
बॉलीवुड के ऐतिहासिक सिनेमा में एक और महत्वपूर्ण फिल्म ‘छावा’ ने दर्शकों के सामने मराठा वीर छत्रपति संभाजी महाराज की गाथा को जीवंत किया है। निर्देशक लक्ष्मण उटेकर की इस फिल्म में विकी कौशल ने अपने अभिनय से इतिहास के इस जांबाज योद्धा के पराक्रम और संघर्ष को बखूबी उकेरा है।
संभाजी महाराज: शिवाजी के वीर उत्तराधिकारी
मराठा साम्राज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज की मृत्यु के बाद मुगलों को लगा कि अब उनके विजय पथ में कोई बाधा नहीं आएगी। लेकिन उन्हें अंदाजा नहीं था कि उन्हें अब संभाजी महाराज (विकी कौशल) के रूप में एक और अजेय योद्धा का सामना करना पड़ेगा। अपने पिता के निधन के बाद संभाजी ने सत्ता संभाली और नौ वर्षों तक मराठा साम्राज्य को मजबूती से आगे बढ़ाया।
कहानी में कितना दम?
फिल्म की कहानी शिवाजी सावंत के मराठी उपन्यास ‘छावा’ पर आधारित है, जिसमें संभाजी महाराज की वीरता और संघर्ष को विस्तार से दिखाया गया है। फिल्म में दिखाया गया है कि किस तरह उन्होंने मुगलों की विस्तारवादी नीतियों को ध्वस्त किया और उनके खिलाफ युद्ध में विजय प्राप्त की।
संभाजी महाराज ने अपने सेनापति हंबीरराव मोहिते (आशुतोष राणा) के साथ मिलकर मुगलों के गढ़ बुरहानपुर पर धावा बोला और लगातार नौ वर्षों तक औरंगजेब की सेना को मात देते रहे। लेकिन उन्हें अपने ही लोगों से विश्वासघात मिला और संगमेश्वर में मुगलों ने उन्हें घेरकर पकड़ लिया। इसके बाद भी उनका जुझारू और अडिग स्वभाव नहीं बदला, जो इस फिल्म की आत्मा है।
निर्देशन और सिनेमेटोग्राफी
लक्ष्मण उटेकर ने इस फिल्म को एक भव्य रूप देने की पूरी कोशिश की है। फिल्म का पहला भाग धीमा लगता है, लेकिन दूसरे भाग में कहानी जोर पकड़ती है और एक शानदार क्लाइमैक्स तक पहुंचती है। युद्ध दृश्यों को शानदार ढंग से फिल्माया गया है और अंतिम युद्ध विशेष रूप से थिएटर में देखने लायक है।
संगीत: ए.आर. रहमान की धुनें बनी बाधा?
फिल्म के लिए ए.आर. रहमान का संगीत दिया गया है, लेकिन यह फिल्म के ऐतिहासिक माहौल के अनुरूप नहीं बैठता। ‘आया रे तूफान’ गाना दमदार है, लेकिन बाकी गाने फिल्म की लय को बाधित करते हैं। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या अजय-अतुल इस फिल्म के लिए बेहतर विकल्प होते?
अभिनय: विकी कौशल का अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन
फिल्म की सबसे बड़ी ताकत विकी कौशल हैं, जो संभाजी महाराज के किरदार में पूरी तरह ढल चुके हैं। उनकी आंखों में गुस्सा, आवाज में जोश और शरीर में वो दमखम दिखता है, जो एक महान योद्धा की कहानी को विश्वसनीय बनाता है। यह कहना गलत नहीं होगा कि यह उनकी अब तक की सबसे बेहतरीन परफॉर्मेंस में से एक है।
अक्षय खन्ना ने औरंगजेब के रूप में अच्छा काम किया है, लेकिन उनका मेकअप और प्रोस्थेटिक्स कुछ ज्यादा ही भारी नजर आते हैं। विनीत कुमार सिंह (कवि कालाश) के साथ विकी के दृश्यों में गहरी भावनाएं देखने को मिलती हैं।
महिला किरदारों की कमजोर भूमिका
फिल्म में दिव्या दत्ता (महारानी सौयराबाई) का किरदार दमदार हो सकता था, लेकिन उन्हें ज्यादा स्क्रीन टाइम नहीं मिला। रश्मिका मंदाना का अभिनय और भाषा संतोषजनक नहीं है, जबकि डायना पेंटी पूरी तरह निराश करती हैं।
क्या देखें या छोड़ें?
अगर आप ऐतिहासिक फिल्मों के प्रशंसक हैं और मराठा वीरता की गाथा देखना चाहते हैं, तो ‘छावा’ जरूर देखें। विकी कौशल का अभिनय, युद्ध के दृश्य और फिल्म का भव्य क्लाइमैक्स इसे थिएटर में देखने लायक बनाते हैं। हालांकि, संगीत और शुरुआती भाग थोड़ा निराश कर सकते हैं।
**रेटिंग: ⭐⭐⭐⭐ (4/5)
विशेषताएं: विकी कौशल का शानदार अभिनय, दमदार क्लाइमैक्स
कमजोरियां: संगीत और धीमी शुरुआत**