
लोकप्रिय वेब सीरीज Cobra Kai का फिनाले आ चुका है और इसके साथ ही Karate Kid फ्रेंचाइज़ी का यह सफर भी खत्म हो गया। 1984 में आई The Karate Kid फिल्म से शुरू हुई यह कहानी अब 40 साल बाद अपने आखिरी पड़ाव पर है। लेकिन यह शो सिर्फ कराटे तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह एक इमोशनल जर्नी बन गया, जिसमें पुराने किरदारों के साथ नई पीढ़ी की कहानी भी जुड़ी।
कैसे शुरू हुआ सफर?
1984 में Karate Kid में दिखाए गए डेनियल लारूसो (राल्फ मैकियो) और जॉनी लॉरेंस (विलियम ज़बका) की प्रतिद्वंद्विता से शुरू हुआ यह सफर 2018 में Cobra Kai के रूप में दोबारा जीवंत हुआ। शुरुआत में यह शो यूट्यूब ओरिजिनल के रूप में आया, लेकिन बाद में इसकी पॉपुलैरिटी के कारण नेटफ्लिक्स ने इसे अपना लिया।
फिनाले में क्या रहा खास?
शो के आखिरी सीजन में हाई-स्टेक्स कराटे मुकाबले देखने को मिले, जहां कराटे सिर्फ एक मुकाबला नहीं, बल्कि ‘सर्वाइवल’ बन चुका था। यह सीजन पहले से ज्यादा इमोशनल और ड्रामेटिक था।
- कराटे टूर्नामेंट का महाक्लाइमेक्स – पिछले सीजन में बार्सिलोना में वर्ल्ड कराटे चैंपियनशिप के दौरान हुई अनहोनी के बाद इस बार ‘ऑल वैली स्पोर्ट्स एरीना’ में मुकाबला हुआ, जहां युवा खिलाड़ियों ने जीत और हार से ज्यादा दोस्ती और संघर्ष की अहमियत सीखी।
- डेनियल और जॉनी की नई दोस्ती – पहले दुश्मन रहे डेनियल और जॉनी इस बार एक साथ मिलकर अपने शिष्यों को कराटे चैम्पियन बनाने में जुटे।
- पुराने विलेन की वापसी – जॉन क्रीज़ (मार्टिन कोव) और टेरी सिल्वर (थॉमस इयान ग्रिफिथ) की मौजूदगी ने शो को और रोमांचक बना दिया। क्रीज़ ने अपनी पुरानी गलतियों को स्वीकार किया, जबकि सिल्वर अब भी खलनायक बना रहा।
क्यों बना यह शो खास?
Cobra Kai सिर्फ कराटे के मुकाबलों तक सीमित नहीं था, बल्कि यह पिता-बेटे, दोस्ती, संघर्ष और सपनों की कहानी भी थी। इस शो में दिखाया गया कि कैसे माता-पिता अपने बच्चों की जीत-हार को खुद से जोड़ लेते हैं और कैसे पुरानी पीढ़ी की गलतियां नई पीढ़ी को प्रभावित करती हैं।
क्या यह सही फिनाले था?
शो ने इमोशनल और प्रेरणादायक तरीके से अपने सफर को खत्म किया। हालांकि, कुछ फैंस को इसकी बढ़ती कहानी और अवास्तविक मुकाबलों से शिकायत रही, लेकिन इसके बावजूद Cobra Kai ने यह साबित किया कि पुरानी यादें भी नए दौर में एक बार फिर चमक सकती हैं।
Cobra Kai का फिनाले न केवल कराटे किड फ्रेंचाइज़ी को विदाई देने का मौका था, बल्कि यह दर्शकों को यह संदेश भी देता है कि असली जीत केवल ट्रॉफी से नहीं, बल्कि संघर्ष, रिश्तों और जीवन के सबक से मिलती है।