ये कहानी है बैंडिट क्वीन फिल्म के बाबू गुज्जर की। ये वही कलाकार हैं जिन्हें रामसे ब्रदर्स की फिल्मों में आपने भूत के किरदार निभाते देखा होगा। इनका नाम है अनिरुद्ध अग्रवाल। आज इनका जन्मदिन है। 20 दिसंबर 1949 को देहरादून में अनिरुद्ध अग्रवाल का जन्म हुआ था।
अनिरुद्ध ने कभी ख्वाब में भी नहीं सोचा था कि वो एक दिन एक्टर बन जाएंगे। ये तो BSC की पढ़ाई कर रहे थे। एक दिन देहरादून में Jitendra अपनी किसी फिल्म की शूटिंग करने आए। अनिरुद्ध अग्रवाल भी अपने कुछ दोस्तों के साथ देखने पहुंच गए और जब वहां इन्होंने Jitendra के प्रति लोगों की दीवानगी देखी तो इनका मन हुआ कि ये भी जीवन में कुछ ऐसा काम करें जिससे लोग इन्हें देखने के लिए भीड़ लगाएं। कुल मिलाकर अनिरुद्ध अग्रवाल भी फिल्मी दुनिया से जुड़ने के ख्वाब देखने लगे।
अनिरुद्ध ने फिल्मी दुनिया में जाने का ख्वाब देख तो लिया। लेकिन घर पर इसके बारे में किसी को कुछ नहीं बताया। क्योंकि अनिरुद्ध अपने पिता से बहुत डरते थे। पिता को अगर पता चल जाता कि ये फिल्म लाइन में जाना चाहते हैं तो वो नाराज़ होते। शायद गुस्से में हाथ भी उठा देते। अनिरुद्ध चुपचाप कॉलेज में होने वाले कल्चरल इवेंट्स में पार्टिसिपेट करने लगे।
नाटकों में भी हिस्सा लेने लगे। इसी बीच Roorkee Engineering College(जो अब IIT Roorkee है) में अनिरुद्ध अग्रवाल को दाखिला मिल गया। ये रुढ़की आ गए। इस कॉलेज में भी अनिरुद्ध अग्रवाल एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज़ में हिस्सा लेते रहे। पहला साल आराम से गुज़र गया। लेकिन दूसरे साल में परीक्षा में अनिरुद्ध की सप्लीमेंट्री आ गई। इन्होंने कॉलेज से कुछ दिन की छुट्टी ले ली। घर जाने की बात कहकर।
मगर घर जाने कि बजाय अनिरुद्ध अग्रवाल पहुंच गए मुंबई। मुंबई में किसी तरह ये अपने एक परीचित के घर पहुंच गए और वहां जाकर रहने लगे। फिर वहां से अपने बड़े भाई के एक दोस्त के घर चले गए। अनिरुद्ध भाई के जिस दोस्त के यहां ठहरे हुए थे वहां जब इन्हें काफी दिन हो गए तो इन्होंने वहां से शिफ्ट होने का फैसला किया। उस बुरे वक्त में कॉलेज के एक सीनियर ने इनकी मदद की जो उस वक्त मुंबई में ही था।
वो सीनियर मेरठ का था। वो अनिरुद्ध को अपने साथ अपने घर मेरठ ले आया। वहां अनिरुद्ध को खिला-पिलाकर और कपड़े दिलाकर उसने इन्हें वापस देहरादून भेज दिया। इस वक्त तक इन्हें Film and Television Institute of India (FTII) Pune की खबर मिल चुकी थी। अनिरुद्ध ने दाखिले के लिए अप्लाय कर दिया। अनिरुद्ध का इंटरव्यू मुंबई में हुआ। इनका इंटरव्यू लेने वाले पैनल में Mithun Chakraborty भी थे। अनिरुद्ध की बातों से मिथुन दा बहुत प्रभावित हुए। अनिरुद्ध का सिलेक्शन FTII में हो गया।
मगर FTIIइनके नसीब में ही नहीं था। मजबूर अनिरुद्ध अग्रवाल वापस रुढ़की लौट आए। और साल 1974 में इन्होंने अपनी सिविल इंजीनियरिंग कंप्लीट की और डिग्री ली। इंजीनियरिंग पूरी हो गई थी तो अनिरुद्ध अग्रवाल अब बिना किसी संकोच के मुंबई जा सकते थे। सो वो गए भी। और इस दफा अपने एक दोस्त के पास ठहरे जो अब तक मुंबई शिफ्ट हो चुका था।
अनिरुद्ध अग्रवाल की हाइट छह फीट चार इंच है। एक दिन इन्होंने नोटिस किया कि लोग इनसे ज़रा डरने लगे हैं। इन्हें समझ नहीं आया कि मामला क्या है। लोग इनसे बात करने में क्यों कतराते हैं? फिर एक दिन जब ये शीशे में खुद को निहार रहे थे तो इन्हें आभास हुआ कि इनके चेहरा, कान, हाथ की उंगलियां व पैर फैलने लगे हैं। अनिरुद्ध डॉक्टर के पास गए। डॉक्टर ने जांच की और पता लगा कि अनिरुद्ध के पिटियूट्री ग्लैंड में ट्यूमर हो गया है। उस ट्यूमर की वजह से इनके शरीर के कुछ अंग फैलने लगे हैं।
अनिरुद्ध का इलाज शुरू हुआ। इलाज के दौरान ही एक आदमी ने इन्हें फिल्मों में काम करने की सलाह दी। अनिरुद्ध तो चाहते भी थे एक्टर बनना। उस आदमी ने अनिरुद्ध को Ramsay Brothers के बारे में बताया और कहा कि जल्द से जल्द तुम्हें Ramsay Brothers के ऑफिस जाना चाहिए।
उन दिनों Ramsay Brothers पुराना मंदिर फिल्म पर काम चल रहा था। फिल्म की काफी शूटिंग पूरी भी हो चुकी थी। बाकि रह गए थे तो शैतान वाले दृश्य। क्योंकि जिस तरह का एक्टर रामसे ब्रदर्स पुराना मंदिर के शैतान के लिए ढूंढ रहे थे वो उन्हें मिला नहीं था। उन्हें चाहिए था एक ऐसा इंसान जिसकी काया वाकई में शैतान जैसी हो। इसलिए जब अनिरुद्ध अग्रवाल रामसे ब्रदर्स के ऑफिस पहुंचे तो वहां खुशी का माहौल बन गया। रामसे ब्रदर्स को जो चाहिए था वो खुद उनके ऑफिस में चलकर आ गया था।
थोड़े टेस्ट लेकर अनिरुद्ध अग्रवाल को पुराना मंदिर फिल्म के लिए साइन कर लिया गया और इस तरह अनिरुद्ध अग्रवाल बने पुराना मंदिर का राक्षस सामरी। पुराना मंदिर हिट रही। इस तरह अनिरुद्ध अग्रवाल की बॉलीवुड जर्नी स्टार्ट हो गई। अनिरुद्ध ने रामसे ब्रदर्स की और कुछ फिल्मों में भी काम किया।