बधाई हो!...खुद की सोच पर हंसना चाहते हैं तो जाइए देख आइए

दिल्ली शहर ने एक बार फिर से हिंदी सिनेमा को एक बढ़िया स्टोरी दी है। ऐसी स्टोरी जिस पर जिसके बारे में सुनते ही लोग तरह-तरह के भाव एक्सप्रेशन देने लगते हैं। एक बार फिर से आयुष्मान खुराना को दिल्ली के जरिए अपनी बात लोगों के दिलों में उतरने का मौका मिला।
निर्देशक-अमित शर्मा
निर्माता-अमित शर्मा, विनीत जैन, अलैया सेन
स्टार कॉस्ट-आयुष्मान खुराना, सान्या मेहरोत्रा, नीना गुप्ता, गजराज राव, सुरेखा सीकरी, शीबा चड्ढा, शार्दुल राणा और राहुल तिवारी
फिल्म अवधि-2 घंटा 6 मिनट
टिकट के दिए—175 रुपये
स्टोरी, डायरेक्टर और राइटर
दिल्ली शहर ने एक बार फिर से हिंदी सिनेमा को एक बढ़िया स्टोरी दी है। ऐसी स्टोरी जिस पर जिसके बारे में सुनते ही लोग तरह—तरह के भाव एक्सप्रेशन देने लगते हैं। एक बार फिर से आयुष्मान खुराना को दिल्ली के जरिए अपनी बात लोगों के दिलों में उतरने का मौका मिला। फिल्म कॉमेडी है, इसलिए आसानी से अपनी बात कह जाती है। जब बेटा 25 साल का हो और तब अगर मां फिर से मां बनने की उम्मीद से हो जाए, तो परिवार के सदस्यों को कैसा लगता है। बस इसी लाइन पर पूरी फिल्म को निर्देशक अमित शर्मा ने सजा दिया है और उनका पूरा साथ दिया है फिल्म के लेखक अक्षत घिल्डियाल, शांतनु शर्मा और ज्योति कपूर ने।
अभिनय
आयुष्मान खुराना जब भी दिल्ली के युवा भी भूमिका निभाते हैं तो उनके अंदर एक अलग ही स्पार्क आ जाता है। विक्की डोनर से लेकर यहां तक उनके अंदर स्पार्क बना हुआ है। सान्या मेहरोत्रा की तीसरी फिल्म देखी और लगान के बाद पटाखा फिर बधाई हो। सही फिल्में अगर सही समय पर मिल जाएं तो अभिनय दिखने लगता है। सान्या के साथ यही हो रहा है। नीना गुप्ता आज की अभिनेत्री तो हैं नहीं जो उन्हें सिखाया जाए। प्रियंवदा एक मां के किरदार को बखूबी निभाया है। गजराज राव के हिस्से फिल्में कम आई हैं। पर पर आजकल इंटरनेट के जरिए युवाओं के दिलों में वो पहले ही राज कर रहे हैं। जीतू के जरिए गजराज राव ने एक अच्छे बेटे, पति और पिता की भूमिका को अदा किया है। गुल्लर छोटे बेटे के रोल को शार्दुल राणा ने सही निभाया है, जैसा छोटा बेटा होता है एकदम वैसे ही। फिल्म में हंसाने के साथ रूलाने का काम करने वाली दादी बनी सुरेखा सीकरी की एक्टिंग आपका दिल जीत लेगी। जो लगती सख्त है, पर होती मुलायम है। शायद सबको ऐसी ही दादियां चाहिए होती हैं। इसके अलावा फिल्म में थिएटर आर्टिस्ट राहुल तिवारी जिन्होंने जूना का रोल निभाया है। लखनउ के रहने वाले हैं। राहुल तिवारी को अगर अच्छी फिल्में मिली तो वो भी प्रभावित कर सकते हैं। छोटे से रोल में अपने हाव भाव से राहुल ने अभिनय किया है।
म्यूजिक-बिल्कुल भी प्रभावित नहीं करता है। इन दिनों फिल्मों में अच्छा म्यूजिक नहीं आ रहा है। यही हाल बधाई हो का भी है।
लोकेशन एंड शूटिंग टाइम-ये मूवी शायद पिछले साल जाड़ों में शूट हुई होगी क्योंकि फिल्म में सबने जाड़े वाले कपड़े पहन रखे हैं। दिल्ली को दिखाने के लिए मेट्रो ही काफी है या फिर कनॉट प्लेस। थोड़ा बहुत गुड़गांव अब गुरूग्राम और मेरठ भी आ गए हैं। पर एक दो सीन के लिए।
फिल्म क्यों देंखे- अगर हंसना चाहते हैं और सेक्स को लाइफ का एक पार्ट मानते हैं। अबे चू... सोच मत तू भी तो उसी से पैदा हुआ है।
फिल्म क्यों न देंखे-अगर आपको लगता है कि आप सेक्स करते हैं तो नॉर्मल है और दूसरा करे तो गंदी बात...गंदी—गंदी—गंदी बात
सस्ते टिकट-सोमवार से बृहस्पतिवार तक मॉर्निंग शो में 100 रुपये तक का टिकट मिल सकता है। अगर आप स्टूडेंट हैं तो वही टिकट लेकर मूवी देंखे। अगर बड़े ग्रुप में मूवी देखते हैं तो मल्टीप्लेक्स के मैनेजर से बात कीजिए वो कुछ एक्सट्रा छूट दिलवा सकता है।
फिल्म समीक्षक-सचिन यादव
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