बॉलीवुड के सुपरस्टार अनिल कपूर की फिल्म “खलनायक” में काम करने की ख्वाहिश किसी से छुपी नहीं है। जब अनिल कपूर को यह पता चला कि निर्देशक सुभाष घई “खलनायक” नाम की फिल्म बनाने जा रहे हैं, तो वह खुद सुभाष घई के घर पहुंचे और फिल्म में काम करने की इच्छा जताई। अनिल को इस फिल्म की कहानी इतनी पसंद आई थी कि उन्होंने सुभाष घई से कहा कि वह इस किरदार के लिए गंजे होने तक के लिए तैयार हैं। हालांकि, सुभाष घई ने विनम्रता से कहा कि यह किरदार अनिल की पर्सनैलिटी पर फिट नहीं बैठेगा। इस तरह, अनिल कपूर के हाथ से यह फिल्म निकल गई।
लेकिन यह सिर्फ अनिल कपूर तक ही सीमित नहीं था। सुभाष घई ने जब “खलनायक” की स्क्रिप्ट का पहला ड्राफ्ट तैयार किया था, तब उन्होंने सबसे पहले नाना पाटेकर को इस फिल्म का ऑफर दिया। नाना को भी कहानी पसंद आई और वह इसमें काम करने के लिए तैयार हो गए। लेकिन सुभाष घई के दोस्तों ने उन्हें सलाह दी कि चूंकि “खलनायक” एक कमर्शियल फिल्म बन रही है, इसलिए इसमें नाना पाटेकर की जगह किसी ऐसे अभिनेता को लेना चाहिए जिसकी कमर्शियल वैल्यू अधिक हो।
यहीं से सुभाष घई के दिमाग में संजय दत्त का ख्याल आया। संजय दत्त की बड़ी-बड़ी आंखें, मासूम चेहरा और शानदार एक्शन स्किल्स ने उन्हें “खलनायक” के मुख्य किरदार बलराम प्रसाद उर्फ बल्लू के लिए बिल्कुल सही उम्मीदवार बना दिया। सुभाष घई ने संजय दत्त को अपने घर बुलाया, उन्हें पूरी कहानी सुनाई और शर्त रखी कि इस फिल्म के लिए उन्हें कड़ी मेहनत करनी होगी। संजय को कहानी और बल्लू का किरदार इतना पसंद आया कि उन्होंने बिना किसी हिचकिचाहट के हामी भर दी। और जैसा कि हम जानते हैं, संजय दत्त ने सुभाष घई की उम्मीदों पर खरा उतरते हुए इस किरदार को यादगार बना दिया।
आज, “खलनायक” फिल्म की रिलीज़ को 31 साल हो गए हैं। 6 अगस्त 1993 को रिलीज़ हुई इस फिल्म ने 2.5 करोड़ रुपए के बजट में 12.5 करोड़ रुपए का नेट कलेक्शन कर सुपरहिट का दर्जा हासिल किया। यह फिल्म उस साल की दूसरी सबसे अधिक कमाई करने वाली फिल्म रही, जबकि पहले स्थान पर गोविंदा और चंकी पांडे की “आंखें” रही, जिसने 14 करोड़ रुपए का कलेक्शन किया था।
दिलचस्प बात यह है कि “खलनायक” का आइडिया सुभाष घई को तब आया जब वह अमेरिका में थे। वहां, उनके दोस्त अशोक अमृतराज ने, जो कि एक समय के प्रसिद्ध टेनिस खिलाड़ी और बाद में हॉलीवुड फिल्म निर्माता बने, उन्हें हॉलीवुड में फिल्म बनाने का सुझाव दिया। सुभाष घई ने उन्हें “खलनायक” का आइडिया सुनाया और अशोक को यह बहुत पसंद आया। उन्होंने इसे तुरंत अमेरिका की राइटर्स असोसिएशन में रजिस्टर भी करवा दिया।
शुरुआत में, “खलनायक” के लिए संजय दत्त का किरदार हॉलीवुड अभिनेता एडी मर्फी को और जैकी श्रॉफ का किरदार ओमर शरीफ को ऑफर किया गया था। फिल्म का टाइटल “बी निगेटिव” रखा गया था। दोनों ही अभिनेताओं को कहानी पसंद आई थी, लेकिन बाद में सुभाष घई को यह एहसास हुआ कि हॉलीवुड का काम करने का तरीका मुंबई की फिल्म इंडस्ट्री से बिल्कुल अलग है। इसलिए, उन्होंने इस योजना को छोड़कर भारत वापस लौटने का निर्णय लिया।
इस तरह, “खलनायक” ने बॉलीवुड में संजय दत्त के करियर को एक नया मोड़ दिया और यह फिल्म आज भी उनकी सबसे यादगार फिल्मों में से एक मानी जाती है।