बॉलीवुड के सदाबहार अभिनेता देव आनंद का नाम सुनते ही एक चमकता सितारा, बेजोड़ स्टाइल और जबरदस्त आत्मविश्वास का चेहरा सामने आता है। आज, 26 सितंबर को उनकी जयंती के अवसर पर, हम उस अभिनेता को याद कर रहे हैं जिसने भारतीय सिनेमा में अपनी अमिट छाप छोड़ी।
देव आनंद का प्रारंभिक जीवन
26 सितंबर 1923 को पंजाब के गुरदासपुर में जन्मे धरमदेव पिशोरीमल आनंद, यानी देव आनंद, ने हिंदी सिनेमा में 1940 और 50 के दशक में कदम रखा। उनके करियर की शुरुआत फिल्म ‘हम एक हैं’ से हुई थी, लेकिन असली पहचान उन्हें ‘जिद्दी’ (1948) से मिली।
फिल्मी करियर और अनूठी स्टाइल
देव आनंद ने लगभग 65 साल तक हिंदी सिनेमा पर राज किया। उनकी फिल्मों की खासियत उनका अनूठा स्टाइल और व्यक्तित्व था, जिसने उन्हें एक आइकन बना दिया। चाहे ‘गाइड’ जैसी कालजयी फिल्म हो या फिर ‘जॉनी मेरा नाम’, देव आनंद ने हर किरदार में अपनी अद्वितीय छाप छोड़ी।
उनकी फिल्मों में कुछ उल्लेखनीय नाम हैं:
- गाइड (1965) – भारतीय सिनेमा की सबसे बेहतरीन फिल्मों में से एक।
- हरे रामा हरे कृष्णा (1971) – जिसमें जीनत अमान की एक्टिंग और “दम मारो दम” गाने ने धूम मचा दी थी।
- जॉनी मेरा नाम (1970) – यह फिल्म सुपरहिट साबित हुई और देव आनंद को नए स्टारडम तक पहुँचाया।
रुमानी अंदाज और चार्म
देव आनंद के रोमांटिक अंदाज और चार्म ने उन्हें यंगस्टर्स के बीच बेहद लोकप्रिय बना दिया। उनके सफेद शर्ट और काली टाई वाले लुक ने उन्हें एक फैशन आइकन भी बना दिया। लड़कियों के दिलों पर राज करने वाले देव आनंद को उनकी स्माइल और चुलबुली अदाओं के लिए हमेशा याद किया जाएगा।
नवकेतन फिल्म्स और निर्देशन
देव आनंद न सिर्फ एक अभिनेता थे बल्कि एक सफल निर्माता और निर्देशक भी थे। उन्होंने नवकेतन फिल्म्स नामक प्रोडक्शन हाउस की स्थापना की, जिसने कई यादगार फिल्में दीं। उनका निर्देशन कौशल और कहानियों की समझ बेजोड़ थी।
सादगी में महानता
हालांकि देव आनंद ने असाधारण सफलता हासिल की, लेकिन उनकी सादगी और विनम्रता उन्हें और भी महान बनाती थी। वह हमेशा नए कलाकारों को प्रोत्साहित करते थे और सिनेमा को एक नए दृष्टिकोण से देखते थे।
अंतिम समय तक सक्रिय
देव आनंद ने 88 साल की उम्र तक काम करना बंद नहीं किया। उन्होंने हमेशा यह सिद्ध किया कि उम्र केवल एक संख्या है और जुनून के साथ कुछ भी संभव है।
देव आनंद का योगदान भारतीय सिनेमा के लिए अद्वितीय है। उनकी जयंती पर हम उस महान अभिनेता को नमन करते हैं, जिसने हमें मनोरंजन और प्रेरणा दोनों दी। उनकी फिल्मों के जरिए वह हमेशा हमारे दिलों में जिंदा रहेंगे।
“मैं ज़िंदा हूं, इसलिए सिनेमा भी ज़िंदा है” – देव आनंद