूरदर्शन पर सबसे ज्यादा चलते हैं। एक बार मीडिया साक्षात्कार में उन्होंने इस बात को स्वीकार किया था कि रामायण में श्रीराम का किरदार निभाने के बाद उनका एक्टिंग करियर ही सिमट गया। दरअसल, एक कलाकार के लिए विभिन्न पात्रों को जीना एक सपना होता है मगर अरुण के लिए प्रभु श्रीराम की छवि से बाहर निकल पाना असंभव सा हो गया। बता दें कि उन्होंने अपने करियर में रामानंद सागर निर्देशित सीरियल 'विक्रम और बेताल' में राजा विक्रमादित्य का रोल निभाकर भी दर्शकों की वाहवाही लूटी थी। इसके अलावा अरुण ने फिल्म 'पहेली'।, 'सावन को आने दो', 'सांच को आंच नहीं', 'इतनी सी बात', 'हिम्मतवाला', 'दिलवाला', 'हथकड़ी' और 'लव-कुश' जैसी कई बॉलीवुड फिल्मों में अहम भूमिका निभाई है। साथ ही, उन्होंने 'लव-कुश', 'कैसे कहूं', 'बुद्धा', 'अपराजिता', 'वो हुए न हमारे' और 'प्यार की कश्ती में' जैसे कई पॉपुलर टीवी सीरियल्स में भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है।

नीतीश भारद्वाज (महाभारत में निभाया था कृष्ण का किरदार)
जब भी हम बीआर चोपड़ा निर्देशित ‘महाभारत’ सीरियल की बात करते हैं तो जहन में उसमें ‘कृष्ण’ की भूमिका अदा करने वाले नीतीश भारद्वाज का चेहरा सामने आ जाता है। नीतीश ने 90 के दशक में भगवान कृष्ण के पात्र को छोटे पर्दे पर ऐसा जीवंत किया था कि वे सभी के लिए पूज्यनीय हो गए थे। कहते हैं कि उस समय जब वे किसी जगह जाते थे तो लोग उनके पांव छूने के लिए उमड़ पड़ते थे। लोगों की ऐसी आस्था देख वे कई बार भावुक भी हो जाते थे। वर्तमान में वे डॉक्यूमेंट्रीज और फिल्मों व नाटकों में कभी-कभी नजर आते थे। बता दें कि साल 1998 में महाभारत सीरियल से सभी के दिलों पर अपनी एक्टिंग की छाप छोड़ने वाले नीतीश भारद्वाज का जन्म 2 जून 1963 को हुआ था। नीतीश भारद्वाज ने वैसे तो कई फिल्मों में काम किया है। लेकिन उन्हें पहचान बीआर चोपड़ा के फेमस सीरियल ‘महाभारत’ से मिली थी। नीतीश को इस सीरीज से पहचान भी ऐसी मिली की आज भी लोग उन्हें याद करते हैं तो कृष्णा के रोल की वजह से। नीतीश ने छोटे पर्दे पर अपनी छाप छोड़ने के बाद राजनीति की तरफ रुख किया था। वो लोकसभा के सदस्य भी रह चुके हैं। साल 1996 में वो जमशेदपुर से सांसद चुने गए थे। उन्होंने वर्ष 2016 में दोबारा एक्टिंग शुरू करते हुए ऋतिक रोशन स्टारर फिल्म मोहनजोदाड़ो में उनके पिता की भूमिका अदा की थी। यदि उनकी निजी जिंदगी की बात की जाए तो उन्होंने दो बार शादी की है। साल 1991 में मोनिषा पाटिल से उन्होंने शादी की थी लेकिन 2003 में तलाक हो गया। अब मोनिषा अपने बच्चों के साथ लंदन में रहती हैं। इसके बाद नीतीश ने साल 2009 में मप्र कैडर की आईएएस स्मिता गाटे से दूसरी शादी की।

रूपा गांगुली (महाभारत की द्रौपदी ने देखे कई उतार-चढ़ाव)
साल 1998 में बीआर चोपडा के निर्देशन में आए सीरियल महाभारत में द्रौपदी का किरदार मशहूर एक्टर रूपा गांगुली ने निभाया था। हालांकि, रूपा गांगुली ने पर्दे पर जो जीवन अपनाया था उससे उलट ही उनका जीवन रहा है। वह आए दिन विवादों में घिरती रहती हैं। मगर एक समय ऐसा भी था जब द्रौपदी के रूप में उन्हें लोगों ने घर-घर में अपने दिलों में बसा लिया था। महाभारत में चीर हरण के सीन पर लोगों के आंसू बहने लगे थे। टीवी की द्रौपदी पर हो रहे चीर हरण के अत्याचार पर लोगों का खून खौल गया था। लोगों की ऐसी आस्था बन गई थी एक समय रूपा गांगुली को अपने जीने का अंदाज तक बदलना पड़ गया था। उनकी जिंदगी में विवादों का भी चोली-दामन सा साथ रहा है। आलम यह है कि टीवी प्रसारित होने वाले एक कार्यक्रम 'सच का सामना' में उन्होंने एंकर राजीव खंडेलवाल के एक सवाल के जवाब में कहा था कि उनके विवाहेत्तर संबंध भी रहे थे। हालांकि, उस मंच पर उन्होंने यह भी स्वीकार किया था कि वह अपने पति और बच्चों से बेहद प्यार करती हैं। इन दिनों रूपा राजनीति में हाथ आजमा रही हैं। गांगुली ने अनिल कपूर अभिनीत फिल्म साहेब (1985) से बतौर एक बाल अभिनेत्री शुरुआत की। उनकी दूसरी भूमिका मलयालम फिल्म इथिले इनियम वारु (1986) में ममूटी के साथ बतौर मुख्य अभिनेत्री थी। हालांकि, बीआर चोपड़ा के महाभारत (1988) में उन्होंने अपनी अमिट छाप छोड़ी थी। इसके बाद उन्होंने मृणाल सेन की एक दिन अचानक (1989) में भी बेहतरीन रोल अदा किया था। उन्होंने हिन्दी और बंगला की कई टेलीविजन श्रृंखलाओं में भी काम किया, जिसमें सुकन्या (1998) आदि, शामिल है। वह फिलहाल पश्चिम बंगाल में भाजपा महिला मोर्चा की अध्यक्ष हैं।
संबंधित खबरें
सोसाइटी से
अन्य खबरें
Loading next News...
